नई दिल्ली September 23, 2008
वित्तीय संस्थानों को मंदी से उबारने के अमेरिकी प्रयासों पर उभरे संदेह के बादल के चलते कच्चे तेल में मंगलवार को तीन डॉलर से ज्यादा की कमी हुई और यह 107 डॉलर प्रति बैरल से नीचे जाकर बंद हुआ। उल्लेखनीय है कि सोमवार को इस अनुमान के बाद कि सरकार के आर्थिक कदमों से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और कच्चे तेल की खपत में वृद्धि होगी, कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक उछाल देखा गया। मंगलवार को संदेह पैदा होने के बाद पूरा माहौल ही बदल गया और निवेशकों ने अपने हाथ खींचने शुरू कर दिए। एक दलाल ने बताया कि कच्चे तेल में तेजी सकारात्मक माहौल के चलते रही जबकि कमी वास्तविकताआ से पाला पड़ने से हुई। अमेरिकी क्रूड ऑयल के नवंबर डिलिवरी का भाव 3.01 डॉलर की कमी से 106.36 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ जबकि ब्रेंट क्रूड ऑयल में 3.12 डॉलर की कमी के बाद भाव 102.92 डॉलर पर बंद हुआ।गौरतलब है कि सोमवार को यूएस क्रूड ऑयल के नवंबर डिलिवरी में करीब 7 डॉलर की तेजी दर्ज की गई थी। अक्टूबर डिलिवरी में तो कल 15.7 फीसदी की तेजी देखी गई जो एक दिन में होने वाली सबसे जबरदस्त बढ़ोतरी रही है। इस तेजी के बाद तेल के भाव 25 डॉलर की मजबूती से 120.92 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए थे। एक जानकार ने बताया कि मंगलवार की नरमी असल में कल अक्टूबर और नवंबर अनुबंध में हुई रेकॉर्ड तेजी के बाद निवेशकों की मुनाफावसूली के चलते हुई है।उनके अनुसार, अमेरिकी वित्तीय संस्थानों को खतरे से बचाने के लिए सरकार के 700 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता को लेकर तमाम तरह के सवाल पैदा हो रहे हैं जबकि अभी और सवाल पैदा होने का अनुमान है। जानकारों के मुताबिक, सोमवार को कच्चे तेल में आए उछाल के पीछे डॉलर की मजबूती का समर्थन रहा है। (BS Hindi)
24 सितंबर 2008
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