कोच्चि September 24, 2008
काली मिर्च का बाजार पिछले तीन-चार सप्ताह से आपूर्ति की भारी कमी के दौर से गुजर रहा है, यद्यपि इस मसाले का कारोबार वायदा एक्सचेंजों में सक्रिय रूप से हो रहा है और इंडिया पीपर ऐंड स्पाइस ट्रेड एसोसिएशन (आईपीएसटीए) द्वारा हाजिर मूल्यों की सूचना दैनिक आधार पर उपलब्ध कराई जा रही है।छोटे और मंझोले किसानों तथा स्टॉकिस्टों के काली मिर्च का भंडार ख्त्म हो चुका है क्योंकि उनके पूरे भंडार की बिक्री पहले ही हो चुकी है। किसानों के अनुसार, केवल धनी किसान, जिन्हें अपने भंडार को खाली करने की कोई जल्दी नहीं है, ने काली मिर्च बचा कर रखा हुआ है। वास्तव में उनकी योजना फसल के अगले सीजन के दौरान मूल्य में होने वाली अनुमानित भारी बढ़ोतरी से लाभ कमाना है।इसके अतिरिक्त, नैशनल कमोडिटी एक्सचेंज के भंडार में सितंबर डिलिवरी के बाद 3,500 टन की कमी आई है और तबसे फार्मगेट काली मिर्च की उपलब्धता नहीं के बराबर है। दिसंबर तक, जब अगले सीजन की कटाई शुरू होती है, तब तक एक्सचेंज के भंडारगृहों में और काली मिर्च पहुंचने की उम्मीद कम है।आईपीएसटीए में कोई स्पॉट कारोबार नहीं चल रहा है और क्षेत्रीय एक्सचेंज पिछले कुछ महीनों से केवल सांकेतिक मूल्य उपलब्ध करा रहे हैं। इसकी वजह भारत में काली मिर्च के प्रमुख बाजार कोच्चि में आवक का कम होना है।एक बड़ी कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने बताया, 'अपने 25 सालों के कारोबारी अनुभव में मैंने इस तरह की परिस्थिति नहीं देखी है जहां हाजिर बाजार में कोई बेचने वाला नहीं है और स्टॉकिस्ट कीमतों के बारे में बात भी नहीं करना चाहते हैं। निकट माह के वायदा सौदों की कीमत आईपीएसटीए द्वारा प्रकाशित कीमतों की तुलना में काफी नीचे के स्तर पर आ गई थी।' उन्होंने कहा कि 20 साल पहले हम ऐसी परिस्थिति से रुबरू हुए थे जब वायदा कारोबार हाजिर मूल्यों से कम कीमत पर किया जा रहा था। (BS Hindi)
25 सितंबर 2008
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