मुंबई November 01, 2010
भंडारण (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 2007 (डब्ल्यूडीआरए) के सफल कार्यान्वयन से देश की करीब 7,500 मंडियों में कारोबार के वॉल्यूम (मात्रा) में तगड़ी गिरावट की आशंका है। एक अनुमान के मुताबिक देश की लगभग 7,500 मंडियों में रोजाना तकरीबन 2,500-3,000 करोड़ रुपये के कृषि कमोडिटी का कारोबार होता है।भंडारण अधिनियम पिछले हफ्ते लागू किया गया था। अधिकारी फिलहाल डब्ल्यूडीआरए के तहत गोदामों और उनके मालिकों के लिए नियम और दिशानिर्देश तैयार कर रहे हैं, ताकि कृषि कमोडिटी का भंडारण सही तरीके से किया जा सके। तमाम शर्तें पूरी करने के बाद ही गोदाम रसीद (डब्ल्यूआर) जारी कर सकेंगे। इसकी बिक्री देश के तमाम हिस्सों में की जा सकेगी ताकि रिटर्न बढ़ाया जा सके।'केयर रेटिंग्स' के मुख्य अर्थविद् मदन सबनवीस ने कहा, 'इस प्रक्रिया की वजह से निश्चित रूप से आने वाले समय में मंडियों में कृषि कमोडिटी की वास्तविक आवक कम होगी। फिलहाल 30 फीसदी किसान अपने दम पर अपनी-अपनी उपज मंडियों तक लाते हैं। बाकी उपज की बिक्री स्थानीय आढ़तियों को होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि किसानों को तत्काल धन की जरूरत होती है, जिसकी पूर्ति के लिए उन्हें अपनी फसल बेचनी पड़ती है।Óजो 30 फीसदी किसान मंडियों तक पहुंचते हैं, उनमें से ज्यादातर जिंसों के वायदा बाजार में कदम नहीं रखते। यही वजह है कि वे अब भी ऑनलाइन वायदा कारोबार का फायदा नहीं उठा पाते। एक बार गोदाम रसीद की खरीद-फरोख्त और मोलभाव शुरू हो जाने के बाद कमोडिटी का वास्तविक आवागमन अवरुद्घ हो जाएगा। लेकिन सबनवीस का कहना है कि यह व्यवस्था लागू होने में फिलहाल लंबा समय लगेगा क्योंकि इसके उचित विनियमन की जरूरत होगी। इसके अलावा बेहतर बुनियादी ढांचा और किसान शिक्षा भी बहुत जरूरी है।एनसीडीईएक्स प्रवर्तित 'नैशनल कोलैटरल मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड' के प्रबंध निदेशक संजय कौल ने कहा, 'हां, यह सही है कि भविष्य में मौजूदा मंडियों को कारोबार का नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि ज्यादातर सौदे मंडियों के बाहर ही निपटा लिए जाएंगे।' गोदाम रसीद, जिसके साथ ही गुणवत्ता, मात्रा और वैधता की गारंटी होगी, से न केवल सिस्टम में भरोसा बढ़ेगा बल्कि इससे किसानों को भी फायदा होगा। इसकी मदद से उन्हें बैंकों की ओर से आसानी से कर्ज मुहैया कराया जाएगा। गोदाम रसीद में मोलभाव की गुंजाइश की वजह से बैंकों को प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण मुहैया करने में आसानी होगी। अब तक यह काम मुश्किल रहा है।फाइनैंशियल टेक्नोलॉजीज प्रवर्तित 'नैशनल बल्क हैंडलिंग कॉरपोरेशन' (एनबीएचसी) के प्रबंध निदेशक अनिल चौधरी के मुताबिक गोदाम रसीद की मोलभाव की क्षमता वित्तीय संस्थाओं और बैंकों के लिए सुरक्षाकवच का काम करेगी। इसकी बिना पर वे थोड़ा जोखिम उठा सकेंगे। बाद में सेकंडरी मार्केट में भी गोदाम रसीद को गिरवी रखकर कर्ज लेने का चलन जोर पकडग़ा। (BS Hindi)
02 नवंबर 2010
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