आर एस राणा
नई दिल्ली। इस साल देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन (जून से सितंबर) दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 97 फीसदी था। हालांकि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक इसमें थोड़ी कमी थी लेकिन 2013 के बाद से देश में यह पहला सामान्य मॉनसून था। अगर बारिश 96 और 104 फीसदी एलपीए के बीच होती है तो इसे सामान्य माना जाता है। वर्ष 1951 से लेकर पिछले 50 सालों में देश में हुई औसत बारिश ही एलपीए है जो अनुमानत: 887 सीएम रहने की उम्मीद है। देश के करीब 85 फीसदी भौगोलिक क्षेत्र में इस सीजन में सामान्य या अतिरिक्त बारिश हुई है। बारिश की कमी वाले 15 फीसदी क्षेत्र कर्नाटक, केरल, पंजाब और गुजरात के हिस्से में आते हैं।
लगातार चार सालों तक कर्नाटक में इस बार भी सूखा घोषित किया है और यह सूखा राज्य के करीब आधे हिस्से में है। अच्छी बारिश की वजह से जलाशयों में भी पानी भर गया। सितंबर के आखिर में करीब 91 जलाशयों में जल स्तर 117 अरब क्यूबिक मीटर था। यह पिछले साल की पूर्ण क्षमता का 74 फीसदी तक था जो पिछले साल 122 फीसदी तक था और यह पिछले 10 सालों के औसत भंडारण का 97 फीसदी तक है।
कुल 36 मौसम विज्ञान संबंधी उपविभागों में से देश के कुल क्षेत्र के 72 फीसदी हिस्से वाले 23 उपविभागों में सामान्य बारिश हुई और इस सीजन के दौरान 4 उपविभागों (कुल क्षेत्र का 13 फीसदी) में सीजन के दौरान ज्यादा बारिश हुई। हालांकि 9 उपविभागों जिनमें देश के कुल क्षेत्र का 15 फीसदी हिस्सा आता है वहां कम बारिश हुई। इनमें से ज्यादातर 9 उप विभाग बड़े राज्यों के अंतर्गत आते हैं।
देश के मौसम विभाग (आईएमडी) ने 4 फीसदी की बढ़त और कमी वाले मॉडल के साथ बारिश के 106 फीसदी एलपीए के साथ 'सामान्य से ऊपर' रहने का अनुमान लगाया था। हालांकि मौसम विभाग का पूर्वानुमान पिछले 10 सालों में तीसरी बार गलत हुआ। इसकी वजह यह थी कि ला-नीना के पूर्वानुमान, हिंद महासागर के प्रतिकूल डाइपोल, मैडेन जुलियन ऑसलेशन के बारे में कुछ गलत अंदाजा लगा। मौसम विभाग के मुताबिक उत्तरी-पश्चिम भारत के चार क्षेत्रों मसलन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सीजन वाली बारिश एलपीए के करीब 95 फीसदी तक थी जबकि यह बारिश मध्य भारत में एलपीए के 106 फीसदी तक थी।
कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में बारिश एलपीए के 92 फीसदी तक थी जबकि पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में बारिश 50 साल के औसत के 89 फीसदी तक थी। वहीं पश्चिमोत्तर भारत में 615.1 मिमी सामान्य बारिश के मुकाबले बारिश 584.2 मिमी तक हुई। वहीं मध्य भारत में 875.3 मिमी सामान्य बारिश के मुकाबले 1,034.1 मिमी बारिश हुई। दक्षिण भारत में चार महीने के सीजन के दौरान 715.6 मिमी सामान्य बारिश के मुकाबले 661.5 मिमी बारिश हुई जबकि पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, असम और पूर्वोत्तर राज्यों में 1,437.8 मिमी सामान्य बारिश के मुकाबले 1,281.5 मिमी बारिश हुई।......आर एस राणा
नई दिल्ली। इस साल देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन (जून से सितंबर) दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 97 फीसदी था। हालांकि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक इसमें थोड़ी कमी थी लेकिन 2013 के बाद से देश में यह पहला सामान्य मॉनसून था। अगर बारिश 96 और 104 फीसदी एलपीए के बीच होती है तो इसे सामान्य माना जाता है। वर्ष 1951 से लेकर पिछले 50 सालों में देश में हुई औसत बारिश ही एलपीए है जो अनुमानत: 887 सीएम रहने की उम्मीद है। देश के करीब 85 फीसदी भौगोलिक क्षेत्र में इस सीजन में सामान्य या अतिरिक्त बारिश हुई है। बारिश की कमी वाले 15 फीसदी क्षेत्र कर्नाटक, केरल, पंजाब और गुजरात के हिस्से में आते हैं।
लगातार चार सालों तक कर्नाटक में इस बार भी सूखा घोषित किया है और यह सूखा राज्य के करीब आधे हिस्से में है। अच्छी बारिश की वजह से जलाशयों में भी पानी भर गया। सितंबर के आखिर में करीब 91 जलाशयों में जल स्तर 117 अरब क्यूबिक मीटर था। यह पिछले साल की पूर्ण क्षमता का 74 फीसदी तक था जो पिछले साल 122 फीसदी तक था और यह पिछले 10 सालों के औसत भंडारण का 97 फीसदी तक है।
कुल 36 मौसम विज्ञान संबंधी उपविभागों में से देश के कुल क्षेत्र के 72 फीसदी हिस्से वाले 23 उपविभागों में सामान्य बारिश हुई और इस सीजन के दौरान 4 उपविभागों (कुल क्षेत्र का 13 फीसदी) में सीजन के दौरान ज्यादा बारिश हुई। हालांकि 9 उपविभागों जिनमें देश के कुल क्षेत्र का 15 फीसदी हिस्सा आता है वहां कम बारिश हुई। इनमें से ज्यादातर 9 उप विभाग बड़े राज्यों के अंतर्गत आते हैं।
देश के मौसम विभाग (आईएमडी) ने 4 फीसदी की बढ़त और कमी वाले मॉडल के साथ बारिश के 106 फीसदी एलपीए के साथ 'सामान्य से ऊपर' रहने का अनुमान लगाया था। हालांकि मौसम विभाग का पूर्वानुमान पिछले 10 सालों में तीसरी बार गलत हुआ। इसकी वजह यह थी कि ला-नीना के पूर्वानुमान, हिंद महासागर के प्रतिकूल डाइपोल, मैडेन जुलियन ऑसलेशन के बारे में कुछ गलत अंदाजा लगा। मौसम विभाग के मुताबिक उत्तरी-पश्चिम भारत के चार क्षेत्रों मसलन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सीजन वाली बारिश एलपीए के करीब 95 फीसदी तक थी जबकि यह बारिश मध्य भारत में एलपीए के 106 फीसदी तक थी।
कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में बारिश एलपीए के 92 फीसदी तक थी जबकि पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में बारिश 50 साल के औसत के 89 फीसदी तक थी। वहीं पश्चिमोत्तर भारत में 615.1 मिमी सामान्य बारिश के मुकाबले बारिश 584.2 मिमी तक हुई। वहीं मध्य भारत में 875.3 मिमी सामान्य बारिश के मुकाबले 1,034.1 मिमी बारिश हुई। दक्षिण भारत में चार महीने के सीजन के दौरान 715.6 मिमी सामान्य बारिश के मुकाबले 661.5 मिमी बारिश हुई जबकि पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, असम और पूर्वोत्तर राज्यों में 1,437.8 मिमी सामान्य बारिश के मुकाबले 1,281.5 मिमी बारिश हुई।......आर एस राणा
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