मुंबई September 24, 2008
आगामी पर्व-त्योहारों के मद्देनजर मांग बढ़ने और कड़ी आपूर्ति के चलते खाद्य तेलों की लगभग सभी किस्मों में 20 फीसदी की तेजी की उम्मीद है।उल्लेखनीय है कि दीवाली, दशहरा और ईद के वक्त देश में विभिन्न उत्पादों की मांग कई गुनी बढ़ जाती है जो नए साल आने तक चलती रहती है। इस बार तो खाद्य तेल की आपूर्ति भी सीमित रह रही है। ऐसे में पूरी उम्मीद है कि तेल की कीमतें तेज रहेगी। धारा वेजिटेबल ऑयल एंड फूड्स कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एच. सी. विरमानी ने बताया कि फिलहाल तेल की कीमत अपेक्षाकृत कम है जिसके निकट भविष्य में चढ़ने की उम्मीद है।आयात के जरिए लोगों की जरूरतें पूरी करने वाले जिंसों में सबसे संवेदनशील खाद्य तेल की कीमतें पिछले चार-पांच महीनों में 25 से 30 फीसदी तक लुढ़क चुकी है। जानकारों के अनुसार, दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं के सुस्त होने से लोगों की खरीदने की क्षमता में कमी हुई है जिससे तेल की कीमतें घटी हैं।लेकिन भारत से मांग में हुई जबरदस्त बढ़ोतरी से तेल अब फिर से मजबूत होने लगा है खासकर मलयेशिया और इंडोनेशिया में।मलयेशिया में दिसंबर डिलिवरी के पाम तेल में एक पखवाड़ा पहले की तुलना में 5 फीसदी की मजबूती दर्ज हुई। मलयेशियाई डेरिवेटिव एक्सचेंज में मंगलवार को मजबूती के बाद तेल के भाव 706 डॉलर प्रति टन तक चले गए। जानकारों के अनुसार, न्यू यॉर्क मकर्टाइल एक्सचेंज में कच्चे तेल की कीमतों में 9 फीसदी की मजबूती हुई और तेल के भाव 108 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए। पाम तेल में मजबूती की एक और वजह मलयेशिया में ऑर्डर का लगभग सभी जगहों से आना है। निर्यात के ऑर्डर इंडोनेशिया को भी खूब मिल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इन दोनों देशों में पूरी दुनिया के कुल 90 फीसदी वनस्पति तेल का उत्पादन होता है। जानकारों के मुताबिक, मलेशिया में पाम तेल का उत्पादन 2008 सीजन के दौरान घटने की उम्मीद है। लेकिन बायोईंधन बनाने के लिए पाम तेल की मांग बढ़ने और जिंसों के भाव चढ़ने से पाम तेल के मूल्य बढ़ने की उम्मीद है। भारत में आपूर्ति बढ़ाने और बढ़ी कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की फर्म एमएमटीसी लिमिटेड 18,500 टन पाम तेल के आयात की निविदाएं जारी कर चुकी है।देश में सालाना 1.25 से 1.3 करोड़ टन खाद्य तेलों की खपत पूरा करने के लिए करीब 55 लाख टन खाद्य तेल मंगाए जाते हैं।हालांकि इस साल खरीफ सीजन के तिलहनों के बंपर उत्पादन अनुमान के बावजूद तेल के आयात में कोई कमी होने के आसार नहीं हैं। मानूसन के बेहतर रहने से इस साल खाद्य तेलों के रकबे में खासी वृद्धि हुई है। पिछले साल के मुकाबले तिलहन का रकबा इस साल 2.51 प्रतिशत यानी 4.5 लाख हेक्टेयर बढ़ा है और यह 179 लाख हेक्टेयर तक चले जाने का अनुमान है। कारगिल इंडिया लिमिटेड के खाद्य तेलों के सीईओ सीरज चौधरी का मानना है कि अभी ज्यादातर अनुबंधों में डिफॉल्ट हो रहा है क्योंकि जब कारोबार बूम पर चल रहा हो तब कारोबारी ऊंची बोली लगा रहे हैं। दूसरी बात कि वितरक कीमतों के गिरने के चलते ऑर्डर नहीं उठा रहे हैं। ऐसे में त्योहारों के बाद तात्कालिक उछाल थम सा जाएगा। जब वितरक अपने सुरक्षित भंडार को खपाएंगे तब बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ेगी। (BS Hindi)
25 सितंबर 2008
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