26 सितंबर 2008
बारिश की तबाही के बावजूद खाद्यान उत्पादन बढ़ने का दावा
नई दिल्ली : उड़ीसा, बिहार और असम में आई बाढ़ से खरीफ फसलों को भारी क्षति पहुंची है। करीब 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान और मक्के की खड़ी फसल बर्बाद हो गई। इसके बावजूद पिछले साल की तुलना में वित्त वर्ष 2008-09 के पहले पूर्वानुमान में 8.325 करोड़ टन चावल उत्पादन की बात कही गई है। यह पिछले साल के 8.821 करोड़ टन से ज्यादा है। गुरुवार को पूरे साल के लिए पहला पूर्वानुमान जारी किया गया। इसमें वित्त वर्ष 2008-09 के लिए कुल खाद्यान्न पैदावार 11.533 करोड़ टन होने का अनुमान है। हालांकि, वर्ष 2007-08 के चौथे पूर्वानुमान में 12.096 करोड़ टन खाद्यान्न पैदावार रहने का अनुमान लगाया था। इस साल के पूर्वानुमान में पांच फीसदी कम पैदावार होने की बात कही गई। कृषि सचिव टी नंद कुमार इस बात को लेकर बेहद आशान्वित थे कि अच्छा मानसून रहने से मिट्टी में नमी बढ़ेगी और इससे रबी फसलों की पैदावार बढ़ेगी। उन्होंने कहा, 'फिलहाल जो आकलन है, उससे कहीं से भी खाद्य सुरक्षा खतरे में नहीं दिखाई पड़ती है।' उन्होंने कहा कि अक्टूबर में रबी फसलों जैसे गेहूं, चना, और सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की जाएगी। उन्होंने सभी राज्यों से रबी फसलों की बुआई से पहले फटिर्लाइजर और दूसरे जरूरी समान उपलब्ध कराने के लिए कहा है। वैसे कुछ राज्यों में फटिर्लाइजर की कमी बड़ी समस्या है। उन राज्यों में इसकी उपलब्धता बढ़ाने संबंधी सभी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन एग्रीकल्चर फॉर रबी कैम्पेन: २००८ के अवसर पर कहा, 'अच्छी गुणवत्ता वाले बीज जरूरी मात्रा में उपलब्ध है और इस मोचेर् पर किसी तरह की चिंता की बात नहीं है।' (ET Hindi)
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