01 नवंबर 2010
निर्यातकों की मांग से बढऩे लगे कोपरा के दाम
पैदावार में कमी और निर्यातकों की मांग बढऩे से नारियल की कीमतों में तेजी बनी हुई है। सरकार द्वारा पांच-पांच किलो के पैक में 10 हजार टन नारियल तेल के निर्यात की अनुमति देने के बाद से घरेलू कंपनियों की मांग बढऩे लगी है। इससे नारियल में तेजी को बल मिला है। कोकोनट बोर्ड के सीनियर टेक्निकल ऑफीसर एस. स्वामी ने बताया कि चालू सीजन में देश में नारियल की पैदावार में पिछले साल की तुलना में करीब आठ से दस फीसदी की कमी आने का अनुमान है। जबकि नारियल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। चालू वित्त वर्ष में अभी तक 25 हजार करोड़ रुपये का निर्यात हो चुका है जबकि पिछले साल कुल 47 हजार करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था। उन्होंने बताया कि सितंबर में सरकार ने पांच किलो की पैकिंग में 10 हजार टन नारियल तेल के निर्यात की अनुमति दी थी। उसके बाद से घरेलू कंपनियों की मांग भी बढ़ गई है। पायल ट्रेडर्स के मैनेजर रामदेव जोशी ने बताया कि उत्पादक मंडियों में पिछले महीने भर में ही नारियल की कीमतों में चार से पांच रुपये प्रति किलो की तेजी आ चुकी है। उत्पादक मंडियों में मिलिंग कोपरा का भाव बढ़कर 45 से 46 रुपये प्रति किलो और बॉल कोपरा का भाव बढ़कर 49 से 50 रुपये प्रति किलो हो गया है। उत्पाक मंडियों में पिछले साल इन दिनों मिलिंग कोपरा का भाव 28-29 रुपये और बॉल कोपरा का भाव 31 से 33 रुपये प्रति किलो था। केरल में नारियल की नई फसल की आवक फरवरी महीने में शुरू होगी, इसीलिए इसकी मौजूदा कीमतों में दो से तीन रुपये प्रति किलो की और तेजी आने की संभावना है। तमिलनाडु में नई फसल की आवक मई में शुरू होती है। इस समय कर्नाटक में आवक बनी हुई है। नेफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्पादक मंडियों में कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ज्यादा होने के कारण सरकारी खरीद कम हो गई है। चालू सीजन में अभी तक नेफेड ने एमएसपी पर 42 हजार टन नारियल की खरीद की है। विपणन सीजन 2010 के लिए केंद्र सरकार ने मिलिंग कोपरा का एमएसपी 4,450 रुपये और बॉल कोपरा का 4,700 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जो विपणन सीजन 2009 के बराबर ही है।बात पते कीचालू वित्त वर्ष में अभी तक 25 हजार करोड़ रुपये का निर्यात हो चुका है जबकि पिछले साल कुल 47 हजार करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)
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