मुंबई September 25, 2008
कई राज्यों के बाढ़ प्रभावित होने और सीजन के अंत में अत्यधिक बारिश होने से परिपक्व होती धान की फसल की क्षति के बावजूद देश में धान के उत्पादन में 15 फीसदी की बढ़ोतरी होने की संभावना है।औद्योगिक सूत्रों के अनुसार, इस वर्ष रेकॉर्ड 1,100 लाख टन चावल के कुल उत्पादन की संभावना है जबकि पिछले वर्ष यह 963.5 लाख टन था। भारत के कुल चावल उत्पादन का 87 प्रतिशत खरीफ सीजन में होता है जबकि रबी सीजन के दौरान शेष 13 प्रतिशत का उत्पादन होता है।मुंबई स्थित धान और गेहूं प्रसंस्करण कंपनी अशर एग्रो लिमिटेड के प्रबंध निदेशक वी के चतुर्वेदी ने कहा, 'चावल बारिश पर आधारित फसल है और इसे बुआई से लेकर कटाई तक अधिक नमी की जरूरत होती है। इस साल का मौसम धान की फसल के लिए बहुत अच्छा था। इसलिए, न केवल हम बंपर फसल की उम्मीद कर रहे हैं बल्कि हमें अनाज के बेहतर किस्म की भी आशा है जो सामान्य आकार के दानों की तुलना में भारी होगा।'लेकिन अधिकांश धान उत्पादक राज्यों में हाल में आई विनाशकारी बाढ़ को देखते हुए कारोबारी सूत्रों को फसल के नुकसान की भी आशा कर रहे हैं। हालांकि, बाढ़ के कारण लगभग 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की फसल के डूब जाने के कारण उत्पादन में मामूली, लगभग 6 लाख टन की कमी आएगी।चतुर्वेंदी ने कहा, 'देश के कुल उत्पादन को देखते हुए क्षति की मात्रा लगभग नहीं के बाराबर होगी।'धान की फसल की कटाई से पहले लगभग 15 दिनों तक बारिश नहीं होनी चाहिए। लेकिन, धान उत्पादक सभी प्रमुख राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, पजाब आदि में हो रही भारी बारिश से कटाई के वर्तमान सीजन में कटाई में लगभग एक पखवाड़े का विलंब हो सकता है। उन्होंने कहा कि सामान्य परिस्थितियों के अंतर्गत धान के खरीफ फसल की कटाई अक्टूबर के पहले पखवाड़े में शुरू हो जाती है लेकिन अत्यधिक बारिश के कारण यह इस साल 20 अक्टूबर से शुरू हो सकता है। भारत में इस साल 1,400 लाख धान के उत्पादन होने की उम्मीद है जबकि पिछले साल1,180 लाख टन का उत्पादन हुआ था।ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विजय सेटिया का विश्वास है कि बाढ़ और अत्यधिक बारिश के कारण 10 प्रतिशत शुरुआती कटाई वाली फसल का केवल 5 फीसदी गुणात्मक दृष्टि से प्रभावित होगा जो कुल धान की फसल का 0.2 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, 'बाढ़ के पानी में एक सप्ताह से अधिक तक धान की फसल के डूबे रहने से गुणवत्ता प्रभावित होगी, और अनाज के विकास पर प्रभाव पड़ेगा। कम से कम कुल परिमाण का एक प्रतिशत प्रभावित होगा।' उद्योग जगत सामान्य नियम के मुताबिक चल रहा है जसके अनुसार, 'अत्यधिक बारिश, फसल को कम नुकसान जबकि बारिश के नहीं होने से धान की फसल को अधिकतम नुकसान होता है।'कृषि मंत्रालय के आकलन के अनुसार धान के रकबा इस साल 21 लाख हेक्टेयर बढ़ कर 324.60 लाख हेक्टेयर हो गया है जबकि पिछले साल 22 जुलाई तक यह 303.60 लाख हेक्टेयर था। (BS Hindi)
26 सितंबर 2008
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