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04 फ़रवरी 2010

देश में चीनी उत्पादन बढऩे की आस

नई दिल्ली/लखनऊ February 03, 2010
महाराष्ट्र से अच्छी खबर है। राज्य में इस साल चीनी का उत्पादन सितंबर में समाप्त होने वाले सत्र में 6।25 प्रतिशत बढ़कर 51 लाख टन हो जाएगा। इसके साथ ही महाराष्ट्र चीनी उत्पादन में पहले स्थान पर बना रहेगा। बहरहाल उत्तर प्रदेश में संकेत कुछ बेहतर नहीं हैं और यहां गन्ने की कमी से पेराई का काम पहले बंद हो सकता है। देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में गन्ने का उपयोग खांडसारी में बड़े पैमाने पर हुआ है। महाराष्ट्र स्टेट कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज एसोसिएशन के निदेशक प्रकाश नैकनवारे ने कहा, 'पिछले साल महाराष्ट्र में अक्टूबर-दिसंबर के दौरान बेमौसम बारिश हुई। इसके परिणामस्वरूप गन्ने की खड़ी फसलों को फायदा पहुंचा। इस साल मिलें, पिछले साल की तुलना में 30 दिन तक ज्यादा चलेंगी। मिलों में काम अप्रैल के मध्य तक चलेगा। इसके साथ ही महाराष्ट्र में 455 लाख टन गन्ने की पेराई की उम्मीद है, जो हाल के 410 लाख टन पेराई के अनुमान से ज्यादा है। इसकी वजह से चीनी उत्पादन 51 लाख टन रहने के आसार हैं, जबकि इसके पहले 48 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया गया था।महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन के अनुमानों में बदलाव के साथ देश में चीनी का कुल उत्पादन अक्टूबर 2010 को समाप्त होने वाले सत्र में इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के उत्पादन के हालिया अनुमान 155 लाख टन के करीब पहुंच जाएगा। इसके पहले सत्र में उत्पादन 147 लाख टन था। बहरहाल गन्ने की कम आवक से परेशान उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों के लिए इस साल पेराई सत्र जल्दी खत्म होने जा रहा है। ज्यादातर चीनी मिलों में पेराई इस माह के अंत तक बंद होने के कयास लगाए जा रहे हैं तो तकरीबन 26 इकाइयों ने तो पहले ही हथियार डाल दिए हैं, जिनमें से अधिकतर सरकारी हैं। एक गन्ना अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया- पिछले साल की 132 मिलों की तुलना में इस साल 128 मिलों ने अपने-अपने यहां पेराई की। इनमें से ज्यादातर में पेराई फरवरी के अंत तक खत्म हो जाएगी। महज 10 मिलों में पेराई मार्च के मध्य तक चलेगी। अगर गन्ने की पेराई पूरी नहीं होती है तो सत्र का विस्तार जून-जुलाई तक हो सकता है, जैसा कि 2006-07 के दौरान किया गया था। उस वर्ष उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड 85 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था, जबकि 2008-09 में चीनी का उत्पादन 40 लाख टन हुआ। गन्ने की कमी की वजह से मिलों ने इस साल 260-265 रुपये प्रति क्विंटल तक गन्ने के दाम देना शुरू कर दिया है, जबकि राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) 165 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन (आरकेएमएस) के अध्यक्ष बीएम सिंह ने कहा, 'अगर पेराई की अवधि आगे बढ़ी है तो गन्ने की कीमतें 300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच सकती हैं। खासकर उन इलाकों में कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी होगी, जहां मिलों की संख्या ज्यादा है। शुरुआत में किसानों ने 280 रुपये प्रति क्विंटल के भाव गन्ने का भुगतान किए जाने की जोरदार मांग की थी, जिसका चीनी मिलों ने जोरदार विरोध किया था। बहरहाल चीनी मिलों ने कुल 5,940 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को किया है, जबकि उनका बकाया 5,324 करोड़ रुपये था। शेष 616 करोड़ रुपये गन्ने के अग्रिम भुगतान के रूप में किया गया है। (बीएस हिन्दी)

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