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28 अक्तूबर 2016

एग्री कमोडिटी में मुनाफे का अच्छा अवसर

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे

---------------------खरीफ फसलों में अरहर,  किन भाव पर स्टॉक करने से मिलेगा फायदा, बाजरा, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, केस्टर सीड और ग्वार सीड का भविष्य कैसा रहेगा, इनके निर्यात-आयात की क्या हैं संभावनाएं, इन सभी की स्टीक जानकारी कें लिए हमसे जुड़े।  खबरें केवल ई-मेल के माध्यम से।

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आर एस राणा
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09811470207

हैप्पी दिवाली

रोशनी से आपका जीवन आनंदमयी हो, सजावट से आपके जीवन में रौशनी आए, पटाखों से बुराईयों का नाश हो, मिठाइयों से आपकी सफलता में मिठास घुल जाए, हैप्पी दिवाली

मूंगफली में और मंदे की उम्मीद कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। गुजरात की मंडियों में मूंगफली की दैनिक आवक बढ़कर डेढ़ से दो लाख बोरी (एक बोरी-35 किलो) की हो गई है तथा भाव घटकर 3,700 से 3,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। माना जा रहा है कि आगे भाव में और गिरावट की उम्मीद नहीं है इसलिए स्टॉकिस्ट इन भाव में खरीद कर सकते हैं तथा आगे भाव में एक अच्छी तेजी देखने को मिल सकती है। राजकोट में मूंगफली तेल का भाव घटकर 875 रुपये प्रति 10 किलो रहा। इस समय मूंगफली खल में मांग कमजोर है इसलिए तेल में ज्यादा मंदे की उम्मीद नहीं है।
चालू खरीफ विपणन सीजन 2016-17 के लिए केंद्र सरकार ने मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,220 रुपये प्रति क्विंटल (एसमें 1,00 रुपये बोनस सहित) तय किया है। प्रमुख उत्पादक मंडियों में मूंगफली का भाव एमएसपी से नीचे आने के कारण राज्य सरकार ने एक लाख टन मूंगफली की खरीद एमएसपी पर करने का फैसला किया है। राज्य सरकार नेफेड के साथ मिलकर मूंगफली की खरीद चालू नवंबर से चालू करेगी। इससे पहले राज्य सरकार ने 2013 में भी एक लाख टन मूंगफली की खरीद एमएसपी पर की थी।
गुजरात में चालू खरीफ में मूंगफली की पैदावार बढ़कर 29.40 लाख टन होने का अनुमान है जबकि देषभर में इसका उत्पादन चालू खरीफ में 54.80 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले खरीफ सीजन में मूंगफली का उत्पादन देषभर में केवल 32.30 लाख टन का ही हुआ था।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान देष से मूंगफली दाने का निर्यात बढ़कर 2,08,476 टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 1,81,507 टन का ही हुआ था।........आर एस राणा

मक्का निर्यात में सुधार

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के 23 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में मक्का का निर्यात बढ़कर 3,358.8 टन का हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में केवल 363.2 टन का ही निर्यात हुआ था। इस दौरान मक्का के निर्यात सौदे औसतन 256.4 डॉलर प्रति टन की दर से हुए हैं। जानकारों के इस समय भाव से केवल डिपलोमेटिक आधार पर ही मक्का का निर्यात हो रहा है। विष्व बाजार में मक्का के दाम भारत की तुलना में कम है। ऐसे में घरेलू बाजार में दीपावली के बाद मक्का की कीमतों और नरमी आने का अनुमान है।.......आर एस राणा

धनतेरस, शुभ मौके पर निवेश कितना होगा फलदायी!

आज धनतेरस है और आज का निवेश शुभ माना जाता है। भारत में इस मौके पर आमतौर पर लोग सोने में निवेश करते हैं, कहीं चांदी मे निवेश का भी चलन है। लेकिन पिछले एक साल के दौरान पूरे एसेट क्लास में सोने और चांदी ने सबसे ज्यादा रिटर्न दिया है। आज के इस शुभ मौके पर निवेश कितना फलदायी होगा और निवेश कैसे करें कि आपको बेहतर रिटर्न मिले, ये जानने के लिए लेकर आए हैं हम ये खास पेशकश।

इस संवत में सोने ने निवेशकों को 17 फीसदी का रिटर्न दिया है, तो चांदी ने 22 फीसदी का रिटर्न दिया है। वहीं सेंसेक्स में 8 फीसदी और निफ्टी में 10 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। पिछले 5 साल के सोने के रुझान पर नजर डालें, तो 2012 में सोने ने 19 फीसदी का पॉजिटिव रिटर्न दिया है लेकिन 2013 में 5 फीसदी का निगेटिव रिटर्न दिया था। 2014 में भी सोने से 10 फीसदी निगेटिव रिटर्न मिला है और 2015 में भी 6 फीसदी का निगेटिव मिला। हालांकि, इस साल 2016 में अब तक सोने ने 17 फीसदी का पॉजिटिव रिटर्न दिया है।

