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03 नवंबर 2008

मक्के में मजबूती, पर अब भी समर्थन मूल्य से नीचे

नई दिल्ली November 02, 2008
त्योहारों के मौसम में कम आवक के कारण मक्के की वायदा कीमतों में लगभग छह प्रतिशत की तेजी आई, हालांकि अब भी यह सरकारी कीमतों से कम है।
अमेरिकी खाद्यान्न परिषद के प्रतिनिधि अमित सचदेव ने कहा - अक्टूबर 2008 का औसत मूल्य 8,228 रुपये प्रति टन रहा, जो पिछले वर्ष के समान महीने के मुकाबले 25.6 प्रतिशत अधिक है। लेकिन अभी भी यह कीमत मक्के के 8,400 रुपये प्रति टन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम है। उन्होंने कहा कि मक्के की कीमत पिछले सप्ताह 6.5 प्रतिशत बढ़कर 8,585 रुपये प्रति टन हो गई, जो 25 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 8,000 से 8,100 रुपये प्रति टन थी। सचदेव ने कहा कि मक्के की कीमत पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 32 से 34 प्रतिशत अधिक है। इसका मूल्य पिछले वर्ष 6,400 से 6,500 रुपये प्रति टन था। वायदा बाजार में भी मक्के के नवंबर अनुबंध की कीमत पिछले सप्ताह के मुकाबले करीब 200 रुपये प्रति टन अधिक यानी 8,600 रुपये के स्तर पर था जबकि दिसंबर अनुबंध की कीमत 100 रुपये की तेजी के साथ 8,360 रुपये प्रति टन थी। हाजिर बाजार में निजामाबाद में पिछले सप्ताह मक्के की कीमत करीब 100 रुपये प्रति टन की तेजी के साथ 9,100 रुपये रही जबकि यही कीमत दयानगेरे में 100 रुपये प्रति टन घटकर 9,460 रुपये प्रति टन हो गया। करीमनगर में कीमतें 9,040 रुपये प्रति टन पर स्थिर रहा। इस सप्ताह ज्वार की कीमतें भी पिछले वर्ष की कीमत के मुकाबले 5.6 प्रतिशत अधिक यानी 10,102 रुपये प्रति टन रहीं।अक्टूबर 2008 में ज्वार की कीमतें पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले लगभग 3.7 प्रतिशत अधिक यानी 9,559 रुपये प्रति टन रहीं। सचदेव ने कहा कि इस बीच जौ की कीमत स्थिर रहीं। हरियाणा में माल्ट कंपनियों को डिलिवरी कीमत 11,500 रुपये प्रति टन थीं। वायदा बाजार में जौ के नवंबर और दिसंबर अनुबंध की कीमत 10,900 रुपये प्रति टन बताई गई जबकि जयपुर के हाजिर बाजार में इसकी कीमत 10,800 रुपये थी। बाजरा की कीमत भी पिछले वर्ष के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक यानी 7,670 रुपये प्रति टन थी। अक्टूबर 2008 का औसत मूल्य 7,502 रूपए प्रति टन था, जो पिछले वर्ष के समान अवधि के मुकाबले 17.5 प्रतिशत अधिक है। बाजरा की बाजार कीमत भी उसके 8,400 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम है। वर्ष 2020 तक पोल्ट्री, स्टार्च, मवेशियों के भोजन, खाद्य एवं ब्रेवेरी के लिए मक्के की आवश्यकता करीब तीन करोड़ 73 लाख टन होगी। (BS Hindi)

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