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17 नवंबर 2008

एटीएफ सस्ता, पर नहीं घटेगा विमान किराया

नई दिल्ली November 17, 2008
सरकारी तेल कंपनियों ने अपनी पहली पाक्षिक मूल्य समीक्षा के बाद शनिवार की मध्यरात्रि से विमान ईंधन (एटीएफ) की कीमतों में 12 फीसदी की कटौती कर दी है।
कच्चे तेल की कीमतों में हुई वैश्विक कमी के चलते ही कंपनियों ने एटीएफ की कीमतों में 5.58 रुपये प्रति लीटर की कमी कर दी है। इस कमी के बाद अब एक लीटर एटीएफ के दाम महज 38.17 रुपये रह गए हैं। इसके बावजूद, विमानन कंपनियों का कहना है कि उनका विमान किराए में कमी का कोई इरादा नहीं है। मौजूदा कमी के बाद विमान ईंधन की कीमतें पिछले साल के सितंबर महीने के स्तर पर जा पहुंची है। एक महत्वपूर्ण बात यह कि अगस्त से एटीएफ की कीमतों में लगातार पांचवीं बार कटौती की गई है। तब एटीएफ के दाम 71.03 रुपये प्रति लीटर के उच्चतम स्तर तक चले गए थे।इस तरह महज तीन महीने में ही इसकी कीमत में करीब 33 रुपये प्रति लीटर यानी 45 फीसदी की कमी हो गई है। इसकी मौजूदा कीमतें ंउल्लेखनीय है कि इस समय कच्चे तेल के दाम पिछले 22 महीनों के न्यूनतम स्तर करीब 55 डॉलर प्रति बैरल पर चले गए हैं। जबकि अब से कोई चार महीने पहले तो कच्चे तेल की कीमतों ने 147 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचाई को छू लिया था। लेकिन जुलाई से अब तक तेल के दामों में 60 फीसदी से अधिक की कमी हो गई है। विमानन कंपनियों ने बताया कि तीन महीनों में ईंधन के खर्चे में हुई 45 फीसदी की कमी के बावजूद किराए में कमी नहीं की जाएगी क्योंकि पिछले कुछ महीनों में तेल के रिकॉर्ड स्तर तक चले जाने से उन्हें काफी घाटा हुआ है। ऐसे में घाटे की क्षतिपूर्ति जब तक नहीं हो जाती तब तक किराए में कमी के कोई आसार नहीं है। बता दें कि एक महत्वपूर्ण समझौते के बाद तेल कंपनियां इस बात पर सहमत हो चुकी हैं कि इस महीने से मार्च के आखिर तक विमान ईंधन की कीमतों की पाक्षिक समीक्षा होगी। विमान कंपनियों पर ईंधन की ऊंची कीमतों की पड़ रही तगड़ी मार से बचाव के लिए यह पहल की गई है। इस कटौती के बाद लगभग सभी एयरलायंसों ने यही कहा है कि इस कटौती के असर की समीक्षा होगी तभी यह निर्णय लिया जाएगा कि लागत में हुई कमी का लाभ उपभोक्ताओं को दिया जाए या नहीं। एयर इंडिया के कार्यकारी निदेशक जितेंद्र भार्गव ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक बहुत बढ़िया कदम है। उनके मुताबिक, कटौती के असर का मूल्यांकन करने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। उनके मुताबिक, डॉलर की तुलना में रुपये में हुई खासी कमी के चलते भी विमानन कंपनियों पर काफी बोझ पड़ा है। भार्गव ने बताया कि दुनिया भर में पसरी आर्थिक मंदी के चलते विमानों से यात्रियों की आवाजाही काफी घटी है। फिलहाल काफी सीटें तो यूं ही खाली रह जा रही हैं। किंगफिशर एयरलायंस के प्रवक्ता ने भी यही बात कही कि पूरे मामले को समझने के बाद ही किराए में कमी करने या न करने का फैसला लिया जाएगा। (BS Hindi)

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