पिछले 5 साल के चांदी के रुझान पर नजर डालें, तो 2012 में चांदी ने 15 फीसदी का पॉजिटिव रिटर्न दिया है लेकिन 2013 में 20 फीसदी का निगेटिव रिटर्न दिया था। 2014 में भी चांदी से 20 फीसदी निगेटिव रिटर्न मिला है और 2015 में भी 10 फीसदी का निगेटिव मिला। हालांकि, इस साल 2016 में अब तक चांदी ने 22 फीसदी का पॉजिटिव रिटर्न दिया है।

धनतेरस पर सोने के भाव पर एक नजर डालते हैं, 2012 में सोने का भाव 31650 रुपये प्रति ग्राम था। 2013 में सोने का भाव 29850 रुपये प्रति ग्राम था। 2014 में सोने का भाव 27500 रुपये प्रति ग्राम था। 2015 में सोने का भाव 25800 रुपये प्रति ग्राम था। इस बार, 2016 में सोने का भाव 30400 रुपये प्रति ग्राम के आसपास है। वहीं धनतेरस पर चांदी के भाव पर भी एक नजर डालते हैं, 2012 में चांदी का भाव 61000 रुपये प्रति किलो था। 2013 में चांदी का भाव 48700 रुपये प्रति किलो था। 2014 में चांदी का भाव 38800 रुपये प्रति किलो था। 2015 में चांदी का भाव 34850 रुपये प्रति किलो था। इस बार, 2016 में चांदी का भाव 42500 रुपये प्रति किलो के आसपास है।

गोल्ड ईटीएफ के ट्रेंड पर भी गौर किया जाय तो 2013-14 में इससे 2293 करोड़ रुपये की निकासी हुई, तो 2014-15 में 1475 करोड़ रुपये की निकासी की गई। 2015-16 में गोल्ड ईटीएफस से 903 करोड़ रुपये की निकासी गई है, जबकि 2016-17 में सितंबर महीने तक 539 करोड़ रुपये की निकासी हुई है। देश में सोने के इंपोर्ट पर भी गौर करते हैं, इस साल जून में 23 टन सोने का इंपोर्ट हुआ है। जुलाई में 20 टन, अगस्त में 25 टन और सितंबर में 30 टन सोने का इंपोर्ट हुआ है। अक्टूबर में 60 टन सोने का अनुमान है।

दिवाली-धनतेरस पर ज्वेलरी बिक्री के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2013 में 40 फीसदी की निगेटिव ग्रोथ देखने को मिली थी, लेकिन 2014 में ज्वेलरी की बिक्री में 30 फीसदी और 2015 में 15 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी। गौरतलब है कि पिछले 4 साल में पहली बार सोने और चांदी में पॉजिटिव रिटर्न देखने को मिला है। 3 साल की गिरावट के बाद सोने और चांदी में तेजी लौटी है। फिर भी इस साल सोना रिकॉर्ड स्तर से भी 8 फीसदी सस्ता ही है। अब सोने की कीमतों की आगे की चाल को लेकर अमेरिका में ब्याज दरों पर बाजार की नजर है।

अमेरिका में दरें बढ़ीं तो सोने और चांदी के भाव में गिरावट संभव है। साथ ही भारत में इंपोर्ट ड्यूटी घटी तो सोने में गिरावट देखने को मिल सकती है। इस साल सोने की मांग में करीब 50 फीसदी की कमी आई है। सोने में निवेश आप हाजिर बाजार के जरिए तो कर ही सकते हैं, लेकिन वायदा के अलावा ईटीएफ और गोल्ड बॉन्ड से भी सोने में निवेश किया जा सकता है। फिलहाल गोल्ड बॉन्ड का छठा चरण 2 नवंबर तक खुला रहेगा। गोल्ड बॉन्ड के इश्यू प्राइस पर 50 रुपये की छूट दी जा रही है। गोल्ड बॉन्ड का इश्यू प्राइस 2957 रुपये प्रति ग्राम है। गोल्ड बॉन्ड पर आपको 2.5 फीसदी की दर से ब्याजा मिलेगा।............स्रोत : CNBC-Awaaz

कॉमैक्स पर सोने का दाम 1270 डॉलर के पार

अमेरिका के कमजोर आंकड़े और डॉलर में नरमी से धनरेस के दिन सोना चमक गया है। कॉमैक्स पर सोने का दाम फिर से 1270 डॉलर के पार चला गया है। इस संवत के दौरान सोने में करीब 17 फीसदी और चांदी में करीब 22 फीसदी का रिटर्न मिला है। पिछले 4 साल में पहली बार सोने ने रिटर्न दिया है। वहीं चांदी में भी पिछले 3 सालों की लगातार गिरावट के बाद इस साल मुनाफा दिखा रहा है। पूरे कमोडिटी बाजार में इलायची और चीनी के बाद सोना और चांदी ने जोरदार मुनाफा दिया है। इस संवत के दौरान चीनी में करीब 45 फीसदी और इलायची में करीब 65 फीसदी का फायदा हुआ है। वहीं क्रूड में इस साल के दौरान करीब 12 फीसदी और नैचुरल गैस में करीब 15 फीसदी की तेजी आई है। हालांकि कॉपर में 4 फीसदी की गिरावट रही जबकि निकेल 5 फीसदी का रिटर्न देने में कामयाब रहा।

