नई दिल्ली,11 अगस्त। वर्तमान में दिल्ली में गेहूं की दैनिक आवक करीब 17 से 18 हजार बोरियों की हो रही है जबकि मिलों की मांग कमजोर होने से इसके भाव 1075 से 1080 रूपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। सूत्रों के अनुसार व्यापारियों को उम्मीद है कि 15 अगस्त के बाद केन्द्र सरकार कभी भी खुले बाजार में बिक्री हेतु गेहूं के भावों की घोषणा कर सकती है जिससे इस समय मिलों द्वारा सीमित मात्रा में गेहूं की खरीददारी की जा रही है। परिणामस्वरूप इस समय फ्लोर मिलों की नजर ओपन बाजार में तय किए जाने वाले गेहूं के भावों पर टिकी हुई हैं।
ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार पहले ही 60 लाख टन गेहूं खुले बाजार में देने का ऐलान कर चुकी है हालांकि खुले बाजार में दिये जाने वाले गेहूं के भावों को लेकर व्यापारियों में अलग-अलग राय है। ज्यादातर व्यापारियों का मानना है कि चूंकि अगला वर्ष चुनावी वर्ष है तथा केन्द्र के पास गेहूं का भरपूर स्टॉक भी मौजूद है इसलिए सरकार चाहेगी की गेहूं के भावों में तेजी न आने पाये। दूसरी तरफ व्यापारियों का ये भी कहना है कि चूंकि एफसीआई ने 1000 रूपये प्रति क्विंटल के भावों पर गेहूं की खरीद की है, साथ ही करीब 150 से 200 रूपये प्रति क्विंटल का खर्चा जोड़ कर देखें तो केन्द्र सरकार को गोदाम पहुंच गेहूं के भाव 1150 से 1200 रूपये प्रति क्विंटल बैठेंगे, तो क्या खुले बाजार में भारतीय खाद्य निगम गेहूं के भाव 1150-1200 रूपये प्रति क्विंटल से कम तय करेगी?
सूत्रों के अनुसार पहली जुलाई को सरकारी गोदामों में 225 लाख टन गेहूं का स्टॉक बचा हुआ था जबकि सरकार को पूरे साल में एपीएल व बीपीएल के अलावा अन्य स्कीमों में देने के लिए करीब 108-109 लाख टन गेहूं की आवश्यकता होती है। अत: चालू वर्ष में केन्द्र सरकार के पास खुले बाजार में देने हेतु गेहूं का भरपूर स्टॉक मौजूद है। वैसे भी वर्तमान में गेहूं में स्टॉकिस्टों की बिकवाली का दबाव बना हुआ है। दिल्ली बाजार में गेहूं की आवक उत्तर प्रदेश की अलीगढ़, मथुरा व कोसी लाइनों से हो रही है।
उधर दक्षिण भारत के लिए उत्तर प्रदेश की कानपुर, शाहजानपुर व एटा लाईन से हर सप्ताह करीब पांच से छ: रैकों की बराबर लोडिंग हो रही है जबकि गेहूं उत्पादों आटा, मैदा व सूजी में उठाव कमजोर होने से उत्तर प्रदेश लाईन के गेहूं के भाव बंगलौर में 1240 से 1245 रूपये प्रति क्विंटल, राजस्थान की कोटा-बारां लाईन के गेहूं के भाव 1290 से 1300 रूपये प्रति क्विंटल व लोकवान गेहूं के भाव 1320 से 1325 रूपये प्रति क्विंटल मिल पहुंच बोले जा रहे हैं जबकि इन भावों में भी मिलों की मांग कमजोर ही है। उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं के भाव 1010 से 1015 रूपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि इन भावों में स्टॉकिस्टों को घाटा ही उठाना पड् रहा है।
चालू खरीद सीजन में भारतीय खाद्य निगम ने न्यूनतम समर्थन मूल्य 1000 रूपये प्रति क्विंटल की दर से 225 लाख टन गेहूं की खरीद की थी जबकि नई फसल की आवकों के समय पहली अप्रैल को सरकारी गोदामों में करीब 57 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूदा था। ज्ञात हो कि गत वर्ष समर्थन मूल्य पर मात्र 111.28 लाख टन गेहूं की खरीद हो पाई थी जबकि खरीद का लक्ष्य 150 लाख टन का था। भारतीय खाद्य निगम द्वारा पिछले पांच सालों में खरीदे गये गेहूं के आंकड़े देखे तो वर्ष 2004-05 में 167.97 लाख टन, वर्ष 2005-06 में 147.87 लाख टन, वर्ष 2006-07 में 92.26 लाख टन व वर्ष 2007-08 में 111.28 लाख टन की खरीद ही पाई थी जबकि चालू वर्ष 2008-09 में गेहूं की रिकार्ड खरीद 225 लाख टन की हुई है।
