लखनऊ November 10, 2010
बेहतर बारिश और खेतों में मौजूद पर्याप्त नमी के चलते अच्छी फसल की आस रखने वाले उत्तर प्रदेश के आलू किसानों के सामने अब बढिय़ा क्वॉलिटी के बीजों का संकट गहरा रहा है। सरकार के लाख दावों के बावजूद किसानों को आलू के बेहतर बीज उपलब्ध नही हो पा रहे हैं। आलू की बुआई का समय निकलता जा रहा है जबकि बाजार में उत्तम क्वॉलिटी के बीज नदारद हैं। आलू किसानों की पहली पसंद कुफरी और कुफरी बादशाह प्रजाति के आलू के बीज खोजने से नही मिल रहे हैं। सूबे की आलू बेल्ट फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, आगरा के किसानों के बीज बीते साल खासा लोकप्रिय हुआ। चिप्सोना प्रजाति के बीज भी बाजार से इस साल गायब हैं। आलू किसानों का कहना है कि इस समय जो भी बीज उपलब्ध हैं उनसे होने वाली पैदावार में पानी की मात्रा ज्यादा होती है जिससे अच्छी कीमत मिल पाना मुश्किल होता है। हालांकि सूबे के उद्यान अधिकारी रंजीत सिंह का कहना है कि सरकार की ओर से किसानों के लिए 12.45 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से कुफरी, कुफरी बादशाह और बहार प्रजाति के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में सिंह ने बताया कि कम से कम लखनऊ जनपद के किसानों के लिए को राजकीय उद्यान विभाग के सीड स्टोरों पर बीज ठीक-ठाक मात्रा में उपलब्ध हैं। किसानों की मांग पर बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्नत खेती करने वाले किसान ही इन अच्छी प्रजाति के बीजों की मांग करते हैं। दूसरी ओर सरकार की ओर से बीज की उपलब्धता के बारे में प्रादेशिक निजी पौधशाला संघ के सचिव शिवसरन सिंह का कहना है कि अब जबकि आलू की बोआई आधे से ज्यादा क्षेत्रफल में हो चुकी है तब बीज दिए जा रहे हैं। ऐसे में किसानों का नुकसान तो हो ही चुका है। मंहगे दामों पर आलू खरीदने वाली चिप्स कंपनियां चिप्सोना, कुफरी बादशाह से निचली क्वालटी का आलू खरीदती ही नही हैं। देशी आलू के बीज पैदावार तो दे देते हैं मगर उनमें पानी की मात्रा ज्यादा होने से सड़ते जल्दी हैं और कीमत भी अच्छी नहीं मिल पाती है। (BS Hindi)
12 नवंबर 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें