मुंबई February 04, 2010
महंगाई की मार तो हर कोई झेल रहा है। वार्षिक आधार पर खाद्य पदार्थों की महंगाई लगातार दूसरे हफ्ते दौड़ गई और 23 जनवरी को समाप्त हुए 12 महीनों में सूचकांक 17.56 फीसदी बढ़ गया।
पिछले हफ्ते यही आंकड़ा 17.40 फीसदी था यानी परेशानी बढ़ाने का सबब मौजूद है। लेकिन अगर हम आपसे कहें कि किसी कोने से राहत की खबर भी आ रही है तो आप यकीन करेंगे? जी हां, महंगाई की तपिश को कुछ कम करने का काम दालें कर सकती हैं।
रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचे दाल के भावों ने ही महंगाई के इंजन में तेल डाला था और राजनीतिक खेमों में भी इसकी वजह से खलबली मची हुई थी। लेकिन तीन महीने पहले के उच्चतम स्तर से ये भाव अब तकरीबन 40 फीसदी गिर चुके हैं। इसकी वजह है बढ़ता आयात और दालों की आवक।
पिछले साल नवंबर में थोक बाजारों में 55 रुपये प्रति किलोग्राम का स्तर छूने वाली उड़द दाल अब 37 रुपये प्रति किलो तक गिर चुकी है। इसकी सबसे महंगी किस्म तुअर 90 रुपये प्रति किलो की ऊंचाई से फिसलकर 65 रुपये प्रति किलो तक आ गई है। इसी तरह चना दाल 26 रुपये प्रति किलो से कम होकर 22 रुपये के भाव पर आ गई है।
दालें पोषण और प्रोटीन का सबसे सस्ता स्रोत होती हैं, इसीलिए आम भारतीय की ये पहली पसंद होती हैं। दाल आयातक संघ के अध्यक्ष के सी भरतिया ने कहा कि सरकार ने देसी बाजार में भाव कम रखने के लिए इस साल दालों के आयात का लक्ष्य बढ़ाकर 40 लाख टन कर दिया है। इसीलिए किसानों को भी अपनी फसल रोककर रखने की कोई तुक नजर नहीं आ रही है।
इस वजह से स्थानीय मंडियों में आवक भी दोगुनी हो गई है। दालें रबी की फसल होती हैं और उनकी कटाई जनवरी के दूसरे पखवाड़े में शुरू कर दी जाती है। भारत दुनिया भर में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक, आयातक और उपभोक्ता है। सरकार ने देश में मांग और आपूर्ति का अंतर पाटने के लिए दालों के शुल्क मुक्त आयात को हरी झंडी दे दी है।
कारोबारी सूत्रों के मुताबिक एमएमटीसी, एसटीसी और नेफेड जैसी सरकारी कंपनियों ने दालों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए अपने प्रतिनिधि म्यांमार भेजे हैं। भारत अभी 750 डॉलर प्रति टन के भाव से दालें खरीद रहा है। एक हफ्ते पहले से यह 150 डॉलर प्रति टन ज्यादा है। लेकिन सब्सिडी से देसी बाजारों पर फर्कनहीं हो रहा।
अब गलेगी दाल
आयात और आवक बढ़ने से दाल के थोक भाव घटे 40 फीसदी सरकारी एजेंसियां कर रही हैं आयात और भी बढ़ाने की कोशिशकिसान भी मंडियों में भेज रहे हैं फसल (बीएस हिन्दी)
06 फ़रवरी 2010
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