30 सितंबर 2008
चीनी पर सरकार व उद्योग के अनुमान अलग-अलग
अक्टूबर से शुरू हो रहे पेराई सीजन (2008-09) के दौरान चीनी उत्पादन को लेकर उद्योग और केंद्र सरकार की राय एक दूसरे से काफी अलग है। सोमवार को नेशनल फेडरेशन ऑफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफएल) की सालाना बैठक में कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि 2008-09 में देश में चीनी का उत्पादन 220 लाख टन होगा। दूसरी ओर फेडरेशन ने 200 लाख टन चीनी के उत्पादन की बात कही है। चालू सीजन में 263 लाख टन और उसके पहले साल 2006-07 में 283.28 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। 283.28 लाख टन उत्पादन अपने में रिकार्ड था। पवार ने कहा कि पहली अक्टूबर को नए सीजन की शुरूआत में 110 लाख टन का बकाया स्टॉक होगा और उत्पादन 220 लाख टन होगा। इन दोनों को मिलाकर कुल उपलब्धता देश की जरूरत के हिसाब से पूरी हो जाएगी और हमें आयात कोई जरूरत नहीं है। उधर एनएफसीएसएफएल के अध्यक्ष जयंती पटेल ने इसके विपरीत कहा कि वर्ष 2008-09 में देश में चीनी का उत्पादन 200 लाख टन होने की उम्मीद है जबकि घरेलू खपत के लिए हमें करीब 225 लाख टन चीनी की आवश्यकता होगी। निजी क्षेत्र की मिलें तो 200 लाख टन से भी कम उत्पादन की बात कर रही हैं। वहीं उनके मुताबिक नए सीजन की शुरूआत में बकाया स्टॉक मात्र 80-90 लाख टन रहने का अनुमान है। उत्पादन में कमी का प्रमुख कारण हाल में उत्तर प्रदेश के गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में आई बाढ़ है। देश के कुल गन्ना उत्पादन 220 लाख टन में जहां उत्तर प्रदेश का योगदान 70 लाख टन का होता है वहीं उत्तर प्रदेश के मिलर नए साल में 55 से 58 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान लगा रहे हैं। इसी तरह से महाराष्ट्र में भी इसका उत्पादन 55 से 57 लाख टन होने की उम्मीद है जबकि केंद्र 61 लाख टन का उत्पादन मान रहा है।इस स्थिति में पटेल ने केंद्र सरकार से एडवांस लाइसेंस के तहत मिलों को शुल्क मुक्त रॉ शुगर आयात की इजाजत टन-टू-टन के आधार पर देने की मांग की है। इस समय वही मिल रॉ शुगर का आयात कर सकती है जो रिफाइंड करके उसका निर्यात करें। यह आयात शुल्क मुक्त है लेकिन इसके लिए त्नग्रेन टू ग्रेनत्न की शर्त लागू है। इसके तहत आयातित चीनी को ही निर्यात करना होता है। 21 अगस्त, 2004 को स्पेशल आदेश के तहत पहली बार मिलों को शुल्क मुक्त रॉ शुगर आयात करने की अनुमति दी गई थी तथा उसे प्रोसेस कर घरेलू बाजारों में बेचने की अनुमति दी गई थी। उसमें शर्त थी कि एक टन व्हाइट शुगर के बदले में 1.05 टन रॉ शुगर का आयात कर सकते हैं। यह सुविधा शुगर उद्योग से इस साल 16 अप्रैल को डीजीएफटी ने एक सकरुलर जारी कर वापिस ले ली। मिलें चाहती हैं घरेलू सप्लाई को सुगम बनाने हेतु व मिलों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े इसलिए इसकी अनुमति दी जाए। (Business Bhaskar)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें