नई दिल्ली November 03, 2010
त्योहारी मांग बढऩे के कारण सूखे मेवों पर महंगाई की परत चढऩे लगी है। कारोबारियों के मुताबिक दीवाली के मौके पर मेवों की मांग में इजाफा हुआ है। दीवाली के अवसर पर उपहार के तौर पर मेवों की काफी खरीदारी होती है और मिठाई निर्माताओं की ओर से भी इनकी मांग काफी बढ़ जाती है। मेवे महंगे होने की दूसरी वजह राष्टï्रमंडल खेलों के दौरान आवक घटने से उपलब्धता कम होना है। पिछले साल के मुकाबले इस बार बिक्री 15 फीसदी तक अधिक रह सकती है।दिल्ली स्थित एशिया के सबसे बड़े मेवे बाजार खारी बावली मंडी में महीने भर में काजू (320 नंबर)के दाम 70 रुपये बढ़कर 520 रुपये, बादाम (कैलिफोर्निया)के दाम 30 रुपये बढ़कर 370-380 रुपये और पिस्ता ईरानी के दाम 50 रुपये बढ़कर 650-720 रुपये प्रति किलोग्राम हो चुके हैं। बाजार में देसी किशमिश के दाम 150-180 रुपये और आयातित किशमिश के दाम 350-500 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहे हैं। खारी बावली व्यापार महासंघ के प्रधान और मेवा कारोबारी ऋषि मंगला ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि त्योहारों का सीजन होने के कारण मेवों की मांग बढ़ रही है। मंगला कहते है कि मेवों की सबसे अधिक खपत दीवाली पर होती है। इसलिए इस समय मेवों की मांग जोरों पर है। इस कारण इनकी कीमतों में तेजी का रुख है। मेवा कारोबारी नवीन कुमार का इस संबंध में कहना है कि इस समय मेवे दिल्ली से हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत अन्य राज्यों को जा रहे हैं। राजधानी के खुदरा कारोबारियों ने भी खरीद तेज कर दी है। यही कारण है कि मांग बढऩे से इनकी कीमतों भी बढ़ीं। उनका कहना है कि इस साल काजू की पैदावार पिछले साल से कम होने कारण भाव 70 रुपये अधिक है। काजू और कोकोआ विकास निदेशालय के एक अधिकारी के मुताबिक काजू की फसल में कीड़े लगने के कारण वर्ष 2009-10 के दौरान देश में इसका उत्पादन 10 फीसदी से अधिक घटकर 6.25 लाख टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2008-09 में देश में 6.95 लाख टन काजू का उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)
04 नवंबर 2010
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