04 नवंबर 2008
पामतेल के डिफॉल्टर आयातकों को सौदे उठाने का अल्टीमेटम
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम तेल के मूल्य तेजी से गिरने से ऊंचे भाव के पिछले सौदों की डिलीवरी का मामला सुलझता नजर नहीं आ रहा है। इंडोनेशिया के पाम तेल संघ ने समस्या से आजिज आकर भारत के डिफॉल्टर आयातकों को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने सौदों के अनुरूप डिलीवरी उठाने से मना किया तो उन्हें काली सूची में डाला जा सकता है। इस संबंध में संघ भारत सरकार से भी संपर्क करेगी।संघ के अध्यक्ष अकमलुद्दीन हासीबुआन ने भारतीय आयातकों चेतावनी देते हुए कहा कि पाम तेल के पहले से हुए सौदों को निरस्त न किए जाएं। अगर भारतीय आयातक सौदों की डिलीवरी लेने से मना करते हैं तो इंडोनेशिया पाम तेल संघ उन्हें ब्लैकलिस्टेड कर सकता है। हासीबुवान ने बताया कि अगले दो दिनों में वे भारत सरकार को पत्र भी लिखेंगे। ज्ञात हो कि पाम तेल का कारोबार और निर्यात इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। लेकिन वैश्विक बाजारों में पाम तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट की वजह से यहां पाम तेल की मांग बढ़ने की जहां मांग घटने की समस्या आ गई है। भारत सहित दुनिया के कई देशों से हुए निर्यात सौदों की डिलीवरी नहीं हो पा रही है। ऐसे में यहां के निर्यातकों को दोहरा खर्च वहन करना पड़ा रहा है। बुर्सा मलेशिया डेरिव्हेटिव में पिछले महज एक महीने के दौरान पाम तेल के भाव में करीब 28 फीसदी की गिरावट आई है। जबकि पिछले तीन महीनों के दौरान यहां पाम तेल का भाव करीब 42 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है। कारोबारियों के मुताबिक वैश्विक बाजार में कज्जो तेल की कीमतों में आई गिरावट की वजह से पाम तेल की कीमतों में गिरावट आई है। दरअसल बायोफ्यल की मांग बढ़ने को लेकर हो रही वैश्विक बाजारों में सट्टेबाजी कम हुई है। ऐसे में माना यह जा रहा है कि इस साल दुनिया में पाम तेल की मांग में कमी आ सकती है। वहीं इस गिरावट पर अमेरिका और भारत में सोयाबीन के उत्पादन में बढ़त की संभावना का भी असर देखा जा रहा है। भारत में इस साल करीब 1.10 करोड़ टन सोयाबीन उत्पादन की संभावना है। सरकारी अनुमान के मुताबिक अगले साल देश में सरसों का भी उत्पादन बढ़ सकता है। भारत को प्रति वर्ष अपनी पूरी जरूरत का करीब पचास फीसदी खाद्य तेल विश्व बाजारों से आयात करता है। वैश्विक बाजारों में पाम तेल की कीमतें कम होने की वजह से भारत में इसका काफी ज्यादा आयात होता है। लेकिन पिछले दो महीनों से पाम तेल की कीमतों में चल रही भारी गिरावट की वजह से भारतीय आयातक सौदों की डिलीवरी लेने से मना कर रहे हैं। कारोबारियों के मुताबिक यह वह सौदे हैं जो दो महीने पहले ऊंचे दामों पर किए गए थे। लेकिन अब भारतीय बाजारों में भी सोयाबीन और सरसों सहित खाद्य तेलों की कीमतों काफी नीचे आ चुकी है। इसका खमियाजा इंडोनेशिया के पाम तेल निर्यातकों को उठाना पड़ रहा हैं। (Business Bhaskar)
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