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05 नवंबर 2008

बीज, खाद महंगी होने से लागत 25 फीसदी तक बढ़ेगी

गेहूं के प्रमुख उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व मध्य प्रदेश तथा गुजरात में किसानों ने गेहूं की बुवाई की तैयारी तो शुरू कर दी है लेकिन गेहूं के लिए बीज, खाद व दवाइयों के अलावा डीजल की कीमतों में गत वर्ष के मुकाबले काफी बढ़ोतरी होने से उनकी लागत बढ़ने की संभावना है। चालू बुवाई सीजन में गेहूं किसानों की उत्पादन लागत में बीते वर्ष के मुकाबले लगभग 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।सोनीपत जिले के एक युवा किसान राजवीर सिंह टोकस ने बताया कि उसने छह एकड़ में गेहूं की बुवाई के लिए खेतों की सिंचाई शुरू कर दी है। बीते वर्ष उन्होंने गेहूं का बीज 526 से 640 रुपये प्रति 40 किलो की दर से खरीदा था लेकिन चालू वर्ष में उन्होंने 606 से 720 रुपये प्रति 40 किलो की दर से बीज खरीदा है। प्रधान बीज भंडार के प्रोपराइटर सतीश लांबा ने बताया कि पिछले वर्ष उन्हें गेहूं के बीज 1315 से 1600 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर खरीदे थे लेकिन चालू बुवाई सीजन में बीज के दाम बढ़कर 1515 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। अत: इसके भावों में बीते वर्ष के मुकाबले 140 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह से डीजल के दाम गत वर्ष नवंबर महीने में हरियाणा में 30.77 रुपये प्रति लीटर थे जबकि वर्तमान में डीजल के भाव 33.82 रुपये प्रति लीटर चल रहे हैं। अत: डीजल के भावों में 3.05 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। डीजल के दामों में हुई बढ़ोतरी के कारण सिंचाई, बुवाई व जुताई की लागत बढ़ जाएगी। गेहूं की फसल में बुवाई से लेकर पकाई तक करीब चार से पांच बार सिंचाई की आवश्यकता होती है तथा चार से पांच बार जुताई व एक बार बुवाई करनी पड़ती है।गेहूं की बुवाई के समय एक बोरी (एक कट्टा 50 किलो) डीएपी खाद व बाद में फसल को कम से कम दो बोरी यूरिया खाद की आवश्यकता होती है। डीएपी खाद की बोरी की कीमत हरियाणा में 467.50 रुपये व यूरिया खाद की बोरी की कीमत 241.50 रुपये है। इसके अलावा बुवाई के समय सीड ट्रीटमैंट दवा के भाव में भी गत वर्ष के मुकाबले 30 से 50 रुपये की बढ़ोतरी हुई है जबकि खरपतवार व दीमक की रोकथाम के लिए उपयोग होने वाली दवाइयों के मंहगा होने से किसानों के खर्चे में और भी इजाफा हो गया है। (Business Bhaskar.........R S Rana)

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