नई दिल्ली October 31, 2010
चीनी पट्टी कहलाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सितंबर में जब भयंकर बाढ़ आई थी तो सभी को चीनी और गुड़ उत्पादन घटने तथा उनके भाव चढऩे की आशंका सताने लगी थी। उस इलाके में चीनी की पेराई शुरू होने में महीने भर का विलंब होने जा रहा है और कोल्हू भी चीनी मिलों को परेशान कर रहे हैं, लेकिन इन दोनों के भाव काबू में ही रहने के पूरे आसार हैं।इस क्षेत्र की सबसे बड़ी गुड़ मंडी मुजफ्फनगर के गुड़ व्यापारी संघ के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'बाढ़ से उत्पादन पर फर्क नहीं पड़ेगा और पिछले साल के मुकाबले इसमें इजाफा भी हो सकता है। मुजफ्फरनगर जिले में 5,500 और पड़ोसी बिजनौर जिले में भी 3,000 से ज्यादा कोल्हू हैं। मुरादाबाद और ज्योतिबा फुले नगर में भी इनकी खासी तादाद है। ये कोल्हू चालू भी हो चुके हैं।खंडेलवाल तो कहते हैं कि गुड़ का भाव इस बार नरम रह सकता है। वह कहते हैं, 'पिछले साल गुड़ चाकू का भाव 1,150 रुपये प्रति 40 किलोग्राम तक चढ़ गया था, जो इस बार 900 रुपये के दायरे में रह सकता है।कोल्हू तो ठीक हैं, लेकिन चीनी मिलें कुछ परेशान हैं। कोल्हू किसानों से 180 से 210 रुपये प्रति क्विंटल पर गन्ना खरीद रहे हैं और नकद भुगतान कर रहे हैं। पिछले साल चीनी मिलों ने भी किसानों को 200 से ऊपर का ही भाव दिया था। तब चीनी का भाव शिखर पर था और कंपनियां ज्यादा से ज्यादा उत्पादन चाहती थीं। आज हालात उलट हैं, इसलिए वे ज्यादा भाव नहीं देना चाहतीं। चीनी का भाव भी नरम है, लेकिन पेराई टली तो भाव चढ़ भी सकता है।इलाके की एक चीनी मिल के अधिकारी कहते हैं, 'अक्टूबर के अंत में पेराई शुरू हो जाती है लेकिन इस साल यह नवंबर के अंत तक खिंचेगी। इस साल गन्ने का रकबा पिछले साल से 20 -25 फीसदी ज्यादा है और कोल्हू वाले कुल गन्ना उपज का 30 से 35 फीसदी ही ले सकते हैं।। इसलिए चीनी मिलों को परेशान होने की जरूरत नहीं है।इस साल देश में चीनी का उत्पादन 2.55 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 1.90 करोड़ टन था। पूर्वी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में भी गन्ने की फसल बढिय़ा हुई है। चीनी की कीमतों में हालिया तेजी त्योहारी सीजन और सरकार द्वारा कम कोटा जारी करने की वजह से आ रही हैं। इसके अलावा चीनी के स्टॉक के कुछ हिस्से का गीला होना भी इसकी एक वजह बना हुआ है। (BS Hindi)
01 नवंबर 2010
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