नई दिल्ली September 21, 2008
पश्चिमी राजस्थान के इलाके में आने वाले तीन सप्ताह में मानसून के पीछे हटने की कोई संभावना नही दिखती है। अगर क्षेत्रफल के हिसाब से देखा जाए, तो देश के हर क्षेत्र में अमूमन बारिश का वितरण सही रहा है। लेकिन 17 सितंबर तक अगर बारिश का परिमाणात्मक जायजा लिया जाए, तो यह अपेक्षाकृत 2 प्रतिशत कम रहा है। लेकिन खरीफ की बुआई स्वाभाविक तौर पर खत्म हो चुकी है। कुछ खरीफ फसलों की तो कटाई भी शुरू हो गई है। धान की ताजा आवक हरियाणा की मंडियों में दिखने भी लगी है और सरकार को इस बात का संकेत दे रही है कि 1 अक्टूबर के बजाय 22 सितंबर से खरीद प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाए।मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र की कुछ मंडियों में सोयाबीन की भी आवक शुरू हो गई है। लेकिन ज्यादा नमी की मात्रा होने के कारण सोयाबीन स्टॉक को कम कीमत मिल रही है।तकरीबन 9.3 फीसदी ज्यादा रोपाई और अनुकूल मौसम की वजह से इसकी पैदावार अधिक हुई है और आने वाले समय में इसकी कीमत स्थिर रहने की संभावना है। मूंगफली के रकबे को अगर छोड़ दिया जाए, तो लगभग हर तिलहन का उत्पादन इस खरीफ मौसम में उत्साहजनक रहा है। पिछले साल के मुकाबले इस बार तिलहन के कुल क्षेत्रफल में लगभग 3.5 लाख हेक्टेयर का इजाफा हुआ है। सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुमान के मुताबिक इस बार तिलहन का उत्पादन 1 करोड़ 80 लाख से 1 करोड़ 90 लाख टन होगा।पिछले एक महीने में विभिन्न खाद्य तेलों की कीमतों में 3.5 से 6.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। वनस्पति तेल का जैव-ईंधन में बदले की प्रक्रिया में कमी होने की वजह से आगे भी इसकी कीमतों में गिरावट होने के आसार हैं। रक बे में विस्तार की वजह से चावल के उत्पादन में भी रिकॉर्ड उत्पादन होने की संभावना है। वैसे बासमती के बारे में कुछ नही कहा जा सकता है, क्योंकि पंजाब के विभिन्न इलाकों खासकर संगरूर, होशियारपुर, पटियाला और लुधियाना जिले में चित्ती रोग के कुछ मामले प्रकाश में आए हैं।रकबे में कुछ गिरावट होने की वजह से इस बार कपास का उत्पादन पिछले साल के स्तर तक ही रहने की संभावना है। लेकिन कुछ लोग इस बात से आशान्वित हैं कि कुल रकबे के 80 प्रतिशत क्षेत्र में ट्रांसजेनिक बीटी-हाइब्रिड की रोपाई की गई है, तो इससे इसके उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन प्रमुख दाल उत्पादक क्षेत्र जैसे महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में रोपाई के वक्त मिट्टी में नमी रहने की वजह से दाल की बुआई कम हुई है, इसलिए इसके उत्पादन में कमी आ सकती है। परिणामस्वरूप दाल के आयात में भी इस बार बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल के 25 लाख टन दाल आयात के मुकाबले इस बार इसका आयात 30 लाख टन रहा है। केंद्रीय कैबिनेट ने खाद्य मंत्रालय को इस बात के लिए अधिकृत किया है कि वे म्यांमार से 10 लाख टन दाल का आयात करें, ताकि इसके कम उत्पादन को पाटा जा सके और इसकी कीमत को नियंत्रित रखा जा सके। मिट्टी में नमी की वजह से जूट की रोपाई भी प्रभावित हुआ है।अगर बारिश की मात्रा को देखें तो इस मानसून में यह पिछले छह साल के मुकाबले काफी बेहतर रहा। वर्ष 2003 के मुकाबले इस बार 36 सब-डिवीजन में से 34 सब-डिवीजन में सामान्य या उससे ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। इस साल दो ऐसे सब-डिवीजन हैं, जहां वर्षा की मात्रा कम रही। यह सब-डिवीजन पश्चिमी मध्यप्रदेश (-22 प्रतिशत) और उत्तर-पूर्व राज्यों का मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा (-24 प्रतिशत) इलाका है, जहां इस बार बारिश सामान्य से कम रहा।देश में कुल जिलों में से 76 प्रतिशत ऐसा है, जहां सामान्य या उससे अधिक वर्षा हुई है, जबकि 24 प्रतिशत जिले में कम बारिश हुई है। समग्र तौर पर अगर देखें, तो देश में इस बार 809.9 मिलीमीटर वर्षा हुई है, जो 1 जून से 17 सितंबर तक की 828.5 मिलीमीटर से 2 प्रतिशत कम है।81 प्रमुख रिजर्वोयर में 18 सितंबर तक 106.25 अरब क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी संचित रहा है, जो पिछले साल के 118.7 बीसीएम के मुकाबलले कम है, लेकिन पिछले दस सालों का अगर औसत (97.76 बीसीएम) देखें, तो उससे इस साल संचित पानी 8.68 प्रतिशत अधिक रहा है। (BS Hindi)
22 सितंबर 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें