10 नवंबर 2008
सरसों की लेट बुवाई से रोग लगने का अंदेशा
कृषि अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार समय बीतने के बाद भी अगर किसान सरसों की बुवाई करते हैं तो फसल को रोगों से बचाने और बेहतर पैदावार लेने के लिए उनको कई उपाय करने होंगे अन्यथा लेट बुबाई करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।भरतपुर स्थित राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केंद्र के शोधकर्ता अशोक कुमार शर्मा के अनुसार सरसों की बुवाई का आदर्श समय वैसे तो 1 से 15 अक्टूबर तक होता है लेकिन नवंबर के पहले सप्ताह तक कुछ एहतियात के साथ किसान बुवाई कर सकते हैं। इसके बाद भी अगर किसान बुवाई करते हैं तो उनको नुकसान की आशंका ज्यादा होती है क्योंकि नवंबर के पहले सप्ताह के बाद बोई जाने वाली सरसों के पौधे व फूल दिसंबर के अंत तक आते हैं। उस समय तापमान दो-तीन डिग्री सेल्शियस से भी नीचे चला जाता है और पाला पड़ने की आशंका भी रहती है।ऐसे में पौधे व फूल खराब होने से बचने के लिए किसानों को गंधक का तेजाब छिड़कते रहना चाहिए। अन्यथा बोया गया बीज खराब हो जाएगा। उन्होंने बताया कि सरसों की बुवाई के समय 30 से 32 डिग्री सेल्शियस हो तो बेहतर होता है। इससे ज्यादा तापमान ज्यादा होने पर फसल में पेटेंटबग नामक कीड़ा लगने की आशंका रहती है। इसका ध्यान रखना भी जरूरी है। तापमान ज्यादा होने के कारण राजस्थान के बीकानेर व नागौर बेल्ट में सरसों की बुवाई लक्ष्य कम रहने की आशंका है क्योंकि काफी विलंब होने के कारण किसान अब सरसों की बजाय गेहूं की बुवाई पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। राजस्थान कृषि निदेशालय के मुख्य सांख्यिकी अधिकारी पन्ना लाल चौधरी ने बताया कि पिछले वर्ष के 24 लाख के मुकाबले इस साल राज्य में 27 लाख हैक्टेयर में सरसों की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है। इसमें अब तक 22 लाख हैक्टेयर भूमि में सरसों की बुवाई की जा चुकी है जबकि पिछले वर्ष समानावधि में 13.9 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। नवंबर के पहले सप्ताह तक के बुवाई के आंकड़ों को अगर तुलनात्मक रूप से देखें तो पिछले वर्ष के मुकाबले सरसों का रकबा 67 फीसदी बढ़ा है जबकि अभी बीकानेर व नागौर बेल्ट में सरसों की बुवाई होना बाकी है। अक्टूबर में तापमान ज्यादा होने से किसानों को मजबूर होकर सरसों की बुवाई लेट करनी पड़ रही है। इस कारण सरसों की नई फसल में विलंब की आशंका भी हो गई है। पिछले वर्ष राज्य में 23.52 लाख टन सरसों की पैदावार हुई थी और सरसों की बुवाई के मौजूदा टेंड्र को देखते हुए इस बार सरसों की पैदावार पिछले वर्ष के स्तर के पार होने की संभावना है। (Business Bhaskar)
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