शिमला November 07, 2010
हिमाचल प्रदेश में इस साल सेब के उत्पादन ने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। प्रचुर पैदावार के बाद भी यहां के किसान खुश नजर नहीं आ रहे हैं क्योंकि पैदावार तो खूब बढ़ी लेकिन किसानों को इससे होने वाली आय बढऩे की बजाय घटकर आधी से भी कम रह गई। उनका कहना है कि फसल पूरी तरह तैयार करने में काफी परेशानी हुई और लंबा वक्त लगा। इससे सेब से मिलने वाली आय कम हो गई। राज्य सरकार के अधिकारी ने कहा कि पर्वतीय राज्य ने इस साल 4.20 करोड़ बक्से सेब का उत्पादन किया है। इसके अलावा राज्य सरकार ने भी करीब 1.10 लाख टन सेब का उत्पादन किया है। यह भी एक रिकॉर्ड है। बताया जाता है कि इससे पहले वर्ष 2007 में सेब का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था। लेकिन इस साल तो 2007 की तुलना में करीब 40 फीसदी ज्यादा सेब का उत्पादन हुआ है। राज्य सरकार द्वारा बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के तहत किया गया उत्पादन भी पिछले अधिकतम उत्पादन की तुलना में 2.5 गुना ज्यादा रहा। वहीं दूसरी तरफ, सेब की भारी पैदावार के बावजूद राज्य के किसानों के चेहरे पर मुस्कान नजर नहीं आ रही है। किसानों का मानना है कि भारी पैदावार की वजह से इस साल सेब के दामों में गिरावट आई है, जिससे उनकी आमदनी पर असर पड़ा है। हिमाचल सेब उत्पादक समाज के चेयरमैन राजीव चौहान कहते हैं, 'पिछले साल की तुलना में इस साल उनका सेब उत्पादन बढ़कर दोगुना हो गया है लेकिन इससे प्राप्त होने वाली आय पिछले साल की तुलना में धटकर आधी रह गई।' ऐसे में सेब किसानों का निराश होना लाजिमी है।
गुणवत्ता पर असर बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में किसानों ने कहा कि सेब पैदावार से आय घटने के पीछे कई वजह हैं। एक तो इस साल बहुत ज्यादा बारिश होने से सेब की गुणवत्ता पर असर पड़ा है। इससे बाजार में इसके ज्यादा दाम नहीं मिल पा रहे हैं। दूसरा, सेब की फसल को इस बार बीमारियों ने काफी नुकसान पहुंचाया। इससे बाकी सालों की तुलना में इस बार लागत खर्च बढ़ गया। (Bs Hindi)
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