कुल पेज दृश्य

22 मई 2009

डॉलर गिरने और आयात बढ़ने से खाद्य तेल सस्ते

डॉलर कमजोर होने और आयात में हुई भारी बढ़ोतरी से खाद्य तेलों में गिरावट बनी हुई है। पिछले दस दिनों में खाद्य तेलों के भाव चार रुपये किलो तक गिर चुके हैं। रुपये के मुकाबले डॉलर घटकर 47.32 के स्तर पर आ गया है। जबकि चालू तेल वर्ष के पहले छह महीनों (नवंबर से अप्रैल) में खाद्य तेलों के आयात में 64 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है। वैसे भी मई-जून महीने में खाद्य तेलों की मांग कमजोर ही रहती है। ऐसे में घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के मौजूदा भावों में और भी दो-तीन रुपये प्रति किलो की गिरावट आने की संभावना है।दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि घरेलू बाजार में खाद्य तेलों में मांग कमजोर होने से पिछले आठ-दस दिनों में करीब तीन-चार रुपये प्रति किलो की गिरावट आ चुकी है। आयात में हुई भारी बढ़ोतरी से भी खाद्य तेलों की गिरावट को बल मिल रहा है। जबकि रुपये के मुकाबले डॉलर में आई गिरावट से खाद्य तेलों का आयात और सस्ता हो जाएगा। वैसे भी मलेशिया में पाम का सीजन शुरू हो गया है। मई-जून महीने में खाद्य तेलों की खपत भी कम हो जाती है। ऐसे में आगामी दिनों में इनके मौजूदा भावों में और भी दो-तीन रुपये प्रति किलो की गिरावट आ सकती है। पिछले दस दिनों में रिफाइंड सोया तेल के भाव इंदौर में 492 रुपये से घटकर 472 रुपये, पाम तेल के भाव कांडला पोर्ट पर 405 रुपये से घटकर 373 रुपये, रिफाइंड सनफ्लावर तेल के भाव मुंबई में 495 रुपये से घटकर 480 रुपये, मूंगफली तेल के भाव राजकोट में 555 रुपये से घटकर 550 रुपये तथा सरसों तेल के भाव जयपुर में 481 रुपये से घटकर 467 रुपये प्रति दस किलो रह गए। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीईए) के मुताबिक चालू तेल वर्ष के पहले छह महीनों (नवंबर से अप्रैल) में अभी तक देश में खाद्य तेलों का आयात 42.92 लाख टन का हो चुका है। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले इसमें 64 फीसदी का भारी इजाफा हुआ है। पिछले साल की समान अवधि में खाद्य तेलों का आयात 26.11 लाख टन का हुआ था। विजय सोल्वेक्स लिमिटेड के विजय डाटा ने बताया कि चुनाव के बाद खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क लगने की संभावना के कारण आयातकों द्वारा भारी मात्रा में आयात किया गया है। अग्रिम सौदे होने से मई-जून में भी आयात में बढ़ोतरी होने की संभावना है। लेकिन अगर केंद्र ने आयातित खाद्य तेलों पर शुल्क नहीं लगाया तो आगामी महीनों में आयात कम हो सकता है। आयात में भारी बढ़ोतरी और घरेलू बाजार में मांग कमजोर होने से खाद्य तेलों के मौजूदा भावों में और भी गिरावट की संभावना है। खाद्य तेलों की सालाना खपत 130-135 लाख टन की होती है तथा घरेलू उत्पादन 65-70 लाख टन है। अत: घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हमें 50-55 फीसदी खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है। (Business Bhaskar.....R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: