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06 फ़रवरी 2010

केस्टर सीड में करेक्शन के आसार

निर्यातकों की अच्छी मांग से केस्टर सीड की कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है। चालू वित्त वर्ष के पहले दस महीनों में ही निर्यात सौदों में करीब 80 फीसदी का इजाफा हो चुका है। पर मार्च-अप्रैल में निर्यात मांग कम हो जाती है। इस दौरान उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड की आवक बराबर बनी रहती है। इसलिए स्टॉकिस्टों की मुनाफा वसूली से मौजूदा कीमतों में आंशिक गिरावट की आशंका है। स्टॉकिस्टों की खरीद से वायदा बाजार में पिछले बारह दिनों में केस्टर सीड के दाम 5.3 फीसदी दाम बढ़े हैं। हाजिर बाजार में भी इसकी कीमतों में पिछले एक सप्ताह में करीब 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है।वायदा में बढ़तनेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) में फरवरी महीने के केस्टर सीड वायदा अनुबंध में बारह दिनों में 5.3 फीसदी की तेजी आ चुकी है। 23 जनवरी को फरवरी महीने के वायदा अनुबंध में केस्टर सीड का दाम 2,752 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि शुक्रवार को इसका भाव बढ़कर 2,899 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। फरवरी महीने के वायदा अनुबंध में 380 लॉट के खड़े सौदे हुए हैं। कमोडिटी विशेषज्ञ अभय लाखवान के मुताबिक निवेशकों की मुनाफावसूली से केस्टर सीड की मौजूदा कीमतों में आंशिक गिरावट आने के आसार हैं। वैसे भी मार्च के बाद केस्टर तेल में निर्यात मांग कम हो जाती है।निर्यात में भारी बढ़तमुंबई स्थित केस्टर तेल के एक निर्यातक ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से जनवरी तक करीब 2.71 लाख टन केस्टर तेल के निर्यात सौदे हो चुके हैं, जबकि पिछले साल इस समय तक मात्र 1.50 लाख टन के निर्यात सौदे ही हुए थे। चालू वित्त वर्ष में चीन की मांग में भारी इजाफा हुआ है। पिछले पांच साल में भारत से केस्टर तेल का निर्यात दो लाख टन से कम का ही हो रहा था, लेकिन चालू वित्त वर्ष में निर्यात बढ़कर 2.90 लाख टन होने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव नीचे होने और रुपये के मुकाबले डॉलर कमजोर होने का असर फरवरी-मार्च में केस्टर तेल के निर्यात पर पड़ने की आशंका है।उत्पादक मंडियों में आवककेस्टर सीड व्यापारी चंद्रकांत भाई ने बताया कि गुजरात और राजस्थान की प्रमुख उत्पादक मंडियों में इस समय 65 से 70 हजार बोरी की दैनिक आवक हो रही है। आवक का दबाव मई-जून तक बराबर बने रहने की संभावना है। दिसंबर में नई फसल की आवक के समय उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड के दाम 2600 रुपये प्रति क्विंटल थे, जबकि इस समय बढ़कर 2825-2850 रुपये प्रति क्विंटल हो गये हैं। केस्टर तेल के दाम भी 525 रुपये से बढ़कर 600 रुपये प्रति दस किलो हो गये हैं। चूंकि उत्पादक मंडियों में भाव तेज हो गये हैं इसलिए स्टॉकिस्टों की बिकवाली बढ़ने से हाजिर बाजार में भी हल्की गिरावट की संभावना है। अन्य तिलहनों के मुकाबले केस्टर सीड में तेल की मात्रा ज्यादा होती है। औसतन केस्टर सीड में तेल की मात्रा 46-48 फीसदी होती है। केस्टर तेल के कुल उत्पादन का करीब 30-35 फीसदी ही घरेलू मार्केट में खपत होती है। चूंकि कुल उत्पादन का 60-65 फीसदी केस्टर तेल निर्यात होता है। इसलिए घरेलू बाजार में केस्टर सीड और तेल के दामों की तेजी-मंदी निर्यात मांग पर निर्भर रहती है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार चालू सीजन में देश में केस्टर सीड का उत्पादन 10 लाख टन होने की संभावना है। उधर कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2009-10 में भारत में केस्टर सीड का उत्पादन 9.46 लाख टन होने का अनुमान है जो कि वर्ष 2008-09 के 11.15 लाख टन से कम है। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

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