ग्राहकों पर दोतरफा मार - मौजूदा समय में चांदी के भाव आसमान पर बगैर हालमार्क चांदी के गहने में शुद्धता की गांरटी नहीं
चांदी के गहनों की खरीद में ग्राहकों को दोतरफा मार सहनी पड़ रही है। एक तो चांदी के भाव आसमान छू रहे हैं। दूसरे, चांदी के गहने खरीदने पर ग्राहक को शुद्ध चांदी केवल 40 से 60 फीसदी मिल पाती है। जागरूकता के अभाव में ग्राहक बगैर हालमार्क चांदी के गहने खरीद लेता है। हालांकि, उसको बेचने या फिर उसका गहना दोबारा बनवाने पर कुल मात्रा में से 40 से 60 फीसदी ही चांदी मिल पाती है। यही कारण है कि कृत्रिम (आर्टिफिशियल) गहनों की मांग बढ़ रही है।
एमएमटीसी लिमिटेड के हालमार्किंग डिवीजन के उपमहाप्रबंधक संजय आनंद ने 'बिजनेस भास्कर' को बताया कि जागरूकता न होने के कारण ग्राहक बगैर हालमार्क चांदी के गहने खरीद लेते हैं। इसमें शुद्धता की कोई गांरटी नहीं होती है, इसलिए बगैर हालमार्क चांदी के गहनों को बेचने या फिर दोबारा गहने बनाने पर ग्राहक को भारी घाटा उठाना पड़ता है। वहीं, हालमार्क का टेक लगे चांदी के गहनों में शुद्धता 92.5 फीसदी होती है। इसलिए ग्राहक को हालमार्क लगे चांदी के गहने, सिक्के, बर्तन या मूर्ति ही खरीदनी चाहिए।
एच के इंक. की सीईओ नीता जग्गी ने बताया कि बगैर हालमार्क चांदी के गहनों में चांदी की मात्रा केवल 40 से 60 फीसदी होती है। चूंकि ग्राहक को शुद्धता का पता ही नहीं होता है, इसलिए ज्वेलर्स पूरी कीमत वसूल लेते हैं। चांदी के दाम भी पिछले एक साल में 35 से 40 फीसदी बढ़ चुके हैं। ऐसे में चांदी के ग्राहकों को दोहरी मार सहनी पड़ रही है। एक तो उन्हें खरीदे गए वजन के हिसाब से चांदी नहीं मिल पाती है। दूसरे, चांदी की कीमतें भी आसमान पर हंै। आर सी असाइंग एंड हालमार्किंग सेंटर के मालिक नरेश ठाकुर ने बताया कि चांदी पर हालमार्किंग का कामकाज सीमित मात्रा में ही होता है। केवल दीपावली पर थोड़ा काम निकलता है। यही नहीं, सोने के गहनों के मुकाबले चांदी के गहनों की शुद्धता मापने की प्रक्रिया लंबी है।
इसलिए चांदी की शुद्धता मापने के लिए लैब काफी कम हैं। जयपुर स्थित अरिहंत आर्ट के डायरेक्टर सुरेश जैन ने बताया कि चांदी का 80 फीसदी उपयोग उद्योग में होता है। केवल 20 फीसदी खपत ही गहनों में होती है। चांदी की बढ़ती कीमतों के कारण उसके गहनों की निर्यात मांग भी तकरीबन 30 फीसदी तक घट गई है। भारतीय मानक ब्यूरो के सूत्रों के अनुसार देशभर में जहां सोने की शुद्धता मापने के लिए 159 लैब खुली हुई हैं, वहीं चांदी की शुद्धता मापने के लिए केवल 10 लैब ही हैं। चांदी की शुद्धता मापने के लिए 100 ग्राम के पीस के लिए 10 रुपये, 500 ग्राम तक के लिए 50 रुपये तथा 501 ग्राम से ऊपर के हर पीस के लिए 100 रुपये के हिसाब से लैब का खर्च आता है।
बात पते की - जागरूकता के अभाव में ग्राहक बगैर हालमार्क चांदी के गहने खरीद लेता है। हालांकि, उसको बेचने या फिर उसका गहना दोबारा बनवाने पर उसे नुकसान उठाना पड़ता है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
29 नवंबर 2010
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