मुंबई November 26, 2010
जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने टायर निर्माताओं के संगठन ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसेसिएशन (एटमा) और अहमदाबाद स्थित नैशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एनएमसीई) के बीच रबर कीमतों को लेकर चल रहे विवाद में किसी तरह का हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। एटमा ने एफएमसी से रबर के वायदा कारोबार पर रोक लगाने या इसके प्राइस बैंड यानी रोजाना इसके भावों में उतार-चढ़ाव की सीमा को घटाने की मांग की थी। हालांकि मामले को सुलझाने के लिए एटमा अगले सप्ताह अपना प्रयास और तेज करेगा। एटमा ने कहा है कि उसने अगले सप्ताह एक बार फिर इस मामले पर एफएमसी और एनएमसीई दोनों को पत्र लिख कर मामले से जुड़े हर बिंदु को स्पष्ट करने की योजना बनाई है। टायर निर्माता संघ एटमा चाहता है कि एनएमसीई रबर के वायदा भाव में रोजाना होने वाले उतार-चढ़ाव की सीमा को 4 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी कर दे। इसके लिए उसने एफएमसी को पहले ही पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। अब एक बार फिर से पत्र लिख कर टायर निर्माता संघ अपनी बात रखने का प्रयास करेगा। एटमा के महानिदेशक राजीव बुद्घराज कहते हैं, 'हमारे पास एनएमसीई में प्राकृतिक रबर के दामों में हो रहे उतार-चढ़ाव के पुख्ता प्रमाण हैं। हम इसे अगले सप्ताह सोमवार या मंगलवार तक एफएमसी के सामने पेश करेंगे। इसकी एक कॉपी एनएमसीई को भी दी जाएगी।' वर्ष 2003 में एनएमसीई में रबर का वायदा कारोबार शुरू हुआ है। एटमा का कहना है कि उसके पास तबसे लेकर अब तक रबर की कीमतों में हुए उतार-चढ़ाव से जुड़े प्रमाण हैं। एटमा का आरोप है कि खुले बाजार में रबर की कीमतों में आई उछाल के लिए भी वायदा कारोबार ही जिम्मेदार है। हालांकि एटमा के इस आरोप को हमेशा यह कह कर खारिज कर दिया गया है कि जिंसों के दामों में बढ़ोतरी एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और यह पूरी तरह से मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। एटमा ने अक्टूबर महीने के दूसरे पखवाड़े में रबर की कीमतों में हुए भारी उतार-चढ़ाव का प्रमाण प्रस्तुत करते हुए एफएमसी से अनुरोध किया था कि वायदा बाजार में रबर के वायदा भाव में रोजाना उतार-चढ़ाव की सीमा 4 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी कर दे। एटमा ने एफएमसी से यह भी अनुरोध किया है कि रबर की कीमतों में भारी उछाल को देखते हुए वायदा बाजार में इसके कारोबार पर प्रतिबंध लगा दे। एफएमसी ने 21 अक्टूबर को एनएमसीई से यह स्पष्टï करने के लिए कहा था कि रबर के वायदा भाव में असमान्य उतार-चढ़ाव के लिए कौन से कारक जिम्मेदार हैं। एक्सचेंज ने इसके बदले में अपना जवाब 23 अक्टूबर को बाजार नियामक को भेज दिया था। इसके बाद एफएमसी ने पिछले सप्ताह एटमा को इसका जवाब देते हुए कहा, 'आंतरिक जांच में पाया गया कि रबर के भाव बढऩे के पीछे एनएमसीई या वायदा बाजार किसी भी तरह जिम्मेदार नहीं है। ऐसे में एक्सचेंज के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है।' यानी जिंस बाजार आयोग ने एटमा का अनुरोघ पूरी तरह ठुकराते हुए इस मामले में कोई हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। टायर निर्माता से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, 'जिंस बाजार में प्राइस बैंड 4 फीसदी तक होना काफी अहम माना जाता है।' इस बीच नवंबर में असमय बारिश के चलते रबर के उत्पादन में 10 फीसदी तक की गिरावट की खबरें आ रही है। आरएसएस-4 रबर के भाव पहले ही 200 रुपये प्रति किलोग्राम के उच्चस्तर पर पहुंच चुके हैं। (BS Hindi)
29 नवंबर 2010
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