02 दिसंबर 2010
कम बिजली खपत वाले कोल्ड स्टोर बनेंगे
भारत में जल्दी ही पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा किफायती कोल्ड स्टोर बनने लगेंगे। इससे फल और सब्जियों का बेहतर भंडारण हो सकेगा। सरकार द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों के एक पैनल के सुझावों के आधार पर जारी दिशानिर्देशों में यह बात कही गई है। नेशनल हॉर्टीकल्चर बोर्ड (एनएचबी) के चेयमैन विजय कुमार की अध्यक्षता में 25 सदस्यीय पैनल ने कृषि मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी है जिसमें उन्होंने कोल्ड स्टोरेज के तकनीकी मानकों का निर्धारण किया है। कुमार ने कहा कि 6 नवंबर को होने वाली ओरिएंटेशन मीटिंग के बाद सभी सदस्यों के लिए नए मानकों का पालन करना अनिवार्य होगा। इस टीम में आईआईटी दिल्ली, सलाहकार, भारतीय मानक ब्यूरो के विशेषज्ञ और प्रशीतन एवं इंसुलेशन उद्योग के जानकार शामिल थे। नया डिजाइन कामगारों की सुरक्षा का तो ख्याल रखेगा ही, साथ ही इसमें प्रयुक्त होने वाली सामग्री परंपरागत कोल्ड स्टोरेज की तरह ओजोन परत को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगी। नए डिजाइन में 5,000 टन क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज के निर्माण पर तीन करोड़ रुपये का खर्च आएगा जबकि अभी ऐसे कोल्ड स्टोरेज दो करोड़ रुपये में तैयार हो जाते हैं। हालांकि लंबी अवधि में यह डिजाइन फायदेमंद होगा क्योंकि यह परंपरागत डिजाइन के मुकाबले 20 से 25 फीसदी कम ऊर्जा की खपत करता है। कुमार ने कहा कि नए डिजाइन में 50 किलोग्राम के स्टोरेज पर 10 से 11 रुपये नौ महीने में ऊर्जा खर्च आएगा, जबकि मौजूदा मॉडल में यह खर्च 15 रुपये पड़ता है। रिपोर्ट में विभिन्न श्रेणी के कोल्ड स्टोरेज के लिए दो तरह के आधुनिक डिजाइन सुझाए गए हैं। अन्य मॉडलों में अंगूर, पपीता, चेरी आदि फलों के लिए प्रीकूलिंग की जरूरत होगी, जबकि मटर, कटे हुए फलों और सब्जियों को निर्यात करने के लिए क्विक फ्रीजिंग की जरूरत होगी। एनएचबी के मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि जब नए मानक लागू हो जाएंगे तो मौजूदा कोल्ड स्टोरेज को वे वित्तीय सहायता मुहैया कराएंगे ताकि उन्हें उन्नत किया जा सके। वित्तीय मदद 3,000 रुपये प्रति टन क्षमता के हिसाब से दी जा सकती है। इन खास तरह के कोल्ड स्टोरज से फलों और सब्जियों को सड़ने से बचाया जा सकेगा। (BS Hindi)
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