केंद्र सरकार राज्यों के
साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद
नया मॉडल एपीएमसी अधिनियम लाने
की योजना बना
रही है। केंद्र
वर्ष 2003 में बनाए
गए मॉडल अधिनियम की
तर्ज पर राज्यों को
अपने कृषि उपज
विपणन अधिनियमों में
संशोधन के लिए
राजी करने में
नाकाम रहा है।
नए मॉडल एपीएमसी अधिनियम में
पिछले एक दशक
के दौरान हासिल
किए गए सभी
अनुभवों को शामिल किया
जाएगा और गलतियों को
हटाया जाएगा।
कृषि मंत्रालय के
संयुक्त सचिव अशोक दलवई
ने कहा, 'नए
मॉडल अधिनियम बनाया
जाएगा और यह
अगले 2 से 3 महीनों
में मंत्रिमंडल की
मंजूरी के लिए
तैयार हो जाएगा।'
पुराना मॉडल एपीएमसी अधिनियम 2003 में
पिछली राजग सरकार
में बनाया गया
था। लेकिन एक
दशक बीतने के
बाद भी दो-तिहाई से कम
राज्यों ने मॉडल अधिनियम की
तर्ज पर अपने
मंडी अधिनियमों में
बदलाव किया है।
इसी वजह से
केंद्र को नया
मॉडल अधिनियम बनाने
के लिए बाध्य
होना पड़ा। चंद
ने कहा, 'नए
मॉडल एपीएमसी अधिनियम के
तहत राज्यों द्वारा
अपने अधिनियम से
कुछ जिंसों को
बाहर करने के
कारण होने वाले
राजस्व नुकसान की
भरपाई राज्य बजट
या सीधे नाबार्ड के
जरिये की जाएगी।'
इसके अलावा अधिकारियों ने
अगले 1 से 2 साल
में तीन प्रमुख
सुधारों को क्रियान्वित करने
का फैसला किया
है। इन सुधारों में
से एक यह
है कि निजी
जमीन में पेड़
उगाने पर प्रतिबंध हटाया
जाएगा, जिससे किसान
पेड़ों को बेचकर
पैसा कमा सकेंगे। इसके
अलावा भूमि लीज
कानूनों में बदलाव किया
जाएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ)
से निर्देश के
बाद आयोग ने
6 से 7 क्षेत्रों में
सुधारों के लिए 25 एजेंडा
चिह्नित किए हैं, जिन्हें अगले
3 से 5 साल में
चरणबद्ध तरीके से पूरा
किया जाएगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें