आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में सोयाबीन का उत्पादन 108.78 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार केवल 69.28 लाख टन की हुई थी।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएषन आफ इंडिया (सोपा) जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार सबसे बड़े उत्पादक राज्य मध्य प्रदेष में सोयाबीन का उत्पादन 55.86 लाख टन, महाराष्ट्र में 36.06 लाख टन और राजस्थान में 9.07 लाख टन उत्पादन का अनुमान है। हालांकि चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई में पिछले साल की तुलना में कमी आई है लेकिन प्रति हैक्टेयर उत्पादकता ज्यादा होने के कारण पैदावार ज्यादा है।
सोपा के अनुसार चालू सीजन में सोयाबीन की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता 992 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर आ रही है जबकि पिछले साल इसकी प्रति हैक्टेयर उत्पादकता केवल 626 किलोग्राम की ही आई थी।
चालू खरीफ में सोयाबीन की बुबाई घटकर केवल 109.71 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इसकी बुवाई 110.65 लाख हैक्टेयर में हुई थी। इस समय उत्पादक मंडियों में नई फसल की आवक चल रही है लेकिन पहले महाराष्ट्र और अब मध्य प्रदेष में हुई बारिष से नई फसल की आवक तो प्रभावित हो ही रही है, साथ ही क्वालिटी पर भी असर पड़ रहा है। जानकारों के अनुसार हाल ही में हुई असमय की बारिष से फसल को नुकसान तो हुआ है लेकिन पैछावार पिछले साल से ज्यादा है, साथ ही डीओसी की निर्यात मांग कमजोर है। इसलिए भाव में आगे आवक बढ़ने पर गिरावट ही आने का अनुमान है।......आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में सोयाबीन का उत्पादन 108.78 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार केवल 69.28 लाख टन की हुई थी।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएषन आफ इंडिया (सोपा) जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार सबसे बड़े उत्पादक राज्य मध्य प्रदेष में सोयाबीन का उत्पादन 55.86 लाख टन, महाराष्ट्र में 36.06 लाख टन और राजस्थान में 9.07 लाख टन उत्पादन का अनुमान है। हालांकि चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई में पिछले साल की तुलना में कमी आई है लेकिन प्रति हैक्टेयर उत्पादकता ज्यादा होने के कारण पैदावार ज्यादा है।
सोपा के अनुसार चालू सीजन में सोयाबीन की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता 992 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर आ रही है जबकि पिछले साल इसकी प्रति हैक्टेयर उत्पादकता केवल 626 किलोग्राम की ही आई थी।
चालू खरीफ में सोयाबीन की बुबाई घटकर केवल 109.71 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इसकी बुवाई 110.65 लाख हैक्टेयर में हुई थी। इस समय उत्पादक मंडियों में नई फसल की आवक चल रही है लेकिन पहले महाराष्ट्र और अब मध्य प्रदेष में हुई बारिष से नई फसल की आवक तो प्रभावित हो ही रही है, साथ ही क्वालिटी पर भी असर पड़ रहा है। जानकारों के अनुसार हाल ही में हुई असमय की बारिष से फसल को नुकसान तो हुआ है लेकिन पैछावार पिछले साल से ज्यादा है, साथ ही डीओसी की निर्यात मांग कमजोर है। इसलिए भाव में आगे आवक बढ़ने पर गिरावट ही आने का अनुमान है।......आर एस राणा
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