21 सितंबर 2008
पाम तेल के डिफॉल्टर काली सूची में होंगे
कुआलालंपुर। मलेशिया व इंडोनेशिया की पाम तेल ट्रेडिंग कंपनियां बार-बार डिफॉल्ट होने वाले खरीदारों को काली सूची में डालने की तैयारी कर रही हैं। हालांकि कुछ अन्य निर्यातक कंपनियों को ऐसी पहल बेकार लग रही है।इस पूर मसले में अहम बिंदु है कि क्या निर्यातकों को मूल्य के सवाल पर दुबारा बातचीत करके डिफॉल्टर खरीदारों के माल बेचकर स्टॉक घटाने में मदद मिल सकती है या नहीं। मध्य जून से पाम तेल के मूल्य में तेजी से गिरावट आने के बाद डिफॉल्ट और दुबारा बातचीत के मामले काफी बढ़ गए हैं। कुआलालंपुर की ट्रेडिंग कंपनी के अधिकारी ने कहा कि कुछ दिनों पहले दोनों देशों की कई कंपनियों ने सिंगापुर में मुलाकात की और इस समस्या के समाधान के लिए बातचीत की। पाम तेल निर्यातकों ने ऊंचे भाव पर सौदे करके बाद में मूल्य घटाने की कोशिश करने वाले खरीदारों के कागजातों की जानकारी देने का तरीका निकाल लिया है। खरीदारों ने अक्टूबर से दिसंबर डिलीवरी के लिए पामोलीन कागरे के नकद सौदे किए थे। ये सौदे जून मध्य में 1265 डालर प्रति टन के मूल्य पर हुए थे। इस समय भाव करीब 700 डालर प्रति टन चल रहा है।कारोबारियों के अनुसार पिछले सात सप्ताह में मूल्य लगातार गिरने से डिफॉल्टर बढ़ रहे हैं। इसके अलावा मूल्य पर दुबारा बातचीत करने या पाम तेल की खरीद टालने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इन दोनों में देशों कुल 15 लाख टन के सौदे इस तरह फंस गए हैं। दूसरी ओर इंडोनेशिया की कंपनी पीटी एस्ट्रा एग्रो लेस्टारी ने अपेक्षित मूल्य न मिलने की वजह से पाम तेल की नीलामी डाल दी। उसने 4500 टन क्रूड पाम तेल नीलामी के लिए पेश किया था और इसके लिए 5235 से 5535 इंडोनेशियाई रिंगिट प्रति टन न्यूनतम मूल्य तय किया था। लेकिन इससे कम मूल्य पर खरीदार दिलचस्पी दिखा रहे थे। (Business Bhaskar)
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