मुंबई November 10, 2010
पिछले कुछ महीनों से कम उत्पादन व दुनिया भर में स्टॉक में कमी के अनुमान से उन कृषि जिंसों की कीमतें बढ़ रही हैं जिनकी कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार से प्रभावित होती हैं। निर्यात मांग में बढ़ोतरी और बड़ी अटकलों के बाद एक ओर जहां कपास की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है, वहीं चीनी की कीमतें निर्यात में सुधार की संभावना की वजह से बढ़ी है। खाद्य तेल के मामले में भारत आयात पर आश्रित है और यही वजह है कि पाम तेल व सोया तेल में वैश्विक संकेतों की वजह से इजाफा हो रहा है।पिछले एक महीने में चीनी की कीमतों में 5.8 फीसदी की बढ़त आई है और यह बढ़ोतरी इस उम्मीद में हुई है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती कीमतों का फायदा उठाने के लिए सरकार चीनी निर्यात की अनुमति देगी। लंदन एक्सचेंज में चीनी की कीमतें 30 साल के सर्वोच्च स्तर पर है और यह 800 डॉलर से ऊपर चल रहा है, ऐसे में चीनी की कीमत में पिछले एक महीने में करीब 40 फीसदी की उछाल आई है।कपास भी रिकॉर्ड स्तर पर है और रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमान के बावजूद इसकी कीमतें पिछले एक महीने में 22.3 फीसदी बढ़ी है और पिछले तीन महीने के दौरान यह 52.7 फीसदी चढ़ा है। वैश्विक स्तर पर सिर्फ एक महीने में कीमत में 56 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मंगलवार को यूएसडीए ने चीन से कपास की आपूर्ति के अनुमान में कमी रहने की संभावना जताई है और इससे संकेत मिलता है कि चीन ज्यादा कपास का आयात करेगा। भारत ने पहले ही 50 लाख गांठ कपास के निर्यात की मंजूरी दे दी है। इसके बाद से स्थानीय बाजार में कीमतें बढ़ रही हैं क्योंकि इस बाबत बड़ी अटकलें भी हैं। अहमदाबाद की जोखिम प्रबंधन वाली कंपनी के निदेशक ने कहा कि कपड़ा मिलों की मांग पूरी करना अभी बाकी है और सटोरिये इसकी कीमतें ऊंची रख रहे हैं। भारत में इस साल 3500 लाख गांठ कपास के उत्पादन की उम्मीद है। 1.52 डॉलर प्रति पाउंड के स्तर पर अंतरराष्ट्रीय कीमतें 140 साल के सर्वोच्च स्तर पर है। वैश्विक बाजार में बढ़ती कीमत की वजह से भारत में सोया तेल और पाम तेल की कीमतें पिछले एक महीने में 16-18 फीसदी बढ़ी हैं। आगे भी इसकेबढऩे की संभावना है क्योंकि मांग के मुकाबले उत्पादन में कमी की संभावना है और चीन के आयात में बढ़ोतरी होनी है।गोदरेज इंटरनैशनल के निदेशक दोराब मिस्त्री का अनुमान है कि साल 2010 में विश्व में पाम तेल के उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी होगी यानी इसमें करीब 3 लाख की बढ़ोतरी होगी। मलयेशिया में उत्पादन नकारात्मक रहेगा और इंडोनेशिया में इसमें मामूली बढ़ोतरी होगी।साल 2010 में मलयेशिया में 172 लाख टन कच्चा पाम तेल के उत्पादन का अनुमान है, जो कि साल 2009 के मुकाबले मामूली कम होगा, लेकिन मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त होगा। खाद्य बाजार भी सख्त नजर आ रहा है। चीन संभवत: अमेरिकी सोयाबीन की फसल का एक तिहाई खरीदेगा। यूएसडीए ने कहा है कि मक्का और सोयाबीन का भंडार तेजी से कम होगा। भारत मक्के का भी निर्यात करता है, हालांकि खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली फसल के तेजी से बाजार में उतरने के बाद कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है। (BS Hindi)
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