मुंबई: चना, आलू, रबर और सोय ऑयल के वायदा कारोबार पर बैन दिसंबर महीने में हट सकता है। इसकी वजह इनकी कीमतों में आई कमी है। लेकिन गेहूं, चावल औऱ
दालों के बारे में फैसला अभी नहीं होगा। फॉरवर्ड मार्केट कमीशन के चेयरमैन बी सी खटुआ ने शनिवार को ये जानकारी दी। मई महीने में केंद्र सरकार ने चना, आलू, रबर और सोय ऑयल के वायदा कारोबार पर बैन लगा दिया था। उस समय सरकार को बाहर से समर्थन दे रही लेफ्ट पार्टियों का आरोप था कि वायदा कारोबार की वजह से इन कमोडिटी की कीमतें बढ़ रही हैं। हालांकि यह बैन चार महीने के लिए ही लगाया गया था, लेकिन महंगाई को देखते हुए सरकार ने बैन नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया था। बी सी खटुआ ने कहा कि इन कमोडिटी की फ्यूचर ट्रेडिंग फिर शुरू होने के अच्छे चांस हैं क्योंकि महंगाई लगातार काबू में है। सरकार ने इसी तरह 2007 में गेहूं, चावल और दो दालों की फ्यूचर ट्रेडिंग पर बैन लगाया था। खटुआ का कहना है कि इन पर बैन हटाने पर फिलहाल शायद विचार नहीं किया जाएगा। इनके मामले को एजेंडे पर आने में समय लगेगा। दरअसल महंगाई दर कम होने की वजह से ही इस बारे में चर्चा शुरू हो पाई है। 2 अगस्त को महंगाई दर 12.91 के रिकॉर्ड लेवल पर पुहंच गई थी। जबकि 25 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में यह 10.72 परसेंट रही। रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2008-2009 कारोबारी साल के अंत में महंगाई दर 7परसेंट पर पहुंच जाएगी। (ET Hindi)
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