आज ग्लोबल मार्केट में सोना, चांदी और कच्चे तेल में रिकवरी दिख रही है। हालांकि लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर में दबाव है। एग्री कमोडिटी में सोयाबीन में इस साल करीब 20 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। आज डॉलर के मुकाबले रुपया बिल्कुल सुस्त है।

27 अक्तूबर 2016

चीनी पर स्टॉक लिमिट की अवधि छह महीने के लिए बढ़ाई

आर एस राणा
नई दिल्ली। त्यौहारी सीजन में चीनी की कीमतों को काबू करने के लिए केंद्र सरकार ने चीनी पर स्टॉक लिमिट की अवधि को छह महीन के लिए बढ़ा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आज हुई बैठक में चीनी पर स्टॉक लिमिट की अवधि को 28 अप्रैल 2017 तक कर दिया है। मालूम हो कि चीनी पर स्टॉक लिमिट की अवधि 29 अक्टूबर 2016 को समाप्त हो रही थी।.......आर एस राणा

दिल्ली में गेहूं 2,100 रुपये

आर एस राणा
नई दिल्ली। दिल्ली की लारेंस रोड मंडी में गेहूं के भाव बढ़कर 2,080 से 2,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। गेहूं की कीमतों में तेजी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की निविदा उंचे भाव में भरी जाना है। दिल्ली में गेहूं की निविदा उंचे में 1,999 से 2,003 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भी गई।
माना जा रहा है कि जब तक केंद्र सरकार कोई कदम नहीं उठाती तब तक भाव में तेजी बनी रहेगी। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार गेहूं से 10 फीसदी आयात षुल्क को भी समाप्त करने पर विचार कर रही है लेकिन आयात षुल्क में कटौती का ज्यादा असर भाव पर नहीं होगा। गेहूं की कीमतों में गिरावट तभी आयेगी, या तो सरकार सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से आयात की अनुमति दे, या फिर बफर स्टॉक में कटौती करे।......आर एस राणा

महाराष्ट्र से केंद्र सरकार सायोबीन की एमएसपी पर खरीद करेगी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार महाराष्ट्र से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सोयाबीन की खरीद करेगी। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने सोयाबीन की एमएसपी पर खरीद के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था, जिसके आधार पर तत्काल खरीद करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने बताया कि चालू खरीफ विपणन सीजन 2116-17 में महाराष्ट्र से सोयाबीन की खरीद के लिए नेफेड और एसएफएसी को अधिकृत किया गया है। यह दोनों एजेंसियां राज्य की मंडियों में सोयाबीन की खरीद करेंगी।
चालू खरीफ में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में फसल की कटाइे के समय हुई बारिष से फसल दागी हो गई थी। माना जा रहा है कि मराठवाड़ा में करीब 20 से 25 फीसदी नुकसान हुआ था अतः दागी मालों के भाव नीचे में 2,200 से 2,700 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि बढ़िया मालों के भाव मंडियों में 2,800 से 2,850 रुपये प्रति क्विंटल हैं। केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2016-17 के लिए सोयाबीन का एमएसपी 2,775 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
जानकारों के अनुसार चालू खरीफ में सोयाबीन की पैदावार 130 से 135 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल का बकाया स्टॉक भी बचा हुआ है। इस समय उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक 9 से 10 लाख बोरी की हो रही है तथा दीपावली के बाद आवक और बढ़ सकती है। सोया डीओसी के भाव 24,500 से 25,000 रुपये प्रति क्विंटल है, तथा इन भाव में निर्यात पड़ते लग रहे हैं। ऐसे में उम्मीद है आगामी दिनों में सोया डीओसी की निर्यात मांग बढ़ेगी। अतः 2,600 से 2,700 रुपये प्रति क्विंटल भाव आने पर सोयाबीन की खरीद करनी चाहिए।........आर एस राणा

कच्चा तेल 3 हफ्ते के निचले स्तर प

कच्चा तेल पिछले 3 हफ्ते के निचले स्तर से संभलने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल इसमें सपाट कारोबार हो रहा है। दरअसल ओपेक के कई देशों की ओर से उत्पादन में कटौती नहीं करने के संकेत से इसका दाम पिछले 3 हफ्ते के निचले स्तर पर गिर गया है। लेकिन अमेरिका में अचानक भंडार करीब 5.5 लाख बैरल कम होने से कीमतों को सपोर्ट भी मिला है।
इस बीच सोना लगातार छोटे दायरे में बना हुआ है इसमें ऊपरी  स्तर से हल्का दबाव है। आज अमेरिका में ड्यूरेबल गुड्स और बेरोजगारी के साप्ताहिक आंकडे़ आने वाले हैं। बाजार की नजर इन आंकड़ों पर बनी हुई है।
इस बीच महाराष्ट्र में एमएसपी के नीचे भाव आने से केंद्र सरकार ने सोयाबीन की सरकारी खरीद का फैसला लिया है। वहीं आज डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी बढ़ गई है और 1 डॉलर की कीमत 66.90 के पार चली गई है।

26 अक्तूबर 2016

चावल निर्यात में बासमती की हिस्सेदारी बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के दूसरे सप्ताह 9 से 16 अक्टूबर के दौरान देष चावल के कुल निर्यात में बासमती चावल की हिस्सेदारी बढ़ी है। सूत्रों के अनुसार इस दौरान देष से 1,05,924.31 टन चावल का निर्यात हुआ है। इसमें बासमती चावल की हिस्सेदारी जहां बढ़कर 58.27 फीसदी की रही है वहीं गैर बासमती चावल की हिस्सेदारी 41.27 फीसदी है।
इस दौरान 61,725.9 टन बासमती चावल का निर्यात हुआ है जबकि 44,198.4 टन गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ है। बासमती चावल के प्रमुख आयातक देषों में साउदी अरब, यूएई और ईराक है जबकि गैर-बासमती चावल के प्रमुख आयातक देषों में यूएई और दक्षिण अफ्रीकी देष हैं।
उत्पादक मंडियों में धान की आवक लगातार बढ़ रही है, तथा माना जा रहा है दीपावली के बाद आवक और बढ़ेगी, जबकि इस समय निर्यातकों की मांग कमजोर है। इसलिए आगामी दिनों में धान की मौजूदा कीमतों में और भी 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने का अनुमान है।.......आर एस राणा

दाल उत्पादन 50 फीसदी बढ़ाने का लक्ष्य

आर एस राणा
दाल का उत्पादन अगले पांच साल में 50 फीसदी बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह का दावा है कि 2020-21 तक देश में 240 लाख टन दाल उत्पादन का लक्ष्य है। इसके तहत इस साल के दौरान 200 लाख टन और साल 2017-18 में 210 लाख टन दाल उत्पादन करने की योजना है।....आर एस राणा

कच्चा तेल गिरावट की चपेट में

कच्चा तेल गिरावट की चपेट में आ गया है। नायमैक्स पर कच्चा तेल 50 डॉलर के नीचे आ गया है। अमेरिका में भंडार बढ़ने से इसकी कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। कल अमेरिकी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट आई थी जिसके मुताबिक अमेरिका में क्रूड का भंडार 48 लाख बैरल बढ़ गया है। वहीं ओपक के कई सदस्य देशों ने उत्पादन में कटौती से इनकार किया है। इस बीच नाइजीरिया ने क्रूड का एक्सपोर्ट बढ़ा दिया है। ऐसे में कच्चे तेल में चौतरफा मार पड़ी है। अभी भी इसमें करीब 0.5 फीसदी नीचे कारोबार हो रहा है। हालांकि इस दौरान सोने में तेजी आई है और ग्लोबल मार्केट में इसका दाम करीब 3 हफ्ते के ऊपरी स्तर पर चला गया है। दरअसल डॉलर 9 महीने के ऊपरी स्तर से फिसल गया है। वहीं त्योहारों के मौके पर भारत में सोने की डिमांड बढ़ गई है। ऐसे में ग्लोबल मार्केट में सोने को सपोर्ट मिला है। कल घरेलू बाजार में सोना करीब 200 रुपये बढ़कर बंद हुआ था। इस बीच चीन में एल्युमीनियम का दाम पिछले 2 साल के ऊपरी स्तर पर पहुंच गया है।

एमएसपी पर 34,546 टन दलहन की खरीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ विपणन सीजन 2016-17 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अभी तक सरकारी एजेंसियां 34,546.69 टन दलहन की खरीद कर चुकी हैं जबकि सरकार ने खरीद का लक्ष्य 50 हजार टन का रखा है।
खाद्य मंत्रालय के अनुसार उड़द और मूंग की एमएसपी पर खरीद भारतीय खाद्य निगम के साथ ही नेफेड और एसएफएसी कर रही हैं। एफसीआई ने अभी तक चालू खरीफ में एमएसप पर 8,166.71 टन, नेफेड ने 23,510.13 टन और एसएफएसी ने 2,869.85 टन दलहन की खरीद की है।
माना जा रहा है कि सरकार ने केवल 50 हजार टन दलहन की खरीद का ही लक्ष्य तय किया है अतः जैसे ही सरकारी खरीद पूरी होगी, भाव में और गिरावट आयेगी। वैसे भी चालू खरीफ में उड़द के साथ ही मूंग का बंपर उत्पादन होने का अनुमान है। वैसे भी जिन मंडियों से मूंग की खरीद नहीं हो रही है, वहां भाव अभी भी एमएसपी से नीचे बने हुए हैं।
केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2016-17 के लिए मूंग का एमएसपी 5,225 रुपये और उड़द का एमएसपी 5,000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।.......आर एस राणा

25 अक्तूबर 2016

दलहन आयात में कमी आई

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के दूसरे सप्ताह 10 से 16 अक्टूबर के दौरान दलहन आयात 21.72 फीसदी घटकर 1,11,030 टन का ही हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 1,41,844 टन दलहन का आयात हुआ था।
इस दौरान सबसे ज्यादा ज्यादा आयात पीली मटर का 71,991 टन का हुआ, इसके अलावा 15,656 टन अरहर का और 10,119 टन चना का आयात हुआ।
दलहन की कीमतों में आगे और नरमी आने का अनुमान है। उड़द की दैनिक आवक बढ़ रही है, साथ ही मूंग की आवक भी अच्छी हो रही है। अरहर की नई फसल आने में अभी समय है लेकिन चालू खरीफ में बंपर पैदावार होने का अनुमान है। इसलिए मिलर्स भी केवल जरुरत के हिसाब से खरीद कर रहे हैं।.........आर एस राणा

केस्टर सीड की बुवाई 24 फीसदी कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में केस्टर सीड की बुवाई 24.18 फीसदी घटकर 8.40 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 11.08 लाख हैक्टेयर में हुई थी। केस्टर सीड की बुवाई अब पूरी हो चुकी है तथा माना जा रहा है कि चालू सीजन में इसकी पैदावार में करीब 25 से 30 फीसदी की कमी आयेगी। दीसा मंडी में केस्टर सीड के भाव 3,610 से 3,625 रुपये प्रति क्विंटल रहे। आगामी दिनों में केस्टर सीड की दैनिक आवक कम रहेगी, जिससे भाव में और तेजी आने का अनुमान है।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान देष से केस्टर तेल का निर्यात 1,74,846 टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 1,71,804 टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2015-16 में केस्टर तेल का कुल निर्यात 4,96,188 टन का हुआ है जबकि चालू वित्त वर्ष में कुल निर्यात पिछले साल की तुलना में ज्यदा होने का अनुमान है।..........आर एस राणा

जीएम सरसों के लिए लेंगे अदालत की मंजूरी : केंद्र

केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को भरोसा दिलाया कि वह उसकी अनुमति के बगैर जीएम (जीन संवर्धित) सरसों के बीजों को वाणिज्यिक तौर पर जारी करने की मंजूरी नहीं देगी। प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अगुवाई वाले एक पीठ के समक्ष अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर जीएम सरसों की फसल की खेती के परीक्षण और इसको वाणिज्यिक रूप से जारी करने करने की दिशा में कदम बढाने का फैसला होता है तो पहले इसकी अनुमति उच्चतम न्यायालय से ली जाएगी।    इस पीठ में ठाकुर के अलावा न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और एल नागेश्वर राव शामिल हैं। रोहतगी ने पीठ के समक्ष कहा, 'अगर हमें जीएम फसल के खेत परीक्षण अथवा वाणिज्यिक रूप से जारी करने के लिए आगे बढऩा है, तो हम अनुमति प्राप्त करने के लिए न्यायालय आएंगे।' उच्चतम न्यायालय इस मामले में अब चार सप्ताह बाद सुनवाई करेगा। इससे पूर्व उच्चतम न्यायालय ने जीएम सरसों को वाणिज्यिक रूप से जारी करने पर रोक को अगले आदेश तक रोक दिया था।

इस साल कपास उत्पादन बढ़ेगा, निर्यात घटेगा

आर एस राणा
देश में कपास सीजन 2016-17 में रकबे में गिरावट के बावजूद उत्पादन 3.8 फीसदी बढऩे के आसार हैं। इसकी वजह यह है कि इस साल अच्छे मॉनसून से उत्पादकता में भारी इजाफा हुआ है।  कपास सलाहकार बोर्ड की बैठक  में अनुमान जताया कि कपास वर्ष 2016-17 में उत्पादन 3.51 करोड़ गांठ (प्रत्येक 170 किलोग्राम) रहेगा, जबकि 2015-16 में उत्पादन 3.38 करोड गांठ रहा था। बीटी कपास का रकबा वर्ष 2015-16 में 106.8 लाख हेक्टेयर था, जो 2016-17 में घटकर 86.1 लाख हेक्टेयर पर आ गया है। इस तरह गैर-बीटी कपास का रकबा वर्ष 2016-17 में बढ़कर 18.9 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो वर्ष 2015-16 में 11.9 लाख हेक्टेयर था। गुप्ता ने कहा कि बीटी के मुकाबले गैर-बीटी में बढ़ोतरी का यह रुझान अगले साल बदल सकता है। यह मौसम और अन्य कई कारकों पर निर्भर करेगा।
 बैठक की अध्यक्षता केंद्र सरकार में कपड़ा आयुक्त कविता गुप्ता ने की। गुप्ता ने कहा, 'हमारा अनुमान है कि इस साल तीन कारकों- बेहतर मॉनसून, पंजाब में व्हाइट फ्लाई और गुजरात में पिंक बॉलवॉर्म का प्रकोप न होने से कपास का उत्पादन अच्छा रहेगा। इस साल कपास की उत्पादकता पिछले साल से बेहतर रहेगी।'   इस साल पंजाब और हरियाणा में कपास की उत्पादन में भारी इजाफा होने का अनुमान है। कपास सलाहकार बोर्ड का अनुमान है कि इस साल उत्पादकता में 17.47 फीसदी इजाफा होगा। वर्ष 2015-16 में उत्पादकता 483.79 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी, जो 2016-17 में सुधरकर 568.29 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो जाएगी। हालांकि पंजाब में औसत उत्पादकता 2016-17 में बढ़कर 597.66 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होने का अनुमान है, जो 2015-16 में 376.11 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी। पिछले साल पंजाब और हरियाणा में व्हाइट फ्लाई के प्रकोप से कपास की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई थी। इसी तरह पिछले साल गुजरात में पिंक बॉलवॉर्म का प्रकोप रहा, लेकिन इस साल बेहतर कीट नियंत्रण उपायों से  यह गायब है।  
गुप्ता ने कहा, 'पाकिस्तान में बेहतर उत्पादन के अनुमानों के कारण भारत का कपास निर्यात घटने के आसार हैं। पिछले साल पाकिस्तान में कपास की फसल खराब हो गई थी, इसलिए भारत ने 40 फीसदी (27 लाख गांठ) कपास का निर्यात पाकिस्तान को किया था। हालांकि इस साल पाकिस्तान में फसल अच्छी है, इसलिए उसे कम आयात की जरूरत होगी। चीन को कपास के निर्यात में कोई भारी बढ़ोतरी नहीं होने का अनुमान है। इससे 2016-17 में कपास का निर्यात घटकर 50 लाख गांठ पर आ सकता है, जो 2015-16 में 69 लाख गांठ रहा था।'   मिलों और लघु इकाइयों की कपास की खपत क्रमश: 275 लाख गांठ और 10 लाख गांठ पर अपरिवर्तित रहने का अनुमान है। इसलिए 2016-17 के अंत में कपास का स्टॉक 48 लाख गाठ रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 43 लाख गांठ था। इस बार तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सरकारों ने किसानों को कपास की जगह अन्य फसलें उगाने की सलाह दी थी। इस वजह से देश में कपास का रकबा 2016-17 में 12 फीसदी घटकर 105 लाख हेक्टेयर पर आ गया, जो 2015-16 में 118.8 लाख हेक्टेयर था।......आर एस राणा

24 अक्तूबर 2016

ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के दूसरे सप्ताह 9 अक्टूबर से 16 अक्टूबर के दौरान ग्वार गम उत्पादों (ग्वार गम पाउडर, ग्वार स्पलिट और मील) का निर्यात बढ़कर 6,914 टन का हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में केवल 5,299 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था।
ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में तो हालांकि इस दौरान बढ़ोतरी हुई है लेकिन विष्व बाजार में औसतन भाव में कमी आई है। चालू महीने के दूसरे सप्ताह में ग्वार गम पाउडर का निर्यात 4,396 टन का औसतन 1,393.56 डॉलर प्रति टन की दर से निर्यात हुआ है जबकि पहले सप्ताह में 3,916 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 1,451.34 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था।
इसी तरह से चालू महीने के दूसरे सप्ताह में जहां ग्वार स्पलिट का निर्यात 200 टन का औसतन 974.77 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है जबकि इसके पिछले सप्ताह में इसका निर्यात 40.5 टन का औसतन 1,150.04 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था। ग्वार मील का निर्यात दूसरे सप्ताह में 2,318 टन का औसतन 527 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है जबकि इसके पिछले सप्ताह में 1,342 टन ग्वार मील का निर्यात 539.63 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ था।
ग्वार सीड में स्टॉकिस्टों की मांग नीचे भाव में आई है, स्टॉकिस्ट भविष्य में तेजी मान कर खरीद कर रहा है। इसलिए आगामी दिनों में ग्वार सीड और ग्वार गम की कीमतों में तेजी-मंदी बनी रहेगी। ग्वार सीड के भाव नीचे में 3,200 से 3,200 बनने पर खरीद करनी चाहिए। चालू सीजन में हालांकि ग्वार सीड की पैदावार कम होने का अनुमान है लेकिन पिछले साल का बकाया स्टॉक ज्यादा हुआ है। इसकी तुलना में निर्यात मांग कमजोर है, इसलिए अभी बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। इसके भाव में बड़ी तेजी क्रुड के भाव में तेजी आने पर ही बनने की संभावना है।............आर एस राणा

यूक्रेन से गेहूं का आयात ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। भाव कम होने के कारण इस समय यूक्रेन से गेहूं का आयात ज्यादा मात्रा में हो रहा है जबकि यूक्रेन का गेहूं लाल है और इसकी क्वालिटी इतनी हल्क है कि इसको 20-30 फीसदी से ज्यादा मिलावट नहीं की जा सकती है। अगर इससे ज्यादा मिलावट की गई तो गेहंू उत्पादों की क्वालिटी प्रभावित होगी।
चालू महीने दूसरे सप्ताह 10 से 16 अक्टूबर के दौरान 90,762 टन गेहूं का आयात हुआ है जिसमें सबसे ज्यादा मात्रा 74,000 टन यूक्रेन के गेहूं की है। दूसरे सप्ताह में यूक्रेन के अलावा आस्ट्रेलिया और बुलगारिया से भी गेहूं का आयात हुआ जिसका औसतन भाव 214.40 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) रहा।
सूत्रों के अनुसार यूक्रेन से 74,000 टन गेहूं का आयात औसतन 191.57 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ। इसके अलावा 16,250 टन गेहूं का आयात आस्ट्रेलिया से 244.39 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है। बुलगारिया से इस दौरान केवल 512 टन गेहूं का आयात औसतन 202.81 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है।.....आर एस राणा

इराक ओपक के तेल उत्पादन कटौती का हिस्सा नहीं बनेगा

इराक ओपक के तेल उत्पादन कटौती का हिस्सा नहीं बनेगा। इस बात का संकेत इराक के तेल मंत्री ने दिया है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट बढ़ गई है और ग्लोबल मार्केट में करीब 0.5 फीसदी नीचे कारोबार हो रहा है। इस बीच डॉलर 8 महीने की ऊंचाई पर है इससे भी कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव है। अगले हफ्ते फेडरल रिजर्व की बैठक से पहले सोने की चाल भी सुस्त पड़ गई है। ग्लोबल मार्केट में सोना और चांदी हल्की गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं। कॉमैक्स पर सोना 1265 डॉलर और चांदी 17.5 डॉलर के पास कारोबार कर रही है। साथ ही लंदन मेटल एक्सचेंज पर बेस मेटल्स भी छोटे दायरे में हैं। हालांकि डॉलर में बढ़त से रुपये पर दबाव बढ गया है। डॉलर के मुकाबले रुपया हल्की कमजोरी के साथ कारोबार कर रहा है।

22 अक्तूबर 2016

एग्री कमोडिटी में मुनाफे का अच्छा अवसर

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे

---------------------खरीफ फसलों में अरहर,  किन भाव पर स्टॉक करने से मिलेगा फायदा, बाजरा, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, कपास, केस्टर सीड और ग्वार सीड का भविष्य कैसा रहेगा, इनके निर्यात-आयात की क्या हैं संभावनाएं, इन सभी की स्टीक जानकारी कें लिए हमसे जुड़े। अगले सप्ताह इनकी विस्तृत खबरें मिलेंगी, केवल ई-मेल के माध्यम से।

............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........
आर एस राणा
 rsrana2001@gmail.com
09811470207

एग्री कमोडिटी में मुनाफे का अच्छा अवसर

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे

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मक्का के निर्यात पड़ते नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। विष्व बाजार में मक्का के भाव सस्ते होने के कारण देष से मक्का का निर्यात सीमित मात्रा में ही हो रहा है। चालू महीने के दूसरे सप्ताह में केवल 363.2 टन मक्का का ही निर्यात हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 1,153 टन मक्का का निर्यात हुआ था। इस दौरान मक्का का निर्यात 301.80 डॉलर प्रति टन की दर से यूएई और मलेषिया को केवल डिपलोमेटिक आधार पर ही हुआ है।
मक्का की दैनिक आवक उत्पादक मंडियों में बढ़ रही है, तथा निर्यात पड़ते नहीं होने के कारण केवल घरेलू मांग ही है। इसलिए आगामी दिनों में दैनिक आवक बढ़ने पर इसकी कीमतों में और भी 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने का अनुमान है। वैसे भी चालू खरीफ में मक्का की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है।......आर एस राणा

यूक्रेन से गेहूं का आयात ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। भाव कम होने के कारण इस समय यूक्रेन से गेहूं का आयात ज्यादा मात्रा में हो रहा है जबकि यूक्रेन का गेहूं लाल है और इसकी क्वालिटी इतनी हल्क है कि इसको 20-30 फीसदी से ज्यादा मिलावट नहीं की जा सकती है। अगर इससे ज्यादा मिलावट की गई तो गेहंू उत्पादों की क्वालिटी प्रभावित होगी।
चालू महीने दूसरे सप्ताह 10 से 16 अक्टूबर के दौरान 90,762 टन गेहूं का आयात हुआ है जिसमें सबसे ज्यादा मात्रा 74,000 टन यूक्रेन के गेहूं की है। दूसरे सप्ताह में यूक्रेन के अलावा आस्ट्रेलिया और बुलगारिया से भी गेहूं का आयात हुआ जिसका औसतन भाव 214.40 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) रहा।
सूत्रों के अनुसार यूक्रेन से 74,000 टन गेहूं का आयात औसतन 191.57 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ। इसके अलावा 16,250 टन गेहूं का आयात आस्ट्रेलिया से 244.39 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है। बुलगारिया से इस दौरान केवल 512 टन गेहूं का आयात औसतन 202.81 डॉलर प्रति टन की दर से हुआ है।.......आर एस राणा

कृषि मंडी पर नया कानून जल्द




आर एस राणा
केंद्र सरकार राज्यों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद नया मॉडल एपीएमसी अधिनियम लाने की योजना बना रही है। केंद्र वर्ष 2003 में बनाए गए मॉडल अधिनियम की तर्ज पर राज्यों को अपने कृषि उपज विपणन अधिनियमों में संशोधन के लिए राजी करने में नाकाम रहा है। नए मॉडल एपीएमसी अधिनियम में पिछले एक दशक के दौरान हासिल किए गए सभी अनुभवों को शामिल किया जाएगा और गलतियों को हटाया जाएगा। 

हालांकि कृषि सुधारों की स्थिति के आधार पर राज्यों को रैकिंग देने के कदम को राज्यों की मंजूरी नहीं मिलेगी क्योंकि नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की अध्यक्षता में कृषि सुधारों पर बैठक में ज्यादातर राज्यों ने इसका विरोध किया था। नए अधिनियम में अनुबंध कृषि को बाहर किया जाएगा। इसमें मंडी के एक निर्धारित क्षेत्र में निजी बिक्री स्थान बनाने का प्रावधान होगा, ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जा सके। अधिनियम में राज्यों को अपने अधिनियमों में जिंसों को बाहर करने से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई का भी प्रावधान होगा। 

कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव अशोक दलवई ने कहा, 'नए मॉडल अधिनियम बनाया जाएगा और यह अगले 2 से 3 महीनों में मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए तैयार हो जाएगा।' पुराना मॉडल एपीएमसी अधिनियम 2003 में पिछली राजग सरकार में बनाया गया था। लेकिन एक दशक बीतने के बाद भी दो-तिहाई से कम राज्यों ने मॉडल अधिनियम की तर्ज पर अपने मंडी अधिनियमों में बदलाव किया है। इसी वजह से केंद्र को नया मॉडल अधिनियम बनाने के लिए बाध्य होना पड़ा। चंद ने कहा, 'नए मॉडल एपीएमसी अधिनियम के तहत राज्यों द्वारा अपने अधिनियम से कुछ जिंसों को बाहर करने के कारण होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई राज्य बजट या सीधे नाबार्ड के जरिये की जाएगी।'

इसके अलावा अधिकारियों ने अगले 1 से 2 साल में तीन प्रमुख सुधारों को क्रियान्वित करने का फैसला किया है। इन सुधारों में से एक यह है कि निजी जमीन में पेड़ उगाने पर प्रतिबंध हटाया जाएगा, जिससे किसान पेड़ों को बेचकर पैसा कमा सकेंगे। इसके अलावा भूमि लीज कानूनों में बदलाव किया जाएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से निर्देश के बाद आयोग ने 6 से 7 क्षेत्रों में सुधारों के लिए 25 एजेंडा चिह्नित किए हैं, जिन्हें अगले 3 से 5 साल में चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा। 

किसानों को मंडी प्रक्रिया से गुजरे बिना सीधे बिक्री की मंजूरी देने और निजी कृषि भूमि में पेड़ उगाने, कटाई करने और वाणिज्यिक उपयोग करने पर रोक को हटाने के बारे में रमेश चंद ने कहा कि वर्ष 2014 में पर्यावरण और वन मंत्रालय ने राज्यों को दिशानिर्देश जारी किए थे। इनमें कहा गया था कि किसानों को निजी जमीन में पेड़ उगाने और कटाई करने की आवश्यक स्वतंत्रता दी जाए। कुछ राज्यों ने अधिनियमों में बदलाव किया था, जबकि कुछ अन्य इस पर विचार कर रहे हैं। चंद ने कहा, 'हम अन्य राज्यों को भी अपने वन अधिनियम में संशोधन के लिए राजी कर रहे हैं और कुछ ने इसमें रुचि दिखाई है।' जमीन पट्टा अधिनियम के बारे में रमेश चंद ने कहा कि करीब 10 राज्यों ने अपने भूमि अधिनियमों के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन राज्यों में से एक मध्य प्रदेश है। मध्य प्रदेश के भूस्वामी और पट्टाधारकों के बीच जमीन पट्टा अधिनियम को अन्य राज्यों में अनुकरण के लिए नमूने के रूप में पेश किया जा रहा है। ....आर एस राणा