29 सितंबर 2008
अनाजों के समर्थन मूल्य लगातार बढ़े
केंद्र सरकार पिछले चार सालों से लगातार अनाजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा करती आई है। इस दौरान विभिन्न अनाजों के एमएसपी में करीब 39-79 फीसदी का इजाफा हो चुका है। मुख्य रुप से अनाजों का उत्पादन बढ़ाने की इस सरकारी कोशिश में सबसे ज्यादा फायदा किसानों को हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में करीब 49 फीसदी का इजाफा होने से ए ग्रेड धान का दाम 880 रुपये `िंटल हो गया है। जबकि चार साल पहले इसका एमएसपी 590 रुपये `िंटल था। सरकार ने साल 1999-2000 और 2003-2004 के दौरान धान के एमएसपी में महज 60 रुपये `िंटल का इजाफा किया है। जबकि गेहूं का एमएसपी इस दौरान करीब 50 रुपये `िंटल बढ़ा है। सूत्रों के मताबिक एमएसपी बढ़ने का असर अनाजों के उत्पादन पर पड़ा। लिहाजा साल 2007-08 के दौरान देश में रिकार्ड स्तर पर खाद्यान्नों का उत्पादन हुआ है। सरकार द्वारा एमएसपी बढ़ाने से इस साल किसानों का रुझान धान की खेती में भी बढ़ा है। ऐसे में इस साल पिछले साल के मुकाबले करीब 12 लाख हैक्टेयर बढ़ने से धान का रकबा करीब 379.7 लाख हैक्टेयर हो गया है। इसी तरह से सरकार द्वारा गेहूं के एमएसपी को भी बढ़ाकर एक हजार रुपये `िंटल करने से इस साल उत्पादन बढ़कर 7.84 करोड़ टन रहा। साल 2004-05 के बाद से गेहूं का एमएसपी करीब 56 फीसदी बढ़ चुका है। साल 2004-05 में गेहूं का एमएसपी 640 रुपये `िंटल था। इस दौरान मक्के के एमएसपी में 60 फीसदी का इजाफा होने से यह 840 रुपये `िंटल हो गया है। ऐसे में इस साल मक्के का उत्पादन बढ़कर 1.931 करोड़ टन हो गया है। पिछले चार सालों में मूंग की एमएसपी में 79 फीसदी का इजाफा होने से यह 2520 रुपये `िंटल हो गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल मूंग का उत्पादन करीब डेढ़ करोड़ टन रहा है। सरकार ने पिछले चार सालों के सोयाबीन और मूंगफली के एमएसपी को भी बढ़ाया है। सोयाबीन के एमएसपी में सरकार ने करीब 39 फीसदी और मूंगफली के एमएसपी में 40 फीसदी का इजाफा किया है। उल्लेखनीय है कि सकल घरलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का करीब 18 फीसदी योगदान है। जबकि देश की करीब 60 फीसदी जनसंख्या के लिए आजीविका का आधार है। (Business Bhaskar)
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