01 फ़रवरी 2010
चीनी की डगर पर दूध
पिछले दिनों क्षेत्र में पड़ी भारी धुंध व घने कोहरे के कारण चारे की फसल भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। बारिश व धूप की कमी के कारण चारे बुरी तरह बर्बाद हो गया है। पशु पालकों को दुधारू व अन्य पशुओं को महंगे दाम पर खुराक देनी पड़ रही है। हालत यह है कि जिले में बढ़े खर्च के कारण वेरका को भी दूध के दाम बढ़ाने पड़ रहे हैं। उधर, महंगाई से जूझ रहे लोगों पर दूध के बढ़े दामों ने बिजली गिरा दी है। मिल्क प्लांट प्रबंधकों के अनुसार दूध के खरीद मूल्य, पैकिंग मैटीरियल और अन्य खर्च बढऩे के कारण कीमतें बढ़ाना आवश्यक हो गया है। संधू डेयरी फार्म गुरदासपुर के मालिक बलविंदर सिंह और दूध विक्रेता जसविंदर सिंह रंधावा ने बताया कि मौसम ने चारे की फसल बर्बाद कर दी है। पशुओं की खुराक देने में काफी मुश्किल आ रही है। फीड और भूसा महंगे दाम पर खरीदना पड़ रहा है, ऐसे में कीमतें बढ़ाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। सिंथेटिक दूध की दस्तककीमतों में वृद्धि के कारण सिंथेटिक दूध का कारोबार करने वालों ने सिर उठाना शुरू कर दिया है। 15 रुपए प्रति लीटर में सिंथेटिक दूध बेच लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। ऐसे में आने वाले दिन सेहत विभाग के लिए खासी दिक्कत होगी।चारा महंगा होने से बिगड़े हालातबटाला & दूध का उत्पादन कम होने के पीछे कई तरह के कारण हैं, जैसे कि हरा चारा मंहगा होने के अलावा मवेशियों को दी जाने वाली फीड के दाम भी चरम पर हैं। छोटे उत्पादक डेयरी धंधा छोड़ते जा रहे हैं। जनसंख्या में वृद्धि के कारण दूध की मांग बढ़ रही है, लेकिन इसकी उत्पादन क्षमता की तरफ विशेष ध्यान नहंी दिया जा रहा। इससे दाम बढऩा सामान्य बात है। -भूपिंदर सिंह मान, राष्ट्रीय प्रधान भाकियू (दैनिक भास्कर)
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