मुंबई November 17, 2010
बेहतर मॉनसून और रकबे में बढ़ोतरी के कारण इस साल चावल की पैदावार 12.36 फीसदी बढऩे की संभावना है। बुधवार को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा जारी अनुमान में यह बात कही गई है। संगठन का अनुमान है कि इस साल चावल की पैदावार पिछले साल के 8.9 करोड़ टन के मुकाबले 10 करोड़ टन रहेगी। चावल उत्पादन का वैश्विक अनुमान 46.7 करोड़ टन का है, जो जून की शुरुआत में व्यक्त किए गए 47.2 करोड़ टन से कम है, लेकिन 2009-10 से ज्यादा।उच्च उत्पादन के बावजूद भारत व यूनान समेत कई और देशों द्वारा पाबंदी लगाने की वजह से विश्व व्यापार के लिए इसकी उपलब्धता सीमित रहेगी। पिछले साल भारत ने महंगाई पर लगाम कसने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी।साल 2011 में वैश्विक स्तर पर 46 करोड़ टन चावल के इस्तेमाल का अनुमान लगाया गया है, जिसमें भोजन, चारा और दूसरे इस्तेमाल शामिल हैं। लेकिन यह साल 2010 के मौजूदा अनुमान से 1.6 फीसदी ज्यादा है। इसकी ज्यादातर मात्रा भोजन के रूप में इस्तेमाल होगी और मौजूदा साल के 38.8 करोड़ टन के मुकाबले यह 39.4 करोड़ टन के स्तर पर रहेगी। दूसरी ओर, चारे के रूप में इसका इस्तेमाल मौजूदा साल के 1.2 करोड़ टन के स्तर पर ही रहने की संभावना है। ताजा अनुमान के मुताबिक, साल 2010-11 में वैश्विक चावल उत्पादन इसकी खपत से करीब 70 लाख टन ज्यादा होगा। इस वजह से साल 2010 में बचे हुए (कैरीओवर स्टॉक) 12.6 करोड़ टन से बढ़कर 13.1 करोड़ टन हो जाएगी। इस बढ़ोतरी का ज्यादातर हिस्सा चीन और भारत में जमा होगा। (BS Hindi)
18 नवंबर 2010
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