आर एस राणा
केंद्र सरकार डाकघरों के बाद अब खादी भंडार की दुकानों के जरिये दालें विशेष रूप से चने की दाल की बिक्री करने की योजना बना रही है। इस योजना का मकसद देश में दालों की कीमतें नियंत्रित करना है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि जिंस एक्सचेंज नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनसीडीईएक्स) के जरिये भी बड़ी मात्रा में दालों की बिक्री की जाएगी। इस पहल का मकसद राज्य सरकारों के प्रशासनिक तंत्र को किनारे करते हुए उपभोक्ताओं तक सस्ती दालें पहुंचाना है क्योंकि कुछ राज्य आवंटित दालें लेने के इच्छुक ही नहीं हैं।
डाघकरों के जरिये दालों की बिक्री 1 नवंबर से देश के चुनिंदा डाघकरों के जरिये करने का फैसला लिया गया है। देश में 1,54,000 से अधिक डाकघर हैं, जिनमें से 1,30,000 से अधिक डाकघर सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में हैं। उपभोक्ता मामलों के सचिव हेम पांडे की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालय समिति ने नई दिल्ली में हुई अपनी बैठक में यह फैसला लिया। इस बैठक में खाद्य, उपभोक्ता मामले, कृषि, वाणिज्य और वित्त मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
पिछले एक महीने के दौरान दालों, विशेष रूप से चने की दाल के दाम देश के खुदरा बाजारों में करीब 20 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ गए हैं। चने की आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए समिति ने खुदरा वितरण के लिए सरकारी एजेंसियों को और स्टॉक मुहैया कराने का फैसला किया है। केंद्र सरकार पिछले कई महीनों से राज्य सरकारों और नेफेड एवं मदर डेयरी जैसी सरकारी एजेंसियों को खुदरा वितरण के लिए अपने बफर स्टॉक से अरहर और उड़द की दालें मुहैया करा रही है। ये दालें रियायती दरों पर उपलब्ध कराई जा रही हैं ताकि उपभोक्ताओं को ऊंची कीमतों की मार न झेलनी पड़े।
सरकार ने इस साल 20 लाख टन दालों के बफर स्टॉक का लक्ष्य तय किया है। ये दालें घरेलू बाजार में किसानों से खरीदी जा रही हैं। इसके अलावा आयात भी किया जा रहा है। सरकार ने चालू खरीफ सीजन में 50,000 टन दालों की खरीद का लक्ष्य तय किया है। अब तक 500 खरीद केंद्र खोले जा चुके हैं । ......आर एस राणा
केंद्र सरकार डाकघरों के बाद अब खादी भंडार की दुकानों के जरिये दालें विशेष रूप से चने की दाल की बिक्री करने की योजना बना रही है। इस योजना का मकसद देश में दालों की कीमतें नियंत्रित करना है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि जिंस एक्सचेंज नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एनसीडीईएक्स) के जरिये भी बड़ी मात्रा में दालों की बिक्री की जाएगी। इस पहल का मकसद राज्य सरकारों के प्रशासनिक तंत्र को किनारे करते हुए उपभोक्ताओं तक सस्ती दालें पहुंचाना है क्योंकि कुछ राज्य आवंटित दालें लेने के इच्छुक ही नहीं हैं।
डाघकरों के जरिये दालों की बिक्री 1 नवंबर से देश के चुनिंदा डाघकरों के जरिये करने का फैसला लिया गया है। देश में 1,54,000 से अधिक डाकघर हैं, जिनमें से 1,30,000 से अधिक डाकघर सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में हैं। उपभोक्ता मामलों के सचिव हेम पांडे की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालय समिति ने नई दिल्ली में हुई अपनी बैठक में यह फैसला लिया। इस बैठक में खाद्य, उपभोक्ता मामले, कृषि, वाणिज्य और वित्त मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
पिछले एक महीने के दौरान दालों, विशेष रूप से चने की दाल के दाम देश के खुदरा बाजारों में करीब 20 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ गए हैं। चने की आपूर्ति बढ़ाने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए समिति ने खुदरा वितरण के लिए सरकारी एजेंसियों को और स्टॉक मुहैया कराने का फैसला किया है। केंद्र सरकार पिछले कई महीनों से राज्य सरकारों और नेफेड एवं मदर डेयरी जैसी सरकारी एजेंसियों को खुदरा वितरण के लिए अपने बफर स्टॉक से अरहर और उड़द की दालें मुहैया करा रही है। ये दालें रियायती दरों पर उपलब्ध कराई जा रही हैं ताकि उपभोक्ताओं को ऊंची कीमतों की मार न झेलनी पड़े।
सरकार ने इस साल 20 लाख टन दालों के बफर स्टॉक का लक्ष्य तय किया है। ये दालें घरेलू बाजार में किसानों से खरीदी जा रही हैं। इसके अलावा आयात भी किया जा रहा है। सरकार ने चालू खरीफ सीजन में 50,000 टन दालों की खरीद का लक्ष्य तय किया है। अब तक 500 खरीद केंद्र खोले जा चुके हैं । ......आर एस राणा
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