नई दिल्ली February 05, 2010
चीनी के आसमान छूते दामों के कारण बिस्कुट के दाम में 10-15 फीसदी का इजाफा होने की संभावना है।
12 फरवरी तक इस मामले में अंतिम फैसला ले लिया जाएगा। यह बढ़ोतरी शुगर फ्री बिस्कुट पर लागू नहीं होगी। पिछले एक साल में बिस्कुट उत्पादन की लागत में 45 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। जबकि इस दौरान कीमतों में इजाफा नहीं हुआ है।
लागत के साथ कीमत में बढ़ोतरी नहीं होने के कारण 15 से अधिक बिस्कुट निर्माताओं ने उत्पादन बंद कर दिया है। अब ये बड़ी कंपनियों के वितरक के तौर पर काम कर रहे हैं। इंडियन बिस्कुट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईबीएमए) के पदाधिकारियों के मुताबिक लागत पर चीनी और दूध की कीमतों में बढ़ोतरी का सबसे अधिक असर पड़ा है।
इस दौरान चीनी की कीमतों में 70 फीसदी बढ़ी है वहीं, मैदा के भाव पिछले तीन महीनों में 20-25 फीसदी बढ़ गए हैं। बिस्कुट बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले ओवन के ईंधन एलडीओ और फर्नेंस ऑयल के दाम भी पिछले एक वर्ष के दौरान 25 फीसदी बढ़ गए हैं।
एसोसिएशन के महासचिव केपी मोहनदास कहते हैं, 'बिस्कुट निर्माता अब इस बढ़ती लागत का बोझ नहीं उठा सकते हैं। अगले सप्ताह के अंत में कीमतों में बढ़ोतरी पर फैसला हो जाएगा। वैसे बिस्कुट के दाम में 10-15 फीसदी तक इजाफा किया जा सकता है।'
हालांकि बिस्कुट निर्माता इस बाम को लेकर भी चिंतित हैं कि कहीं दाम बढ़ने के कारण बिक्री ना घट जाए। बिक्री में कमी आने की आशंका के कारण ही अभी तक बिस्कुट की कीमतों में इजाफा नहीं किया गया है। लेकिन बिस्कुट निर्माताओं का कहना है कि उन्हें हारकर अब यह जोखिम लेना पड़ रहा है।
वे कहते हैं, 'जोखिम तो लेना ही पड़ेगा। कब तक नुकसान सहेंगे? पिछले 6 महीनों से काफी नुकसान हो रहा है।' लेकिन चीनी मुक्त बिस्कुट और नमकीन बिस्कुट के दाम नहीं बढ़ेंगे। निर्माताओं का कहना है कि सरकार चाहे तो बिस्कुट पर लगने वाले 12।5 फीसदी वैट को घटाकर 4 फीसदी कर सकती है, इससे उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी। (बीएस हिन्दी)
06 फ़रवरी 2010
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