कुल पेज दृश्य

22 अक्टूबर 2016

कृषि मंडी पर नया कानून जल्द




आर एस राणा
केंद्र सरकार राज्यों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद नया मॉडल एपीएमसी अधिनियम लाने की योजना बना रही है। केंद्र वर्ष 2003 में बनाए गए मॉडल अधिनियम की तर्ज पर राज्यों को अपने कृषि उपज विपणन अधिनियमों में संशोधन के लिए राजी करने में नाकाम रहा है। नए मॉडल एपीएमसी अधिनियम में पिछले एक दशक के दौरान हासिल किए गए सभी अनुभवों को शामिल किया जाएगा और गलतियों को हटाया जाएगा। 

हालांकि कृषि सुधारों की स्थिति के आधार पर राज्यों को रैकिंग देने के कदम को राज्यों की मंजूरी नहीं मिलेगी क्योंकि नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की अध्यक्षता में कृषि सुधारों पर बैठक में ज्यादातर राज्यों ने इसका विरोध किया था। नए अधिनियम में अनुबंध कृषि को बाहर किया जाएगा। इसमें मंडी के एक निर्धारित क्षेत्र में निजी बिक्री स्थान बनाने का प्रावधान होगा, ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जा सके। अधिनियम में राज्यों को अपने अधिनियमों में जिंसों को बाहर करने से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई का भी प्रावधान होगा। 

कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव अशोक दलवई ने कहा, 'नए मॉडल अधिनियम बनाया जाएगा और यह अगले 2 से 3 महीनों में मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए तैयार हो जाएगा।' पुराना मॉडल एपीएमसी अधिनियम 2003 में पिछली राजग सरकार में बनाया गया था। लेकिन एक दशक बीतने के बाद भी दो-तिहाई से कम राज्यों ने मॉडल अधिनियम की तर्ज पर अपने मंडी अधिनियमों में बदलाव किया है। इसी वजह से केंद्र को नया मॉडल अधिनियम बनाने के लिए बाध्य होना पड़ा। चंद ने कहा, 'नए मॉडल एपीएमसी अधिनियम के तहत राज्यों द्वारा अपने अधिनियम से कुछ जिंसों को बाहर करने के कारण होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई राज्य बजट या सीधे नाबार्ड के जरिये की जाएगी।'

इसके अलावा अधिकारियों ने अगले 1 से 2 साल में तीन प्रमुख सुधारों को क्रियान्वित करने का फैसला किया है। इन सुधारों में से एक यह है कि निजी जमीन में पेड़ उगाने पर प्रतिबंध हटाया जाएगा, जिससे किसान पेड़ों को बेचकर पैसा कमा सकेंगे। इसके अलावा भूमि लीज कानूनों में बदलाव किया जाएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से निर्देश के बाद आयोग ने 6 से 7 क्षेत्रों में सुधारों के लिए 25 एजेंडा चिह्नित किए हैं, जिन्हें अगले 3 से 5 साल में चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा। 

किसानों को मंडी प्रक्रिया से गुजरे बिना सीधे बिक्री की मंजूरी देने और निजी कृषि भूमि में पेड़ उगाने, कटाई करने और वाणिज्यिक उपयोग करने पर रोक को हटाने के बारे में रमेश चंद ने कहा कि वर्ष 2014 में पर्यावरण और वन मंत्रालय ने राज्यों को दिशानिर्देश जारी किए थे। इनमें कहा गया था कि किसानों को निजी जमीन में पेड़ उगाने और कटाई करने की आवश्यक स्वतंत्रता दी जाए। कुछ राज्यों ने अधिनियमों में बदलाव किया था, जबकि कुछ अन्य इस पर विचार कर रहे हैं। चंद ने कहा, 'हम अन्य राज्यों को भी अपने वन अधिनियम में संशोधन के लिए राजी कर रहे हैं और कुछ ने इसमें रुचि दिखाई है।' जमीन पट्टा अधिनियम के बारे में रमेश चंद ने कहा कि करीब 10 राज्यों ने अपने भूमि अधिनियमों के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन राज्यों में से एक मध्य प्रदेश है। मध्य प्रदेश के भूस्वामी और पट्टाधारकों के बीच जमीन पट्टा अधिनियम को अन्य राज्यों में अनुकरण के लिए नमूने के रूप में पेश किया जा रहा है। ....आर एस राणा

कोई टिप्पणी नहीं: