मुंबई August 07, 2008 ! पिछले 15 दिनों से इलायची की कीमत में जारी उछाल और इलायची उत्पादक राज्यों में बारिश की कमी के चलते फसल कमजोर होने की खबरों से इस साल इलायची की कीमतों में जबरदस्त उछाल की संभावना जताई जा रही है।
जानकारों के अनुसार इस साल दीवाली तक इलायची की कीमत 50 फीसदी तक बढ़ सकती है। केरल में इस साल 15 जून से 15 जुलाई तक बहुत कम बारिश होने के कारण इलायची की बुआई देर से हुई है। 15 जून से 30 जून तक तक इलायची की बुआई का सही समय माना जाता है।
15 जुलाई के बाद इलायची उत्पादक राज्यों में शुरू हुई बारिश के कारण बुआई कमजोर हुई, तो अगस्त के शुरुआत से ही केरल में जारी भारी बारिश ने इलायची की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है। केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु इलायची के मुख्य उत्पादक राज्य हैं। इन राज्यों में केरल अकेले 70 फीसदी, कर्नाटक 20 फीसदी और तमिलनाडु 10 फीसदी इलायची उगाते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केरल में हुई भारी बारिश से अब तक 30 फीसदी फसल खराब हो चुकी है। केरल में अगर कुछ दिनों तक और जोरदार बारिश हुई तो इसका उत्पादन 25 फीसदी तक घट सकता है। इलायची के ऑफ सीजन होने केसाथ ही केरल में इस महीने के शुरुआत से ही शुरू हुई भारी बारिश के चलते मंडियों में स्टॉक कम होने लगा है।
नतीजतन इलायची के भाव हाजिर और वायदा दोनों बाजारों में बढ़ने लगे हैं। स्पॉट बाजार में इलायची इस समय 635-640 रुपये प्रति किलो पर है। जबकि वायदा में अगस्त कांट्रैक्ट (एमसीएक्स) 670 रुपये पर चल रहा है। पिछले 15 दिनों में दोनों बाजारों में इलायची की कीमत प्रति किलो 50 रुपये से भी ज्यादा बढ़ चुकी है।
पिछले साल इस समय वायदा बाजार में इलायची प्रति किलोग्राम 535.40 रुपये और हाजिर बाजार में प्रति किलोग्राम 485.79 रुपये थी। गौरतलब है कि पिछले एक साल में इलाइची केभाव प्रति किलो 225 रुपये से 250 रुपये तक बढ़ चुके है। बी. भगवानदास एंड कंपनी के मोहनभाई कहते हैं कि अभी इस कायस लगाना गलत होगा। हम व्यापारी आज की बात करते हैं, कल क्या होगा वह भगवान पर छोडक़र रखते हैं।
मोहनभाई के सुर में सुर मिलाते हुए टेक्नो कमोडिटीज के कमल अग्रवाल कहते हैं - यह सही है कि बाजार में इस समय कीमतों में उछाल चल रहा है, लेकिन तीन महीने पहले की बात करने वाले लोग बाजार में अफवाह फैलाकर कीमतों को और हवा देना चाहते हैं। इलायची बहुत ही संवेदनशील जिंस है इसके बारे में बोलने के पहले दस बार सोचना होगा। एक बात मैं कह सकता हुं कि बाजार में आज उपलब्ध माल को देखते हुए इसकी कीमतों में थोड़ा बहुत फर्क तो आएगा ही।
इलायची को मसालों की रानी के नाम से जाना जाता है। इसका वैश्विक उत्पादन सालाना लगभग 35,000 मीट्रिक टन है। ग्वाटेमाला इसका सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसके बाद भारत और तंजानिया आते हैं। यहां कुल उत्पादन का 90 फीसदी हिस्सा देश में ही खपत होता है जबकि 10 फीसदी का निर्यात किया जाता है।...BS Hindi
08 अगस्त 2008
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