दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के दौरान सर्वाधिक वर्षा वाले राज्यों में महाराष्ट्र भी शामिल है। इस वर्ष राज्य में अप्रत्याशित रूप से काफी अच्छी बारिश हुई है जिससे अनेक भागों में खरीफ फसलों को फायदा हुआ। मराठवाड़ा क्षेत्र पिछले तीन-चार साल से भयंकर सूखे का सामना कर रहा था लेकिन इस बार वहां इतनी मूसलाधार वर्षा हुई है कि इसका अधिकांश हिस्सा जलप्लावित हो गया।
महाराष्ट्र में पिछले 48 घंटों के दौरान हरनई, अकौला, महाबालेश्वर, चन्द्रपुर, अमरावती एवं मुम्बई सहित कई अन्य क्षेत्र में भारी वर्षा हुई। मराठवाड़ा, उत्तरी मध्य महाराष्ट्र के कई हिस्सों तथा कोंकण एवं गोवा में भी भारी बारिश दर्ज की गई।
चक्रवातीय सर्कुलेशन की वजह से यह बारिश हुई है जो बंगाल की खाड़ी के मध्य पश्चिमी भाग से घूमता हुआ आया था और अब भी मध्य महाराष्ट्र के ऊपर मौजूद है।
इस मौसम तंत्र के आगे बढ़ने की संभावना है जो पश्चिमोत्तर दिशा की ओर बढ़ सकता है और उसके चलते कोंकण, गोवा एवं मुम्बई के साथ उत्तरी मध्य महाराष्ट्र में अगले 48 घंटों तक वर्षा का दौर जारी रहने की संभावना है। लेकिन मराठवाड़ा क्षेत्र की तुलना में विदर्भ संभाग में वर्षा की तीव्रता काफी कम रहने की उम्मीद है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार यह बारिश खरीफ फसलों के लिए अच्छी नहीं है। मराठवाड़ा क्षेत्र में सोयाबीन, कपास, उड़द, अरहर (तुवर) एवं तिल आदि की फसल काफी हद तक बर्बाद या क्षतिग्रस्त हो गई है। खरीफ फसलें परिपक्व होकर पकने लगी थी। खेतों में पानी भरने से उसकी कटाई में देर हो जाएगी और क्वालिटी भी प्रभावित होगी। लेकिन रबी फसलों की बिजाई में इस वर्षा से काफी सहायता मिल सकती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें