अहमदाबाद November 03, 2008
डॉलर के मुकाबले रुपये में आई कमजोरी के बाद भी हीरा निर्यातकों के चेहरे मुरझा गए हैं। रुपये में आई भारी गिरावट के बाद भी हीरा निर्यातकों को कोई लाभ नहीं मिला है क्योंकि बाजार में फिलहाल मांग नहीं है।
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आने से निर्यातकों को बेहतर रिटर्न मिलता है, लेकिन हाल में रुपये में आई गिरावट से हीरा निर्यातकों को कोई मदद नहीं मिली है। सूरत डायमंड असोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण नानावटी ने कहा कि अमेरिकी मंदी के चलते दुनिया भर की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है और इस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में काटे गए और पॉलिश्ड हीरे की मांग में तेजी से कमी आई है। गुजरात जेम्स एंड जूलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के क्षेत्रीय अधिकारी चंद्रकांत संघवी ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये में भारी गिरावट आई है। ऐसे में हीरा निर्यातकों को फायदा होना चाहिए था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में पॉलिश्ड हीरे की मांग में 15-20 फीसदी की कमी आने से इन निर्यातकों को रुपये में आई गिरावट का लाभ नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंदी के चलते लग्जरी आइटम की बिक्री में खासी गिरावट आई है। मंदी के चलते डायमंड यानी हीरे के खरीदारों ने कम कीमत पर काटे गए और पॉलिश्ड हीरे की मांग करनी शुरू कर दी है और पहले दिए गए ऑर्डर में भी कटौती शुरू कर दी है। प्रवीण नानावटी कहते हैं - अपरिष्कृत हीरे की लागत बढ़ गई है, ऐसे में मार्जिन पर दबाव पड़ा है। बताया जा रहा है कि इस वजह से हीरे की कई यूनिट में कर्मचारियों की छंटनी भी शुरू हो गई है। यहां यह बता देना उचित रहेगा कि अमेरिका डायमंड और जूलरी का सबसे बड़ा बाजार है। पिछले साल भारत से जितना जेम्स और जूलरी का निर्यात हुआ था उनमें से 28 फीसदी अमेरिकी बाजार में पहुंचा था। सूरत में हीरे की कटिंग और पॉलिसिंग होने के बाद यह कई जगहों मसलन दुबई, हांगकांग, थाइलैंड और इजरायल होते हुए भी अमेरिका पहुंचता है।सूरत के डायमंड कारोबारियों का कहना है कि जब काटे गए और पॉलिश्ड हीरे की मांग में कमी आ रही है और डॉलर का भाव चढ़ रहा है तो ऐसे में इसके अंतरराष्ट्रीय खरीदार पर बुरा असर तो पड़ेगा ही और नतीजे के तौर पर वे अपना ऑर्डर या तो कम कर देंगे या फिर सीमित कर देंगे। सूरत की डायमंड इंडस्ट्री ने गिरती मांग के चलते इस साल दीवाली में काफी पहले अवकाश घोषित कर दिया था। (BS Hindi)
04 नवंबर 2008
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