वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) भारत सरकार और स्थानीय कारोबारियों के साथ मिलकर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भारतीय जूलरी का विदेश में प्रसार करने पर विचार कर रही है। काउंसिल के मैनेजिंग डायरेक्टर फिलिप ऑल्डेन इंडिया इंटरनेशनल जूलरी शो (आईआईजेएस) में हिस्सा लेने के लिए भारत आए हुए हैं। इस अवसर पर उन्होंने दीपा कृष्णन और निधि शर्मा से विभिन्न पहलुओं पर बातचीत की।
दूसरे देशों की तुलना में भारत किस प्रकार निर्माण के स्तर पर विकसित हुआ है और भारतीय जूलरी को किस प्रकार डब्ल्यूजीसी प्रमोट करने की योजना बना रहा है?
भारत में हाथ से बनने वाली जूलरी उच्च गुणवत्ता और अलग अंदाज की होती है। इसकी डिजाइन भी बेहतरीन होती है। दुबई और तुर्की सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कार्यक्रम करने की हमारी योजना है। हम उन्हें यहां से सोना खरीदने को प्रोत्साहित करेंगे। इसके अलावा, भारत में हम पर्यटन उद्योग के साथ काम करना चाहते हैं और पर्यटकों के लिए सोने की जूलरी को भारत और बाहर के देशों में सोवेनियर के तौर पर प्रमोट कर सकते हैं। अभी तक इस दिशा में काम नहीं किया गया है। सरकार और उद्योग की मदद से भारतीय जूलरी की कलात्मक किस्मों और गुणवत्ता को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
भारत में आने वाले त्योहारों के दौरान सोने के बारे में आपका क्या आकलन है?
मॉनसून अच्छा रहने की संभावना के बीच कीमतों के स्थिर बने रहने से आने वाले सीजन में अच्छी मांग रहेगी। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मॉनसून का बड़ा योगदान होता है और इससे ग्रामीण बाजारों में सोने की अच्छी मांग रहेगी। पिछले 6 महीनों के दौरान सोने की कीमतों में तेजी रहने से शहरी बाजारों में मांग कमजोर रही है, हालांकि, हम कीमतों में स्थिरता की उम्मीद कर रहे हैं।
क्या आपको लगता है कि पिछले साल की तुलना में सोने की मांग बेहतर रहेगी?
पूरी उम्मीद है कि 2007 की तुलना में हम इस साल बेहतर करेंगे। हम यदि 2006 के आंकडे़ को पाने में कामयाब रहे, तो इसे अच्छा कहा जाना चाहिए। पिछले साल इस समय कीमतें आसमान छू रही थीं, इसलिए हम आने वाली सीजन में अच्छी खरीदारी की उम्मीद कर रहे हैं।
पिछले कुछ साल में सोने में निवेश लगातार बढ़ा है। क्या आने वाले समय में यह जारी रहेगा?
वैश्विक स्तर पर इसमें सुधार हुआ है। दुनिया भर में महंगाई का दबाव है और आर्थिक मंदी की आशंका से सोने में निवेश करना सबसे सुरक्षित है, इसलिए इसमें अच्छा निवेश हुआ है, लेकिन मांग की तुलना में निवेश का हिस्सा फिलहाल 20 फीसदी ही है। इसमें जूलरी का हिस्सा दो-तिहाई के करीब है, इसलिए पिछले कुछ साल में भारत में निवेश और जूलरी की मांग मजबूत रही है। सिर्फ 2006 में ही ऐसा हुआ जब ऊंची कीमतों की वजह से निवेश मांग बढ़ गई और जूलरी की मांग घट गई।
भारतीय बाजार के लिए और क्या नई पहल करने के बारे में सोच रहे हैं?
हम कुछ प्रॉडक्ट को प्रमोट करने के लिए जॉय अलुक्कास के साथ अभियान की शुरुआत कर रहे हैं। यह कंपनी खाड़ी देशों में अच्छी पकड़ रखती है और हाल ही में इसने भारतीय बाजार में प्रवेश किया है। हम डी दमास जैसी अन्य कंपनियों के साथ भी ऐसा ही कुछ सोच रहे हैं। ...ET Hindi
08 अगस्त 2008
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