August 07, 2008! पिछले साल दलहन, कपास और मक्के की रेकॉर्ड पैदावार होने के बाद इस साल इन फसलों की पैदावार में गिरावट आने का अनुमान है।
सीजन के शुरुआती दिनों में कई राज्यों के हालात सूखे जैसी हो जाने से इनकी बुआई ठीक से नहीं हो पायी जिससे पिछले साल के मुकाबले ये हालात उत्पन्न हुए हैं। हालांकि खरीफ सीजन की मुख्य फसल चावल का उत्पादन इस साल पिछले साल के उत्पादन को पीछे छोड़ देगा। अनुमान तो यह भी है कि उत्पादन के मामले में इस सीजन में चावल नया रेकॉर्ड बनाएगा।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय में कृषि आयुक्त एन बी शुक्ला ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि दलहन के रकबे में 20 लाख हेक्टेयर से अधिक की कमी हुई है। शुरुआती समय में बारिश न होने से उड़द और मूंग की बुआई प्रभावित हुई। अभी कुछ दिन पहले कई जगह जोरदार बारिश हुई लेकिन अगस्त में दालों की बुआई नहीं होती। ऐसे में इन दालों के रकबे में कमी हो चुकी है।
जाहिर है इससे दालों के उत्पादन पर भी असर पड़ने की उम्मीद है। सिंह ने बताया कि दालों की बुआई को सामान्य मानना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस वजह से दालों के उत्पादन 5 से 6 लाख टन की कमी आने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि पिछले सीजन में देश में दालों का उत्पादन 64.5 लाख टन रहा था।
खरीफ सीजन के फसलों में तिलहन, गन्ना और कपास भी उन फसलों में शामिल है जिनका रकबा और उत्पादन कम होने की संभावना है। महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में जून-जुलाई में बारिश न के बराबर हुई थी। कपास का उत्पादन क्षेत्र इस साल पिछले साल की तुलना में 10 लाख हेक्टेयर कम रहने की संभावना है। अब बारिश हुई भी तो बुआई का समय बीत चुका है।
ऐसी स्थिति में साफ है कि कपास का कुल उत्पादन पिछले साल की बनिस्बत कम रहेगा। हालांकि घरेलू उपभोग के लिए कपास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहेगा, ऐसी उम्मीद की जा रही है। सिंह ने कहा कि घरेलू खपत को पूरा करने के लिए निर्यात में कटौती की जा सकती है। मक्के के उत्पादन क्षेत्र में भी 7.5 लाख हेक्टेयर की कमी आने की संभावना है। बाजार में दाल, कपास और मक्के की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
जानकारों की माने तो रकबे में कमी के अनुमान से इन जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। शुक्र है कि इन फसलों के कमजोर प्रदर्शन की खबरों के बीच चावल के उत्पादन में रेकॉर्ड वृद्धि होने की बात कही जा रही है। पिछले साल की तुलना में चावल के रकबे में 24 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हो चुकी है। पिछले साल, धान का उत्पादन 9.643 करोड़ टन रहा था।...BS Hindi
08 अगस्त 2008
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