मुंबई November 25, 2010
असमय बारिश के चलते महाराष्ट्र में 10 लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि में लगी खरीफ की फसल को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा है। राज्य के कृषि विभाग द्वारा जारी प्राथमिक आंकड़ों के मुताबिक चावल, मक्का, कपास, सोयाबीन, प्याज की फसल को व्यापक तौर पर क्षति पहुंचने की आशंका है। राज्य में करीब 20 लाख हेक्टेयर भूमि में खरीफ की फसल लगी है, इसमें से लगभग 50 फीसदी हिस्से यानी 10 लाख हेक्टेयर भूमि लगी फसल असर बारिश के चलते बर्बाद हो रही है। इसके चलते किसानों को जबरदस्त नुकसान हुआ है। इसको देखते हुए राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टियों और कई सगठनों ने नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को भारी मुआवजा देने की भी मांग की है। राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वी राज चह्वान और राजस्व मंत्री बालसाहेब थोराट ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'जिलाधिकारियों और क्षेत्र के वरिष्ठï अधिकारियों को जमीनी स्थिति का जायजा लेकर इसकी विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंपने का निर्देश दिया गया है।' सरकार का अनुमान है कि शीत सत्र के दौरान नुकसान झेल रहे किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की जाएगी। कृषि आयुक्त पांडुरंग वथारकर ने कहा कि असमय बारिश का असर राज्य के 19 जिले में पड़ा है। फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान अकोला, अमरावती, नागपुर, भंडारा, गोंडिया, नासिक, सांगली और कोंकण क्षेत्र में हुआ है। उनके अनुसार करीब 1.3 लाख हेक्टेयर में लगी धान की फसल पूरी तरह तबाह हो गई है। बहरहाल, असमय बारिश के चलते राज्य में कुल खरीफ उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। हालांकि इसके बावजूद राज्य कृषि मंत्रालय ने धान का उत्पादन 28 लाख टन, मक्का 21 लाख टन, कपास 84 लाख गांठ, चना 11.8 लाख टन प्रस्तावित किया है। चालू फसल सत्र के दौरान कापस के रकबे में बढ़ोतरी हुई है। 2009-10 में 35 लाख हेक्टेयर भूमि में कपास की फसल लगाई गई थी जबकि इस साल 38 लाख हेक्टेयर भूमि में इसकी खेती हो रही है। बीटी कॉटन की मांग में वृद्घि के मद्देनजर इस साल किसानों ने कपास की खेती पर अधिक ध्यान दिया। इसके अलावा कपास की उत्पादकता में भी वृद्घि होने से किसानों का जोर इस पर रहा। इसी तरह तुअर का रकबा भी पिछले साल के 12 हेक्टेयर की तुलना में मामूली बढ़कर इस साल 1.24 हेक्टेयर हो गया। (BS Hindi)
26 नवंबर 2010
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