बेंगलुरु September 18, 2008
चीनी वर्ष 2007-08 में महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बाद कर्नाटक देश का तीसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य बनकर उभरा है। इस तरह, कर्नाटक तमिनलाडु और आंध्र प्रदेश को पछाड़कर दक्षिण भारत का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक बन गया है। यह जानकारी साउथ इंडियन शुगर मिल्स एसोसियशन (सिस्मा) ने दी। मौजूदा सीजन (अक्टूबर 2007 से सितंबर 2008) के दौरान राज्य में जहां रेकॉर्ड 29 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ वहीं तकरीबन 2.70 करोड़ टन गन्ने की पेराई हुई है। आधिकारिक सूत्र के मुताबिक, पिछले सीजन की तुलना में चीनी उत्पादन में 12 और गन्ने की पेराई में 11 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। पिछले कई साल की तरह इस बार भी चीनी उत्पादन में अग्रणी स्थान महाराष्ट्र का ही रहा जहां मौजूदा सीजन में 91 लाख टन चीनी तैयार किया गया। इसके बाद दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश रहा जिसने 73 लाख टन चीनी उत्पादित किया।सिस्मा के मुताबिक, चीनी उत्पादन के मामले में दक्षिण भारत के राज्यों में कर्नाटक के बाद दूसरे नंबर पर तमिलनाडु रहा। तमिलनाडु में इस सीजन में 18.81 लाख टन चीनी तैयार किया गया जबकि कुल 2.01 करोड़ टन गन्ने की पेराई की गई। आंध्र प्रदेश में 13.36 लाख टन चीनी तैयार करने के लिए करीब 1.32 करोड़ टन गन्ने की पेराई की गई। सिस्मा ने ही बताया कि मौजूदा सीजन में दक्षिण भारत के अन्य राज्यों की तुलना में कर्नाटक के मिलों ने बहुत बेहतर परिणाम दिए हैं। कर्नाटक के चीनी मिलों ने उत्तर भारत के चीनी मिलों की रिकवरी दर 12 फीसदी की तुलना में 10.54 फीसदी की रिकवरी दर हासिल की। तमिलनाडु के मिलों की रिकवरी दर जहां 9.35 फीसदी रही, वहीं आंध्र प्रदेश के मिलों ने 10.12 फीसदी की रिकवरी दर हासिल की।सिस्मा के अनुसार, अनुमान लगाया गया था कि कर्नाटक में इस बार 27 लाख टन चीनी का उत्पादन होगा और करीब 2.7 करोड़ टन गन्ने की पेराई होगी। इस तरह राज्य में अनुमान से दो लाख टन ज्यादा चीनी उत्पादित किए गए।पिछले साल की तुलना में इस बार चीनी मिलों की रोजाना पेराई क्षमता में 5 फीसदी की वृद्धि हुई। बताया गया है कि फिलहाल राज्य में तीन मिलों का निर्माण कार्य चल रहा है और इसके पूरा हो जाने के बाद राज्य में कुल 51 चीनी मिल हो जाएंगे। कर्नाटक देश के कुल उत्पादन में करीब 10 फीसदी का और चीनी निर्यात में 6 लाख टन का योगदान करता है। वैसे अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल गन्ने के रकबे में कमी होने से देश में चीनी का उत्पादन अगले साल करीब 20 फीसदी कम हो जाएगा। कर्नाटक में भी इसका असर पड़ने का अनुमान है। सिस्मा के मुताबिक, अनुमान है कि कर्नाटक में भी चीनी का उत्पादन अगले साल 25 से 30 फीसदी कम हो जाएगा। (BS Hindi)
19 सितंबर 2008
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