इस वर्ष बिजाई से लेकर कटाई तक मौसम फसल के अनुकूल रहा तथा बिजाई से पहले ही केन्द्र सरकार गेहूं का न्यूनतम समर्थन बढ़ाकर 1000 रूपये प्रति क्विंटल तय कर चुकी थी जिससे इसके बिजाई क्षेत्रफल में भारी बढ़ोत्तरी हुई थी। चालू वर्ष में देश में गेहूं का उत्पादन अनुमान 784 लाख टन का लगाया गया है। अगर पिछले पांच सालों की बात की जाये तो वर्ष 2003-04 देश में गेहूं का उत्पादन 721 लाख टन, वर्ष 2004-05 में 686 लाख टन, वर्ष 2005-06 में 694 लाख टन व वर्ष 2006-07 में देश में गेहूं का उत्पादन 749 लाख टन का हुआ था। गेहूं उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का दूसरा प्रमुख देश है लेकिन केन्द्र सरकार की उत्पादन बढ़ाने की ढुलमुल नीतियों का असर ये हुआ कि भारत पिछले दो सालों से आयात पर निर्भर हो गया था। ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार ने गत वर्ष करीब 18 लाख टन गेहूं का आयात किया जबकि उससे पिछले वर्ष सरकार ने 55 लाख टन व प्राइवेट मिलों ने भी करीब 8 से 10 लाख टन गेहूं का ऊंचे भावों पर आयात किया था। गेहूं आयात का पहला टेंडर फरवरी 2006 में 5 लाख टन 178.75 डॉलर प्रति टन के भावों से स्वीकार किया था जबकि उसके बाद मई, जून व जुलाई माह में क्रमश: 8 लाख टन, 22 लाख टन व 3.3 लाख टन का टेंडर 191.39 डॉलर प्रति टन, 197.82 डॉलर प्रति टन तथा 210.72 डॉलर प्रति टन के भावों पर आयात किया गया था। जून 2007 में 5.11 लाख टन गेहूं का आयात 325.29 डॉलर प्रति टन की दर पर किया था जबकि उसके बाद दिसम्बर माह में क्रमश: 7.95 लाख टन 389.45 डॉलर प्रति टन, 3.42 लाख टन गेहूं का आयात 400.19 लाख टन व 1.50 लाख टन गेहूं का आयात 396.90 डॉलर प्रति टन की दर से किया था। अप्रैल 2002 में देश में गेहूं का बफर स्टॉक 200 लाख टन से ऊपर पहुंच गया था तब हमने सोचना शुरू कर दिया था कि अब देश निर्यातकों की श्रेणी में खड़ा हो गया है लेकिन दुर्भाग्यवश वर्ष 2002 के बाद अगले चार/पांच सालों में देश में गेहूं का उत्पादन 700 लाख टन के आसपास स्थिर हो गया। हालांकि पिछले दो सालों से एक उम्मीद की किरण जरूर जगी है तथा इस दौरान उत्पादन में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है, अगर आगामी वर्षो में भी उत्पादन की बढ़ी हुई रफ्तार को हम कायम रख सके, तो इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि हम फिर से निर्यातकों की श्रेणी में खड़े होंगे।
देश में गेहूं का उत्पादन रबी सीजन में ही होता है तथा उसके प्रमुख उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल, पश्चिम बंगाल व बिहार हैं जबकि सरकारी खरीद में प्रमुख योगदान पंजाब व हरियाणा राज्यों का ही होता है, हांलाकि चालू खरीद सीजन में पंजाब व हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व राजस्थान ने भी खरीद में अहम योगदान दिया है।....R S Rana
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
Very nice and thanks I think this type reports are most suitable for every person related with commodity Markets
Vijendra
एक टिप्पणी भेजें