मुंबई November 25, 2010
प्याज की ऊंची कीमतें उपभोक्ताओं को अभी और रुलाएगी। इसके दाम घटने में अभी एक माह से भी लंबा वक्त लग सकता है। असमय बारिश के चलते इसकी पैदावार पर असर पड़ा है। इससे देश की प्रमुख मंडियों में प्याज की नई फसल काफी कम मात्रा में पहुंच रही है। जिससे इसके भाव में नरमी के फिलहाल कोई संकेत नहीं है। कर्नाटक और नासिक आदि कुछ क्षेत्रों में प्याज की पहली फसल पूरी तरह तैयार हो चुकी है लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से जारी मूसलाधार बारिश के चलते प्याज की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। यहां तक कि तैयार प्याज को भंडारित कर रख पाना भी मुश्किल हो रहा है क्योंकि प्याज की नई फसल में नमी की मात्र काफी ज्यादा है और इसके खराब होने का खतरा ज्यादा है। प्याज विक्रेता हरिओम ट्रेडर्स के मालिक नितिन पारेख कहते हैं, 'प्याज की नई फसल में नमी इतनी ज्यादा है कि इसे लंबे समय के लिए स्टोर कर रख पाना मुश्किल है। जबकि बाजार की इतनी क्षमता नहीं है कि एक-दो दिन के भीतर बड़ी मात्रा में प्याज की खपत हो सके। इस समय बाजार में नई प्याज तो आ रही है लेकिन इसमें नमी की मात्रा ज्यादा होने से अगले दो-तीन दिन के बाद इसके सडऩे-गलने का खतरा है।' प्रमुख प्याज उत्पादक केंद्रों से बाजार तक यातायात बाधित होने से भी आवक पर असर पड़ा है। भारी बारिश के चलते अगेल दो-तीन दिनों तक स्थिति सामान्य होने के संकेत नहीं है। पुराने और नए दोनों तरह के प्याज की कीमतें पिछले एक माह में दोगुनी से भी ज्यादा उछली है। पुरानी प्याज के दाम पिछले दिनों 33 से 38 रुपये प्रति किलोग्राम दर्ज किए गए। बाजार में जिस तरह नई फसल की आवक घट गई है उससे लगता है कि उपभोक्ताओं को प्याज 44 से 45 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदना पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि प्याज की कीमतें एक दशक पूर्व भी काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी। पिछले चार दिनों से लगातार असमय बारिश होने से कर्नाटक समेत नासिक में प्याज की उपज को भारी नुकसान पहुंचा है। कर्नूल और उससे लगे कर्नाटक के जिलों में ,जो प्याज का प्रमुख उत्पादक केंद्र है, 60 फीसदी से ज्यादा फसल बर्बाद हो गई है। इसी तरह गुजरात के कुछ अन्य क्षेत्रों से भी प्याज की आवक प्रभावित हो रही है। मुंबई के बड़े प्याज विके्रता के अनुसार बारिश खत्म होने के बाद नई फसल तैयार होने तक बाजार में इसकी आवक बढऩे की संभावना बिल्कुल भी नहीं है। ऐसे में उपभोक्ताओं को प्याज की ऊंची कीमत से राहत दिसंबर के पहले सप्ताह के बाद ही मिल सकती है। आपूर्ति कम होने की वजह से वैश्विक बाजारों से भी इस समय प्याज की भारी मांग हो रही है। इस साल पाकिस्तान में भी प्राकृतिक आपदा के चलते फसल प्रभावित हुई है जिससे वैश्विक बाजारों में इसकी आवक घटी है। (BS Hindi)
26 नवंबर 2010
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