24 नवंबर 2010
'ओएमएसएस' में गेहूं के भाव घटने के आसार
केंद्रीय पूल से गेहूं के उठाव में तेजी लाने के लिए सरकार खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बिक्री भावों में 64 रुपये प्रति क्विंटल की कमी कर सकती है। दिल्ली में गेहूं का ओएमएसएस के तहत बिक्री भाव 1,254.08 रुपये प्रति क्विंटल है जिसे घटाकर 1,190.08 रुपये प्रति क्विंटल करने की संभावना है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उच्चाधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) की अगले सप्ताह होने वाली बैठक में इस पर निर्णय लिए जाने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि इसी आधार पर अन्य राज्यों में भी ओएमएसएस के तहत बिक्री भावों में कमी की जाएगी। पंजाब और हरियाणा में ओएमएसएस के तहत गेहूं का बिक्री भाव 1,239.89 रुपये प्रति क्विंटल है। उत्तर प्रदेश में बिक्री भाव 1,287.24 रुपये, राजस्थान में 1,274.09 रुपये, मध्य प्रदेश में 1,310.61 रुपये तथा छत्तीसगढ़ में बिक्री भाव 1,364.75 रुपये प्रति क्विंटल है। दिल्ली के एक फ्लोर मिलर ने बताया कि राजधानी में एफसीआई के गेहूं का बिक्री भाव 1,254.08 रुपये प्रति क्विंटल है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गेहूं को उठाने पर परिवहन आदि की लागत मिलाकर करीब 50-60 रुपये प्रति क्विंटल का खर्च आ जाता है। इसके अलावा एफसीआई को एंडवास पेमेंट करनी होती है, जबकि खुले बाजार में गेहूं 1,290-1,300 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। खुले बाजार में फ्लोर मिलर को पेमेंट देने के लिए भी 15 दिन से एक महीने तक की मोहलत भी मिल जाती है, इसलिए मिलें ओएमएसएस के बजाय खुले बाजार से गेहूं की खरीद को तरजीह दे रही हैं। एफसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अक्टूबर 2009 से मार्च 2011 तक सरकार ने खुला बाजार बिक्री योजना के तहत बल्क कंज्यूमर को बेचने के लिए 16,69,342 टन गेहूं का आवंटन किया था। इसमें से 12 नवंबर तक 13,14,007 टन गेहूं की ही निविदा हो पाई है जबकि उठाव केवल 12,96,007 टन का हुआ है। ऐसे में 3,55,335 टन गेहूं अब भी बचा हुआ है। केंद्रीय पूल में पहली नवंबर को 255.58 लाख टन गेहूं का स्टॉक बचा हुआ था जो बफर के तय मानकों से ज्यादा है। उधर, चालू सीजन में कृषि मंत्रालय के अधिकारियों को 820 लाख टन गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने का भरोसा है। इसलिए सरकार गेहूं के नए मार्केटिंग सीजन से पहले गोदामों को हल्का करना चाहती है। केंद्रीय पूल में पहली नवंबर को खाद्यान्न का कुल स्टॉक 487.31 लाख टन का बचा हुआ था जो पिछले साल की समान अवधि के 485.09 लाख टन से ज्यादा है। वैसे भी इस समय चावल की सरकारी खरीद चल रही है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
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