मुंबई November 02, 2008
विकसित देशों की अर्थव्यवस्था से मिल रहे अनुकूल संकेत और दुनिया भर के अग्रणी उत्पादकों की ओर से उत्पादन में कटौती के ऐलान से इस हफ्ते आधारभूत धातुओं में सुधार हो सकता है और यह 10 फीसदी तक की उडान भर सकता है।
खबर है कि आधारभूत धातुओं के मामले में दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक और उपभोक्ता चीन ने विदेशी बाजार से औद्योगिक धातुओं की खरीदारी की योजना फिलहाल रद्द कर दी है क्योंकि उसे लगता है कि अंतरराष्ट्रीय मंदी के चलते इसकी कीमतों में और गिरावट आ सकती है। इस वजह से बाजार में आधारभूत धातुओं की भरमार है। आनंद राठी कमोडिटी के विशेषज्ञ नवनीत दमानी ने कहा - चूंकि आधारभूत धातुओं की कीमत अपने न्यूनतम स्तर पर हैं, इसलिए इसमें और गिरावट की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के सेंसेक्स में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है और अन्य मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में कमजोरी है, इसलिए आधारभूत धातुओं में 10 फीसदी तक के उछाल से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने हालांकि कहा कि इसका मतलब ये नहीं है कि इसमें गिरावट की कोई संभावना ही नहीं है यानी गिरावट का दौर समाप्त हो चुका है।जैसा कि पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि अमेरिका के दूसरे पैकेज से शेयर बाजार में तरलता आएगी और वह दिखी भी। कुछ ऐसा ही जोश-खरोश अब औद्योगिक जिंस बाजार में भी दिख सकता है।उधर, रेलिगेयर कमोडिटी के प्रमुख जयंत मांगलिक ने कहा कि आधारभूत धातुओं की मांग में अचानक सुधार मुमकिन नहीं दिखता क्योंकि हाउसिंग सेक्टर उलटी दिशा में चल रहा है।उन्होंने कहा कि जब तक कंपनियां अपने आउटपुट में बहुत बड़ी कटौती नहीं करती तब तक कीमतों में सुधार मुमकिन नहीं। उन्होंने कहा कि अगर कोई कंपनी आज कटौती का ऐलान करती है तो बाजार पर इसका असली असर तीन महीने बाद ही दिखेगा।मांगलिक ने कहा कि औद्योगिक जिंस का बाजार पर शेयर बाजार का अच्छा खासा असर देखा जा रहा है, ऐसे में अगर शेयर बाजार सकारात्मक रुख लेता है तो इस बाजार पर भी इसका अच्छा असर पड़ना लगभग तय है।पिछले हफ्ते तांबा नकारात्मक क्षेत्र में चला गया था और यह करीब 9 फीसदी तक गिरा था क्योंकि मांग में आई कमी के चलते दुनिया भर में इस धातु की अच्छी खासी बिकवाली देखी गई थी। रेलिगेयर कमोडिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस धातु का भविष्य फिलहाल उतना अच्छा नहीं देखा जा रहा क्योंकि चीन को छोड़कर बाकी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सिकुड़ रही है। बिजली और निर्माण में मुख्य रूप से इस्तेमाल होने वाले इस धातु यानी तांबे का स्टॉक लंदन मेटल एक्सचेंज के वेयरहाउस में 6775 टन बढ़कर 2.3 लाख टन पर जा पहुंचा है जो मार्च 2004 के बाद सर्वोच्च स्तर पर है। जुलाई में 8940 डॉलर प्रति टन के रेकॉर्ड कीमत पर पहुंच चुका तांबा अब तक 55 फीसदी लुढ़क चुका है।
अकेले अक्टूबर महीने में तांबे की कीमत में 35 फीसदी गिरी है और यह 1986 की कीमत के निचले स्तर पर पहुंचने ही वाला है।दुनिया के सबसे बड़े तांबा उत्पादक चिली के कोल्डिको ने कहा है कि इस साल के पहले नौ महीने में उनका उत्पादन 8.2 फीसदी गिरा है क्योंकि यहां कामगारों ने हड़ताल भी की थी और इसके अयस्क के ग्रेड में भी गिरावट आई थी। एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि तांबा और जस्ता तेजी की तरफ बढ़ रहा है जबकि सीसा और एल्युमीनियम में ऐसा नहीं है। अगर निकल (स्टेनलेस स्टील में इस्तेमाल किया जाने वाला) में गिरावट आती है तो यह खरीदारी का मौका उपलब्ध कराएगा और इस वजह से कीमतों में तेजी आएगी।पिछले हफ्ते लंदन मेटल एक्सचेंज में आधारभूत धातुओं की कीमत में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया। वैसे फंडों की सटोरिया खरीदारी के चलते कई धातुओं की कीमतें चढ़ी हैं। पिछले सोमवार को तांबा की कीमत 3686 डॉलर प्रति टन थी जो गुरुवार को बढ़कर 4497 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई। पर मुनाफावसूली के चलते शुक्रवार को इसकी कीमत गिरकर 3995 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई। इसी तरह एल्युमीनियम की कीमत में सप्ताह के दौरान 4.48 फीसदी की मजबूती आई। जस्ते में मामूली बढ़ोतरी हुई तो सीसा और निकल क्रमश: 21.81 फीसदी व 15.36 फीसदी तेज रहा। (BS Hindi)
03 नवंबर 2008
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