November 01, 2010
देश की सबसे बड़ी ट्रेडिंग कंपनी 'एमएमटीसी' जिसमें सरकारी हिस्सेदारी 90 फीसदी से अधिक है, में बहुप्रतीक्षित विनिवेश वित्त वर्ष 2010-11 की शुरुआत में होने की उम्मीद है। यह संभावना इस फर्म के नवनियुक्त अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एच एस मान ने बातचीत के दौरान जताई। पेश है इस बातचीत के प्रमुख अंश:
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सोने के भाव में लगभग 40 फीसदी बढ़ोतरी हो चुकी है। क्या आपको लगता है कि इस वजह से सोने का आयात घटेगा?पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सोने का भाव 35-40 फीसदी बढ़ा है। लेकिन अब भी इसका आयात उसी स्तर पर हो रहा है, जिस स्तर पर पिछले वर्ष हुआ था। लोग इसकी खरीदारी निवेश के उद्देश्य से कर रहे हैं, केवल जेवरात के लिए नहीं। इस वर्ष हमने 200 टन सोना आयात की योजना बनाई है, जबकि पिछले वर्ष 185 टन सोने का आयात किया गया था। जाहिर है, भाव बढऩे के बावजूद आयात बढऩे की संभावना है।
कृषि उत्पादों के आयात से संबंधित आपकी योजना क्या है? क्या यह सही है कि आप इस वर्ष इन उत्पादों का आयात कम करने की योजना बना रहे हैं?पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष हमने दालों का आयात कम करने की योजना बनाई है क्योंकि बेहतर मॉनसून की वजह से घरेलू स्तर पर अच्छी फसल की उम्मीद है। लेकिन हम खाद्य तेल का आयात बढ़ाएंगे क्योंकि उपभोग बढ़ा है। गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में खाद्य तेल की जबरदस्त मांग है। इसके अलावा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत भी इसकी आपूर्ति की जानी है।
राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार एमएमटीसी में अपनी हिस्सेदारी कम करने की जोरदार कवायद कर रही है। सरकार की मंशा मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश के माध्यम से 40,000 करोड़ रुपये जुटाने की है। आपके हिसाब से इसकी प्रक्रिया कब शुरू होगी?इसमें देरी होने का सवाल ही नहीं है। हम लाइन में हैं और उम्मीद है कि अगले वर्ष की शुरुआत में विनिवेश हो जाएगा। तीन स्वतंत्र निदेशक पहले ही नियुक्त किए जा चुके हैं और इससे जुड़ी अन्य औपचारिकताएं पूरी करने की कोशिश फिलहाल जारी है। इसकी पूरी प्रक्रिया भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के दिशानिर्देशों के मुताबिक सही समय पर खत्म होगी।
क्या आप किसी नए क्षेत्र में उतरने की योजना रखते हैं?अब हम सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उतरने की सोच रहे हैं। हमने राजस्थान में 80-100 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बनाई है, लेकिन फिलहाल परियोजना के लिए सटीक जगह नहीं तलाशी जा सकी है। उम्मीद है कि जगह तलाशने का काम शीघ्र निपटा लिया जाएगा। यह 10 मेगावॉट क्षमता वाला संयंत्र हो सकता है।
झारखंड में कोयला ब्लॉकों की आवंटन प्रक्रिया शुरू करने में विफल रहने के लिए सरकार ने हाल ही में एमएमटीसी को एक नोटिस दिया था। क्या इस मसले पर कोयला मंत्रालय को आपने जवाब भेजा है?कोयला ब्लॉक हमें आवंटित किया गया था, लेकिन राज्य की एजेंसियों की ओर से इस काम में देरी की गई। यह मामला कोयला मंत्रालय की नजर में आया और हमने शीघ्र अपनी प्रतिक्रिया भेजी। अब हम आगे की खनन योजना बना रहे हैं। हालांकि यह नक्सल प्रभावित क्षेत्र है इसलिए कुछ देरी हो सकती है, लेकिन काम पूरी गति से शुरू हो चुका है।
फिलहाल छोटी अवधि के लिए आपकी योजना क्या है?चालू वित्त वर्ष के दौरान हमारा पूरा ध्यान प्रमुख कारोबार को मजबूत बनाने पर रहेगा। अभी हम अपने संयुक्त उद्यमों को मजबूत करना चाहते हैं। इसके लिए योजना की घोषणा हमने पहले ही कर दी है और अब निवेश की तलाश में हैं। हमने अगले वर्ष मार्च तक हरियाणा स्थित पदक इकाई को दोबारा शुरू करने की योजना बनाई है और अगले वर्ष जून-जुलाई तक गोल्ड रिफाइनरी से उत्पादन शुरू हो जाएगा। यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी गोल्ड रिफाइनरी होगी। (BS Hindi)
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