कोच्चि December 05, 2010
रबर की खपत के मुकाबले आपूर्ति की स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से सरकार कम शुल्क पर 1 लाख टन प्राकृतिक रबर के आयात पर गंभीरता से विचार कर रही है। एक ओर जहां आरएसएस-4 ग्रेड की कीमत 200 रुपये प्रति किलोग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गई है, वहीं दूसरी ओर इस जिंस की उपलब्धता में बढ़ोतरी नहीं हुई है और इसकी कई वजहें हैं। चूंकि टायरों की मांग बढ़ रही है, लिहाजा कंपनियां स्थानीय बाजार से रबर की काफी मात्रा की खरीद को कोशिश करती हैं। इसके अलावा अग्रणी कंपनियों ने या तो अपनी क्षमता में इजाफा कर लिया है या फिर ऐसा करने में जुटी हुई है, लिहाजा प्राकृतिक रबर की मांग में तेजी से बढ़ोतरी होगी। लेकिन देश में प्राकृतिक रबर का उत्पादन या तो स्थिर है या फिर इसमें मामूली इजाफा हो रहा है। यह निश्चित तौर पर भविष्य में रबर की आपूर्ति और रबर आधारित उद्योगों पर दबाव बढ़ाएगा। ऐसे में केरल से मजबूत राजनीतिक दबाव के बावजूद वाणिज्य मंत्रालय जल्द ही आयात का ऐलान कर सकता है।इस बीच, रबर बोर्ड द्वारा नवंबर में रबर उत्पादन के जारी आंकड़ों ने टायर कंपनियों को निराश किया है। नवंबर में रबर का कुल ïउत्पादन 88500 टन का हुआ, जो इस साल अप्रैल महीने में अनुमानित 1.04 लाख टन से 15 फीसदी कम है। उत्पादन मेंं गिरावट की वजह से इस जिंस की आपूर्ति में समस्या होगी, क्योंकि यह उत्पादन का पीक सीजन है। अक्टूबर-जनवरी के दौरान रबर का अधिकतम उत्पादन होता है और यह सालाना उत्पादन का 45 फीसदी होता है।ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के महानिदेशक राजीव बुद्धराजा ने कहा - अक्टूबर और नवंबर रबर उत्पादन का पीक सीजन होता है, लेकिन लगातार दूसरे साल इन महीनों में उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है। दूसरी ओर रबर की खपत में बढ़ोतरी से आयातित रबर पर उद्योगों की निर्भरता में इजाफा हो रहा है। नवंबर महीने में महज 18 टन रबर का निर्यात होना बताता है कि जरूरत के मुताबिक इसकी आपूर्ति नहीं हो पा रही है यानी इसकी भारी किल्लत है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार प्राकृतिक रबर की उपलब्धता बढ़ाने की खातिर आयात शुल्क में कटौती की बाबत फैसला लेने में देरी कर रही है। पिछले साल नवंबर महीने में 93500 टन प्राकृतिक रबर का उत्पादन हुआ था जबकि साल 2008 के नवंबर महीने में उत्पादन 95550 टन का था और उत्पादन में लगातार हो रही गिरावट बता रही है कि आपूर्ति का संकट है जबकि रबर बोर्ड इसके ठीक-ठाक भंडार होने का दावा करता है। पिछले तीन साल से आयातित रबर पर निर्भरता बढ़ती जा रही है क्योंकि इस साल नवंबर मेंं 10745 टन रबर का आयात हुआ जबकि साल 2009 की समान अवधि में 7215 टन और 2008 के नवंबर में 5557 टन रबर का आयात हुआ था। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि कीमत बढऩे की वजह से पुराने पड़ चुके पेड़ों की जगह नए पेड़ लगाने का काम सुस्त है, लिहाजा आने वाले सालों में रबर के उत्पादन में गिरावट के आसार हैं। (BS Hindi)
08 दिसंबर 2010
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